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theABHAYSINGH_BIPIN

#lovelife #Ga #Hain #sayari #ishq Love हा, मैं यूंहीं नहीं हूं ख्यालों में उसके, कभी-कभी खुद से भी मैं बातें करता हूं। सोचता हूं अक्सर, प

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Unsplash हा, मैं यूंहीं नहीं हूं ख्यालों में उसके,
कभी-कभी खुद से भी मैं बातें करता हूं।
सोचता हूं अक्सर, प्यार से भरी बातें उसकी,
अक्सर सोचकर, उसे मैं मुस्कुराता हूं।

बावली है थोड़ी, और चंचल सी यादें हैं उसकी,
कभी-कभी दिन के ख्वाबों में मैं खो जाता हूं।
मनमुग्ध सी मुस्कुराहट है होठों पर उसके,
मैं अक्सर गहरी काली आंखों में डूब जाता हूं।

होठों के तिल, खूबसूरती में चांद लगाते हैं उसके,
देखकर अक्सर उसे, खुशी से झूम सा जाता हूं।
खूबसूरत और प्यारे एहसासों से भरी है वो,
मैं उसकी गहरी बातों में अक्सर खो जाता हूं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #lovelife #Ga #Hain #sayari #ishq #Love 
 हा, मैं यूंहीं नहीं हूं ख्यालों में उसके,
कभी-कभी खुद से भी मैं बातें करता हूं।
सोचता हूं अक्सर, प

डॉ.अजय कुमार मिश्र

डरता हूं

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White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं,
जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं।

हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की,
आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं।
धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।।

 कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से ,
आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं।

कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार।
आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र डरता हूं

Satish Kumar Meena

मेरे हाल पे

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mujhe chod do mere haal pe  मैं निराश हूं,
कृंदनों से।
मुक्त हो जाऊं,,
बंधनों से।
मुझे समझाने में,
बरसों लगेंगे। 
ज़ख्म गहरे हैं,,
जी भर सहेंगे।
फंस गए अब,
किसी की चाल पे,
मुझे छोड़ दो,,
मेरे हाल पे।।

©Satish Kumar Meena मेरे हाल पे

N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} ताश का जोकर और अपनों की, ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं !! गुरुर किस बात का साहब आज मिट्टी के उपर तो

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
ताश का जोकर और अपनों की,
ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं !! 

गुरुर किस बात का साहब 
आज मिट्टी के उपर 
तो कल मिट्टी के निचे !!

©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey}
ताश का जोकर और अपनों की,
ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं !! 

गुरुर किस बात का साहब 
आज मिट्टी के उपर 
तो

Anuj Ray

# धरती पे स्वर्ग"

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White धरती पे स्वर्ग की कल्पना को, अपनी 
आंखों से साकार होते देखने का मन करे, 

शिशिर ऋतु के शुरुआती दौर में, पहाड़ 
पर्वत की बर्फीली वादियों का भ्रमण करें।

©Anuj Ray # धरती पे स्वर्ग"

Shashi Bhushan Mishra

#रह जाता अवशेष#

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कैसे  चढ़  पायेगी  सफलता की सीढ़ी,
जब अवसाद ग्रस्त है आज युवा पीढ़ी,

मन की उलझन से बच पाने का साधन,
बना आज व्यवसाय  है बिकती पंजीरी,

पथ को कंटक पूर्ण देख मत घबराना,
जीवन  पथ  की  राह बहुत टेढ़ी-मेढ़ी,

छद्म मान्यताओं ने  जकड़े  पांव यहां,
दौड़   नहीं  पायेगा   काटे   बिन बेड़ी,

क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे,
नाहक  करते  फिरते  हो  तेरी   मेरी,

मजदूरों ने सिखलाया पथ पर चलना,
धुएं की कश में फूंक जला देता बीड़ी,

मिट्टी में मिल जाता है सबकुछ 'गुंजन',
रह जाता  अवशेष  राख  बनकर ढ़ेरी,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #रह जाता अवशेष#

BS NEGI

व्यस्त हूं

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White स्वयं की खोज में हूँ, 
शांत एवं मौन मैं हूँ,
पथिक हूँ सत्यपथ का, 
मैं स्वयं में ही व्यस्त हूँ!

©BS NEGI व्यस्त हूं

Anukaran

#good_night अक्सर खुद ही खुद से सवाल कर जाता हूँ, कुछ कर गुजरने से पहले, दुसरों के बारे में पहले सोंचता हूँ।

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White अक्सर खुद ही खुद से सवाल कर जाता हूँ,
कुछ कर गुजरने से पहले,
दुसरों के बारे में सोंचता हूँ।

©Anukaran #good_night 
अक्सर खुद ही खुद से सवाल कर जाता हूँ,
कुछ कर गुजरने से पहले,
दुसरों के बारे में पहले सोंचता हूँ।

Poet Kuldeep Singh Ruhela

#love_shayari #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे मे

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White #कभी खामोश रहता हूं 
कभी में गुनगुनाता हूं
तेरी चाहत के समंदर में
 हमेशा में डूब जाता हूं 
में बदनसीब हूं तेरी चाहत 
के नशे में यार फंस जाता हूं
तेरी महफिल में आके अपनी
चाहत के किस्से सबको सुनाता हूं

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #love_shayari #कभी खामोश रहता हूं 
कभी में गुनगुनाता हूं
तेरी चाहत के समंदर में
 हमेशा में डूब जाता हूं 
में बदनसीब हूं तेरी चाहत 
के नशे मे

हिमांशु Kulshreshtha

अक्सर...

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White अफ़सोस इतना गहरा नहीं 
कि सब कुछ मिटा देने को मन करे 
ना ही दुख इतना गहरा 
कि ख़ुद को ख़त्म कर लूँ 
बस निष्प्रभ हूँ, 
डगमगाता , लड़खड़ाता सा 
कितने फ़ैसले जो मैंने लेना चाहे 
उन्हें लेने और ना लेने का 
खामियाजा भुगतता हुआ 
कभी सोचता हूँ अपने अकेलेपन में 
अगर ऐसा होता तो क्या होता 
अगर ये कर लिया होता तो क्या होता
क्या ये होता.. या फिर..... 
इन्हीं सवालों में अक्सर उलझ जाता हूँ

©हिमांशु Kulshreshtha अक्सर...
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