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RUPESH Kr SINHA
.................................................. ©RUPESH Kr SINHA सच है ना ये
सच है ना ये
read moregaTTubaba
Unsplash वाकई में तुम बेमिसाल हो ? या फिर ये गलतफहमी हैं क्या सच में भगवान मिल गया हैं या फिर ये गलतफहमी हैं ? यकीन को यकीन पर इतना यकीन क्यों हैं या फिर ये गलतफहमी हैं कितनी खूबसूरत हैं चाहे फिर भी अगर ये गलतफहमी हैं ©gaTTubaba #lovelife वाकई में तुम बेमिसाल हो ? या फिर ये गलतफहमी हैं क्या सच में भगवान मिल गया हैं या फिर ये गलतफहमी हैं ?
#lovelife वाकई में तुम बेमिसाल हो ? या फिर ये गलतफहमी हैं क्या सच में भगवान मिल गया हैं या फिर ये गलतफहमी हैं ?
read moreKavi Himanshu Pandey
White इश्क़ विश्क़ में पड़ मत यारो, इश्क़ बड़ा बेदर्दी, पहले चेचक, फ़िर हो खसरा, फ़िर तुमको हो सर्दी! ..... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey इश्क़ का नशा.. #beingoriginal #NojotoHindi
इश्क़ का नशा.. #beingoriginal Hindi
read moreF M POETRY
Unsplash ये ग़म-ए-हिज़्र है तोहफा दिया हुआ तेरा.. अब भी ताज़ा है ये ग़म मैंने संभाला यूँ है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #अब भी ताज़ा है ये ग़म....
#अब भी ताज़ा है ये ग़म....
read moreRajesh Kumar
यह न पूछो कि मैं कैसे जिया करता हूं अपने जख्मों को मैं कैसे सिया करता हूं असहनीय दर्द को मिटाने के लिए तेरी आंखों का जाम पिया करता हूं ©Rajesh Kumar तेरी आंखों का नशा
तेरी आंखों का नशा
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White अजी देखिये क्या गज़ब ढ़ा रहा है कहां से कहां आदमी जा रहा है...! न आगे की सुध न पीछे ख़बर है नशा शौहरतों का गज़ब छा रहा है उठाता है जोखिम न डरता ख़ुदा से जहन्नुम के रस्ते चला आ रहा है नहीं पूछता अब कोई भी किसी से कहाँ से वो कैसे कमा ला रहा है.. घरों में ठहरते नहीं पाँव पल भर न जाने कहाँ को ठिकाना रहा है..! कमाने को घर से निकलते सभी हैं मगर कोई कोई बचा पा रहा है..! लहू पे लहू दौड़ता अब नहीं है लहू ही लहू से लुटा जा रहा है..! दिखावों की दुनिया बड़ी रास आये दिखावों में ख़ुद ही मिटा जा रहा है..! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #नशा
नवनीत ठाकुर
White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया, हर इंसान अपने ही साए से जल गया। इज्जत अब बस नामों तक रह गई है, असलियत झूठ की चादर में ढह गई है। जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे, अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं। हर ख्वाब जो आँखों में पलता था, उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है। मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा, हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा। ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी, और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी। ©नवनीत ठाकुर #ये दौर कितना बदल गया है
#ये दौर कितना बदल गया है
read moreParasram Arora
White धर्म! आखिर ये धर्म है क्या? मैंने तो सिर्फ जीवन को ही जाना है जीवन के अलावा मैंने किसी को नहीं जाना है. और मेरी दृष्टि मे जीवन का अर्थ है. खेत हल कुवा और लहल्हाती फसल जीवन का अर्थ है पत्नी बच्चे और सुखद सफल दाम्पत्य ©Parasram Arora आखिर ये धर्म है क्या?
आखिर ये धर्म है क्या?
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