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Monika jayesh Shah
बर्फीली फिजाओं में चमकती हल्की सी धुंधली धूप में! ले हाथों में हाथ! बस एक तेरा साथ हो! ©Monika Shah बर्फीली फिजाएं
Nasamajh
दिल की वादी से फ़िज़ाओं का अजब रिश्ता हैं.. फूल ताज़ा तेरी यादों के कहाँ तक रखूँ..!! ख़ामोश रास्तों पे नई दास्ताँ लिखूँ...... तन्हा चलूँ सफ़र में मगर कारवाँ लिखूँ...!! #फिजाएं #सफ़र #फुलों
Shashi Bhushan Mishra
बन चुकी श्मशान कितनी बस्तियाँ, अब नहीं खुलती यहाँ पर खिड़कियाँ, हौसले से जीत मिल जाती है नाविक, वर्ना अक्सर डूब जाती कश्तियाँ, कुछ नया करने के पहले ही हमेशा, लोग कस देते हैं मिलकर फब्तियाँ, बस ज़रा सी तरक्क़ी मिल जाए तो, बना लेते लोग कितनी दूरियाँ, आ रहा तूफ़ान भी ऐलान करके, आसमाँ में कड़कती हैं बिजलियाँ, डर के बैठी सहमकर बेचारगी अब, कुछ न कुछ तो रहती है मज़बूरियाँ, रात अंधियारी है सन्नाटा भी गुंजन, करवटें लूँ जब खनकती चूरियाँ, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #अब नहीं खुलती#
Shashi Bhushan Mishra
कभी-कभार नींद खुलती है, कृष्ण से जब राधा मिलती है, मेहनतकश ले जाए मुक़म्मल, किस्मत से आधा मिलती है, कर्मशील ख़ुद राह बनाए, काहिल को बाधा मिलती है, वक़्त बदलता है ख़ुश-क़िस्मत, ख़ुशियाँ कम-ज्यादा मिलती है, जन कल्याण लक्ष्य हो जब तो, शोहरत,मान,मर्यादा मिलती है, प्रेम स्वरूप स्वयं प्रभु 'गुंजन', सृजन शक्ति मादा मिलती है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ○प्र○ ©Shashi Bhushan Mishra #नींद खुलती है#
Ravi Prakash
ये वादियां , ये फिजाएं हमें याद रहेंगी , तेरी वफाएं हमें याद रहेंगी । तू चाहे भुला दे हमें ऐतबार करके , पर तेरी खताएं हमें याद रहेंगी । ©Ravi Prakash ये वादियां ये फिजाएं #NatureLove
vinni.शायर
ये हवाएं ये फिजाएं ना जाने मुझसे क्या क्या बाते करती है.. वो मुझपे कम उसपे ज्यादा मरती है.. ये हवाएं ये फिजाएं ना जाने क्या क्या बाते करती हैं.. ©vinni.shayr ये हवाएं ये फिजाएं...... #ishq
Vikash Kumar Kaimuri
अब फिर से मौसमों ने नई करवट ली हैं। फिर से जाड़े की शुरुआत हों गई हैं। जिंदगी फिर से जाड़े के गिरफ्त में आ गई हैं। प्रकृति का रंग फिर बदलने लगा है। by vikash kaimuri from state Bihar, dristrict Kaimur, City Patna dijital creator owner ©Vikash Kumar Kaimuri बदलती हुई कुदरती फिजाएं। # kaimuri
Shayar E Badnaam
समंदर को कांच सा टूटने का कोई हक नहीं.... हदों से परे हाल-ए-ज़मीन देखने का कोई हक नहीं.... बाहों में इसकी सिवा ख़ामोश लहरों के और कुछ भी नहीं, इसे फिज़ाओं सा बहकने का कोई हक नहीं.... #समंदर #कोई_हक_नहीं # #टूटने #हदें #फिजाएं #बहकने #शायर_ए_बदनाम