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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विहावा छन्द  122   122   12 मुझे रूप नारी लगे । वही सृष्टि सारी लगे ।। महादेव देवी कहे । धरा देख सेवी रहे ।। #कविता

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विहावा छन्द 
122   122   12

मुझे रूप नारी लगे ।
वही सृष्टि सारी लगे ।।
महादेव देवी कहे ।
धरा देख सेवी रहे ।।

रहा व्यर्थ का सोचना ।
खड़ा साथ है मोहना ।।
डरो आप ऐसे नही ।
मिले राह टेढ़ी सही ।।

मुझे मातु सीता मिली ।
यही देख पत्नी जली ।।
नहीं माँग वो तो भरे ।
सदा मूर्ख बातें करे ।।

चलो बात प्यारी करे ।
नये स्वप्न क्यारी भरे ।।
लगे प्रेम की ज्यों झड़ी ।
नहीं दूर देखो खड़ी ।।

अभी देखना गाँव है ।
वहाँ नीम की छाँव है ।।
मिले नीर जो कूप से ।
पियें संग वे भूप के ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विहावा छन्द 
122   122   12

मुझे रूप नारी लगे ।
वही सृष्टि सारी लगे ।।
महादेव देवी कहे ।
धरा देख सेवी रहे ।।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर । थामो बहते नीर को , देखो हृदय अधीर ।। कहाँ हमारी पीर को , सुनते अवध नरेश । राम-राम कहते रहे , द #शायरी

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दोहा :-
सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर ।
थामो बहते नीर को , देखो हृदय अधीर ।।

कहाँ हमारी पीर को , सुनते अवध नरेश ।
राम-राम कहते रहे , दर पर खड़े सुरेश ।।

सत्य सनातन ही यहाँ , कर बैठा है घात ।
बुला लिया जयचंद को , घर में आधी रात ।।

लिखे अवध पर आज कुछ , हमने दोहा छन्द ।
भाई जिनको कह रहे , निकले वे जयचन्द ।।

कहना सुनना कुछ नही , बस इतनी है बात ।
सत्य सनातन छोड़ कर , दें हमको सौगात ।।

कैसे लंका में बने , मेघनाथ थे भूप ।
ठीक अवध के लोग भी , वही दिखाये रूप ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर ।
थामो बहते नीर को , देखो हृदय अधीर ।।

कहाँ हमारी पीर को , सुनते अवध नरेश ।
राम-राम कहते रहे , द

Ravendra

एसएसबी ने 180लीटर नेपाली कच्ची शराब के साथ एक अभियुक्त को किया गिरफ्तार 42वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल बहराइच-I के निर्देशन में सीमा चौकी शिव #वीडियो

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा । #कविता

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गोपी छन्द :- 

बसा लें चलकर हम बस्ती ।
धरा इतनी न हुई सस्ती ।।
प्रेम की जग में हो पूजा ।
नही पथ कोई हो दूजा ।।

तपन सूरज की है भारी ।
झेलती दुनिया है सारी ।।
हुए बेहाल जीव सारे ।
बरसते तन पे अंगारे ।।

बने सज्जन हो तुम फिरते ।
बात भी मीठी हो करते ।।
अधर पे सिर्फ टिकी लाली ।
हृदय में बस तेरे गाली ।।

शोक उनका हो क्यों करते ।
पथिक बनकर जो हैं रहते ।।
प्रखर यही राम की माया ।
नेह छोड़ो ये तन छाया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गोपी छन्द :- 


बसा लें चलकर हम बस्ती ।

धरा इतनी न हुई सस्ती ।।

प्रेम की जग में हो पूजा ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

संध्या छन्द :- 221    212    22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।। #कविता

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White संध्या छन्द :-
221    212    22

इंसान क्या नही खाता ।
क्या देखता नही दाता ।।
है अंत में जरा देरी ।
आयी न रात अंधेरी ।।

पीडा समीप में डोले ।
तो राम राम वे बोले ।।
कान्हा कहें सुनो राधा ।
वो भक्त ही बना बाधा ।।

मीठी लगे हमें बोली ।
जो प्रेम से भरें झोली ।।
जो आप पास में होते
तो क्यूँ भला बता रोते ।।

मैं तो करूँ सदा सेवा ।
औ चाहता मिले मेवा ।।
जो दान में मिला देखा ।
ये भाग्य से बनी रेखा ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संध्या छन्द :-
221    212    22

