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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
White मातामही मातामहः ग्राम: अहं तत् क्षणं बहु मधुरं मन्ये यः ग्रामे निवसति स्म पन्थाने कृषिक्षेत्राणि,कोष्ठानि च गृहीतः, मया सः क्षणः वास्तवमेव अतीव मधुरः इति ज्ञातम्। पूर्वं यदा मम मातामही मातामहः ग्रामः अहं बाल्यकाले गच्छामि स्म, हिन्दी अनुवाद नाना नानी के गांव वो क्षण ही बड़ा प्यारा लगा करता था जो गांव में बिता करता था पगडंडी पर खेत खलिहानों का जायजा लिया जाता था, सच वो क्षण बड़ा ही प्यारा लगा करता था जब नाना नानी के गांव बचपन में जाना हुआ करता था, ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru #Po
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक नाना नानी के गांव मातामही मातामहः विधा विचार भाव वास्तविक #Trending #wellwisher_taru Po
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
मुकम्मल=पूर्ण,शख़्सियत=अस्तित्व मौलिक क़ाफ़िया शायरियां शीर्षक शख़्सियत विधा क़ाफ़िया भाव वास्तविक अक्सर ज़िन्दगी का आईना आईना नहीं रहत
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक मन बाॅंवरा विधा मन के विचार भाव वास्तविक अस्तु नभो यत्र तरुस्य हृदयपक्षिणः निवसन्
read moreSonam kuril
White ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार, मनोरंजन के नाम पर खुल गया , फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार, किस्म-किस्म के किरदार है, कोई सुनाता दुःखड़े अपने , कोई हँसता झूठी मुस्कान, कोई बना ज्ञान का सागर, कोई करता भोग-विलास, फैशन के नाम पर कम होते कपड़े, क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार, फूहड़ गाने, अश्लील डांस, क्या लगता नहीं मुजरा बाजार, दुःख और पीड़ा इस बात की भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार, बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम, ये मेरे अपने विचार है, जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे , क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां , फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी, सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का, क्या बन पाएंगे विश्व गुरु या वो भी.....| ©Sonam kuril #Sad_Status #reelskiduniya ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार
#Sad_Status #reelskiduniya ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक क़रीना (ढंग) विधा उर्दू शायरी भाव वास्तविक आपके बोलचाल का लहज़ा ही आपको अपनों के करीब और अपनों से दूर करता है
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक श्री शिव रुद्राष्टकम् हिन्दी अर्थ सहित . . विधा श्री शिव रुद्राष्टकम् हिन्दी अर्थ सहित श्लोक १ .
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
लाड़ली जू के वास्तविक चरण दर्शन शीर्षक चरण दर्शन विधा भक्तिमय वास्तविक भाव श्री: लली: सर्वे मार्ग नीहार इव दृश्यन्ते, मार्गं दर्शयितुं
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक मां पापा का सम्मान विधा विचारनुमा भाषा शैली हिन्दी . . भाव वास्तविक मन के भाव
read moreMukesh Poonia
White एक आरामपूर्ण और सुविधाजनक जीवन वास्तविक जीवन नहीं है- जितना ज्यादा आरामपूर्ण, उतना कम जीवंत। सबसे ज्यादा आरामपूर्ण जीवन कब्र में होता है। . ©Mukesh Poonia #life_quotes एक #आरामपूर्ण और #सुविधाजनक जीवन #वास्तविक जीवन नहीं है- जितना ज्यादा #आरामपूर्ण, उतना कम #जीवंत। सबसे ज्यादा आरामपूर्ण #जीवन #
#life_quotes एक #आरामपूर्ण और #सुविधाजनक जीवन #वास्तविक जीवन नहीं है- जितना ज्यादा #आरामपूर्ण, उतना कम जीवंत। सबसे ज्यादा आरामपूर्ण #जीवन #
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित तरु की शायरियां कुछ मन के भाव . . विधा शायरियां . . भाव वास्तविक
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