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Adv.Pramod@Basti
Vijay Vidrohi
Rashmi Yadav
यह भोपाल की तस्वीरें जो आज न्यूज़ पेपर में आई है हर साल घटता हुआ ग्रीन कवर अब न पसंद आ पहुंचा है विकास के नाम पर हम अपने जीवन को दांव पर
Upendra Dubey
पावर ग्रिड ने किसान के खेत में पेड़ काट खड़ा कर दिया टॉवर, अब तहसीलदार की मांग रहे साइन। सिंगरौली साहब! मैं खम्हरिया निवासी अनंतलाल साकेत पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा मेरे खेत में लगाए गए टॉवर और काटे गए पेड़ के मुआवजा के लिए पिछले एक साल से परेशान हूं। पावर ग्रिड कंपनी ने मनमानी तरीके से पेड़ों की कटाई कर टॉवर लगा दिए गये और हमारे खेत मे लगे 2280 पेड़ों का मुआवजा आज तक कंपनी द्वारा भुगतान नहीं किया है।फरियादी ने बताया कि इससे पूर्व भी कई बार कलेक्टर से शिकायत की गई, यहां भी अब तक कोई निराकरण नहीं हुआ। अनंतलाल साकेत ने बताया कि पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के अधिकारी ने नोटिस दिया था कि आपके खेत के पेड़ काटे जाएंगे, और विद्युत टॉवर लगाया जाएगा। एवं टॉवर व काटे गए पेड़ों का पैसा भुगतान कर दिया जाएगा। इसके कुछ माह बाद कंपनी द्वारा टॉवर लगाते हुए तार खींचा गया, पेड़ों की भी कंपनी द्वारा कटाई कर ली गई, अब मुआवजे की मांग में उनका कहना है कि तहसीलदार से लिखवाकर दो कि जो टॉवर लगा है आपके ही खसरा क्रमांक में लगा हुआ है। तो कभी कहा जाता हैं कि तहसीलदार के साइन के बाद ही भुगतान किया जायेगा आपकी फाइल तहसीलदार के पास है तरह तरह के बहाने बाजी कर फरियादी को परेशान किया जा रहा हैं वहीं फरियादी भी अब अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते परेशान हो गया हैं लेकिन पावर ग्रिड कंपनी द्वारा काटे गए पेड़ों के मुआवजे की भुगतान नहीं कि जा रही हैं। ©Upendra Dubey पावर ग्रिड ने किसान के खेत में पेड़ काट खड़ा कर दिया टॉवर, अब तहसीलदार की मांग रहे साइन। सिंगरौली साहब! मैं खम्हरिया निवासी अनंतलाल साकेत
Divyanshu Pathak
ईश्वर ने अपनी सृष्टि में इतनी सूक्ष्म व्यवस्था रखी है कि ग्रहों नक्षत्रों उपग्रहों आदि की स्थिति और गति में अंश मात्र का परिवर्तन भी नहीं होता। सौर मण्डल तो अभी मनुष्य की पहुंच से बाहर है इसलिए वहां सृष्टि के नियमों में छेड़छाड़ मनुष्य के वश की बात नहीं है। उसका वश पृथ्वी पर ही चलता है और यहीं उसकी छेड़छाड़ चलती रहती है। इसी छेड़छाड़ के परिणाम भूकम्प,सुनामी,अकाल,अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के रूप में सामने आते रहते हैं। इन आपदाओं के कारणों की व्याख्या वैज्ञानिक अपने ढंग से करते हैं और पर्यावरणविद् अपने ढंग से। वैदिक विज्ञान जैसी गहराई कहीं दिखाई नहीं देती। हम भी पर्यावरण की धज्जियां उड़ा रहे हैं। तेल-पानी-सोना-खनिज के नाम पर धरती को पोला कर रहे हैं। पेड़ काटकर एक ओर पक्षियों की प्रजातियों को नष
i am Voiceofdehati
अब आक्सीजन भी बिकने लगी है बाजार में पापा मेरे लिए भी खरीद दो (आगे_ अनुशीर्षक में पढ़ें) #चिंतन_मनन_व_मंथन ★मानव_जल_आक्सीजन_और_प्लास्टिक_का_डिब्बा★ आज की स्थिति यह संकेत दे रही है कि आक्सीजन खत्म होने को है लेकिन लोग इससे भी नह