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Arun Upadhyay
पीले सूट पर लाल चुनरिया। ओढ़े है जब एक बावरिया।। मन मेरा पुलकित हो जाये। भाव सभी उद्वेलित हो जाये।। माथे की वो छोटी बिंदिया। उड़ा देती है मोरी निंदिया।। आंखों में शर्माता काजल। कर देता है मुझको घायल।। अधरों की मुस्कान निराली। बिखरी सी है अलकें काली।। अंगुरियों के है पोरे कोमल। वो गौर वर्ण मैं रंग श्यामल।। देखूं एक नजर जी भरके। ख्वाबों के दरिया में उतरके।। कठिन उसे मिल पाना होगा। दिल को हमें समझाना होगा।। ©Arun Upadhyay पीला सूट
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
भोजन को थाली में जिस दिन से प्रसाद समझकर लेना शुरू कर देंगे, भोजन की बर्बादी उसी दिन से रुक जायेगी..... ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #भोजन
manoj kumar jha"Manu"
सात्त्विक आहार आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य, सुख और प्रीति को बढ़ाने वाले, रसयुक्त, चिकने और स्थिर रहने वाले तथा स्वभाव से ही मन को प्रिय- ऐसे आहार अर्थात भोजन करने के पदार्थ सात्विक व्यक्तियों को प्रिय होते हैं। - श्रीमद्भगवद्गीता अ०१७/८ #गीता_ज्ञान सात्विक भोजन अर्थात सन्तुलित भोजन
AJEEM KHAN
Food is a blessing खाने की कदर भी उन्हें ही पता है साहब, जिनका वक्त पे कभी पेट नही भरता।। ©AJEEM KHAN #फूड#भोजन #भोजन #खाना #वक्त #FoodSafety
Mohan Sardarshahari
ओर्गेनिक खेती होती थी तब पेड़ हरे होते थे पक्षियों से लदे रहत थे पेड़ ही खाद देते थे। अब मूंगफली बन पेड़ों की जड़ों में जाल बिछा चुकी हूं रासायनिक भोजन खाती हूं पेड़ों की शामत लाती हूं धीरे -धीरे सब को डस जाती हूं।। ©Mohan Sardarshahari रासायनिक भोजन
Prashant Singh
धरती का सीना चीर किसान पीला सोना उगाता है। तन का पसीना बहा के किसान रक्त को पानी बना फसलें उगाता है। खेतों में खड़े फसलों की बालियां हवा में समृद्धि की गाना सुनाती हैं। खेतों की जमीन जोत जोत मिट्टी को हलवा सा बनाता है। नन्हे मुन्ने बीज पौधों को रोप रोप धरती का श्रृंगार करते हैं। पत्थर सी बंजर भूमि बाग बगीचे बनाते है। मिट्टी में पैसों को डाल अन्न के रूप में देशभक्ति उगाते हैं। विपत्तियों के कालचक्र बाढ़ सुखाड़ बनके किसान कहां डर के बैठ जाते हैं। मर जाता है अन्नदाता भी कभी जब अन्न को भोजन नहीं समझा जाता है। सर्वजन सुखाय प्रायः किसान राष्ट्रभक्त कहलाता है जाने कितने कीट पतंग चूहे उसका अन्न खाता है। बिकती हैं अन्न की बोरियां कूड़े के भाव लगते हैं सड़क समाज बाजार पर प्रायः किसान बोझ सा लगता है। नंगे पांव सर पर गामछी सादा जीवन सुखा आहार। दुर्दशा में है आज किसान बन गया है राजनीति का अचार। अभाव सदा इनके चौखट पलता है बैंकों की नजर में सदा खटकता रहता है। पीला सोना Madhavi Choudhary
kunti sharma
Food is a blessing भोजन तो भगवान का आशीरवाद होता है मत भोजन का अपमान करो जितना मिले जो भी मिले उसे खुशी से गृहण करो ©kunti sharma #भोजन #FoodSafety