इंसान क्या नही खाता ।
क्या देखता नही दाता ।।
है अंत में जरा देरी ।
आयी न रात अंधेरी ।।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

उडियाना छन्द :- स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें । और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।। जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा । देखता ह #कविता

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उडियाना छन्द :-
स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें ।
और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।।
जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा ।
देखता हूँ फिर वहाँ , घेरकर सब खड़ा ।।

मारकर सब डुबकियां ,  पाप धोने चले ।
मातु गंगा सोचती , तनय कैसे पले ।।
पीर इनकी सब मिटे,  और आगे बढ़े ।
राह जीवन की सभी , स्वयं चलकर गढ़े ।।

कष्ट सारे झेलकर , चक्षु  जिनके खुले ।
राम-सिय जपते रहे , श्वास जब तक चले ।।
लौट जायें वो सभी, सुगम पथ पर कहीं ।
विनय करता यह प्रखर , आप ठहरे वहीं ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 

उडियाना छन्द :-
स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें ।
और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।।
जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा ।
देखता ह

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- जन्मदिवस गुरुदेव का , बन आया त्यौहार । महादेव वरदान दे , ख्याति बढ़े संसार ।। गुरुवर ही भगवान है , समझा मैं नादान । #कविता

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दोहा :-
जन्मदिवस गुरुदेव का , बन आया त्यौहार ।
महादेव वरदान दे , ख्याति बढ़े संसार ।।

गुरुवर ही भगवान है , समझा मैं नादान ।
पाया दिक्षा ज्ञान की , आज बना इंसान ।।

लालायित मैं था बहुत , हूँ गुरुवर सानिध्य ।
तम जीवन का जो हरे , आप वही आदित्य ।। 


कुण्डलिया :-
सीखे हमने छन्द के , जिनसे चन्द विधान ।
चलो करें गुरुदेव का , छन्दों से सम्मान ।।
छन्दों से सम्मान ,  बढ़ाए मिलकर गौरव ।
इतने हम हैं शिष्य , नही थे उतने कौरव ।।
मीठे प्यारे बोल , नहीं वे होते तीखे ।
मन की कहना बात , उन्हीं गुरुवर से सीखे ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

जन्मदिवस गुरुदेव का , बन आया त्यौहार ।

महादेव वरदान दे , ख्याति बढ़े संसार ।।


गुरुवर ही भगवान है , समझा मैं नादान ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा । #कविता

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विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द
१
आँखें जो मैं खोलूँ ।
कान्हा-कान्हा बोलूँ ।।
घेरे गोपी सारी ।
मैं कान्हा पे वारी ।।
२
पावें कैसे मेवा ।
देवो के वो देवा
बैठी सोचूँ द्वारे ।
प्राणों को मैं हारे ।।
३
राधा-राधा बोलूँ ।
मस्ती में मैं डोलूँ ।।
माई देखो झोली ।
मीठी दे दो बोली ।।
०३/०४/२०२४   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द
१
आँखें जो मैं खोलूँ ।
कान्हा-कान्हा बोलूँ ।।
घेरे गोपी सारी ।
मैं कान्हा पे वारी ।।
२
पावें कैसे मेवा ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २ #कविता

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चौपई /जयकारी छन्द
१
मातु-पिता को करूँ प्रणाम ।
वो ही रघुवर है घनश्याम ।।
थाम चले वह मेरा हाथ ।
और न देता जग में साथ ।।
२
जीवन की बस इतनी चाह ।
पिता दिखाए हमको राह ।।
पाकर गुरुवर से मैं ज्ञान ।
बन जाऊँ मैं भी इंसान ।।
३
जीवन साथी है अनमोल ।
मीठे प्यारे उसके बोल ।।
घर उसके ले गया बरात ।
पूर्ण किया फिर फेरे सात ।।
४
मानूँ उसकी सारी बात ।
कभी न मिलता मुझको घात ।।
कहती दुनिया मुझे गुलाम ।
लेकिन जग में होता नाम ।।

०३/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपई /जयकारी छन्द

१
मातु-पिता को करूँ प्रणाम ।
वो ही रघुवर है घनश्याम ।।
थाम चले वह मेरा हाथ ।
और न देता जग में साथ ।।
२

AwadheshPSRathore_7773

मृत्युंजय महादेव मंत्र मेरी आवाज़ में सुनेगा और please don't mind अगर कुछ लय ताल और छन्द उपर नीचे हो गए हों तो.......OK thank you so much fo #पौराणिककथा

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