Find the Latest Status about खिचड़ी मारने की दवा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, खिचड़ी मारने की दवा.
BANDHETIYA OFFICIAL
....दवा होती है, जिंदा रखने को, मारने को भी दवा होती है, चूहे के लिए उसके खाने में- दवा दी और मरा जो चूहा, पते की बात निकली- दी थी चूहा मारने की दवा, मरा चूहा दवा की मौत ! जरा हमदर्दी होती है, जरा कुछ दर्द होता है, मौत के घाट उतारा, वहीं है याद पुरानी रंज, भुला न जाता गुस्सा, किये था तंग, पकड़ में जो न आया, जकड़ में आप जकड़ा, देवता यम भी है, दवा है मौत भी, मिटा खा आप दवा, जहां आप मरा चूहा, वहीं राहत में आदमी, दवा ही तो- चूहा मारने की दवा ! ©BANDHETIYA OFFICIAL मारने की दवा ! #Hope
RATHORE VAIBHAV
खिचड़ी अगर बर्तन में पके तो ठीक कर देती है पर अगर दिमाग में पके तो इंसान को बीमार कर देती हैं । #खिचड़ी
Mohan Sardarshahari
खिचड़ी के चार यार पापड़,घी,दही, अचार जाड़ों का दिन, सर्दी अपार मिल गये पांचों एक थाली में अब काहे का इंतजार।। ©Mohan Sardarshahari खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
खिचड़ी परोसता मैं कभी कभार तहरी साधारण शब्दों में सरल बातें नहीं गहरी शब्दों की माला बनाता बहुरंग सतलहरी कसता न कायदे छंद चाह न पाऊँ दस्तुरी डोरी तान गाता बेताल मृदंग संग कजरी मिले अनंत उमंग संग बैठे जो एक लहरी लय मिले संग संगत बैठे जो बिछा दरी ! #खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
दिल की आवाज़ ऐ सुनो ! मेरी नहीं अपनें दिल की आवाज़ और कौन यही तो असली हमराज़ पाओगे राह में तुम सारे कारसाज़ प्रफुल्लित हो मन बन जाओ दिलसाज़ बावरा मन बेलगाम जड़ सारे खाज भलमानष को बना देता दगाबाज़ रंगा जो रंग रोगन से मन बने रंगबाज़ सुनो दिल की सजेंगे सुनहरे साज़ ऐ सुनो मेरी नहीं अपनें दिल की आवाज़ #खिचड़ी
अल्फ़ाज़ الفاظ Alfaaz
नेता लोग कल भी आराम में थे आज भी आराम में है कल भी आराम में रहेंगे लेकिन जनता के दिमाग की खिचड़ी पकाते रहेंगे खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
जो प्रदान करे हम सब को सर्व सुख व असबाब, हम कुछ करें ऐसा जो कायम रहे धरा का शबाब, कम न हो क्षेत्र जो पहले हीं एक तिहाई हिसाब, धरातल का गर्म होना जिसका कारण है जनाब, वृक्षारोपण ताप नियंत्रण का एकमात्र तरकीब, इससे बेहतर नहीं कोई और देय उपहार अजीब। #Earth_Day_2020 #खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
उसने अपने आख़िरी शब्द कहे, और चली गयी आवेश में दावा-ऐ इश्क़ो मुहब्बत का करते रहे, खोखला निकला छोटी क्लेश में उनके इस बरताव से निस्तब्ध रहे, कह न सके कुछ सफाई पेश में उनके बेरुख़ी अबतक़ समझ से परे, गम में भटकते हम साधु भेष में उनकी यादों का धन सिर्फ पास मेरे, खर्च करता जिन्हें जिन्हें उपदेश में जहाँ भी हो वो खुश आबाद रहें, माँगता यही दुआ विशेष में ! 🌼 💔🌹💔🌸 #Akhiri_shabd खिचड़ी