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Parasram Arora
White उलझन वाले छंदो मे उलझ कर कविता मेरी थक कर हाफने लगी है लगता है अब एक नई कविता मन के केनवास पर कहीं जन्म न लें रहीं हो ©Parasram Arora i एक नूई कविता का प्रजनन
i एक नूई कविता का प्रजनन
read moreWriter Mamta Ambedkar
White मन का जख्म बदन पर जो लगे, वो जख्म भर जाते हैं, वक़्त की मरहम से, दर्द भी मिट जाते हैं। पर जो गहरे घाव, मन के भीतर लगते हैं, वो हर धड़कन के संग, फिर से जी उठते हैं। न कोई मलहम, न कोई दवा कारगर, इन घावों को बस, सहेजना ही है बेहतर। ये घाव सिखाते हैं, जीवन का एक पाठ, हर दर्द के पीछे छुपा, कोई अटल सत्य का साथ। तो मन के जख्मों को, बस प्यार से थाम लो, दर्द की इस धारा में, खुद को पहचान लो। क्योंकि मन का घाव ही, तुम्हें मजबूत बनाएगा, और जीवन के हर मोड़ पर, नया सूरज दिखाएगा। ©Writer Mamta Ambedkar #sad_quotes हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता प्रेम कविता
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read moreWriter Mamta Ambedkar
White हम सफ़र हज़ार फासले होने के बावजूद बडा सुकून हमें तेरा ख्याल देता है हज़ार फासले होने के बावजूद हज़ार फासले होने के बावजूद, तेरा ख्याल दिल को उजाल देता है। दूर रहकर भी जो पास लगे, ऐसा एहसास तेरा कमाल देता है। तेरी यादें बसी हैं सांसों में, हर धड़कन तुझसे सवाल करता है। क्यों दूरी का शिकवा करें, जब तेरा ख्याल ही जवाब देता है। बिछड़ने का ग़म होता है पर, तेरे ख्याल से हर दर्द टल जाता है। जैसे दूर चाँद को देखकर भी, मन को उसका नूर बहाल देता है। इस दिल का क्या हाल कहें, जो हर घड़ी तुझे पुकार देता है। ©Writer Mamta Ambedkar #love_shayari प्रेम कविता हिंदी कविता कविता कविताएं कविता कोश
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read moreकवि प्रभात
मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब तक प्रियतम | जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम || ©कवि प्रभात हिंदी कविता कविता कोश कविता
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read moreनवनीत ठाकुर
जमीन पर आधिपत्य इंसान का, पशुओं को आसपास से दूर भगाए। हर जीव पर उसने डाला है बंधन, ये कैसी है जिद्द, ये किसका अधिकार है।। जहां पेड़ों की छांव थी कभी, अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी। मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया, ये कैसी रचना का निर्माण है।। नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने, पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है। प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र, बस खुद की चाहत का संसार है। क्या सच में यही मानव का आविष्कार है? फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है, सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है। बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है, उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है। हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है, किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है, इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।। हरियाली छूटी, जीवन रूठा, सुख की खोज में सब कुछ छूटा। जो संतुलन से भरी थी कभी, बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।। बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है। हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है? ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है? क्या यही मानवता का सच्चा आकार है? ©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता
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read moreKavi Aditya Shukla
White लिया था प्रण लिखने को रश्मिरथी पर लिख रहा हूं मधुशाला ©Kavi Aditya Shukla कविता कोश कविता
कविता कोश कविता
read moreAnita Mishra
बाबूजी ले लो एक दीया मेरे घर का दीया भी जग जाएगा मनाओगे पटाखों से दिवाली तुम मेरे घर का चूल्हा भी जल जाएगा ऊंचे भवनों की शान बड़ी वहाँ विदेश का माल ही बिकता है ले लो -ले लो यह देसी तुम इसमें तो प्यार भी दिखता है खरीद लोगे गर तुम हमसे कुछ संग दुआएं भी तो पाओगे आप के कारण हम बच्चे भी दिवाली का जशन मनाएंगे ©Anita Mishra #Diwali हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश कविता
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read moreसारिका
White मणी ठाव नव्हता रोज उमगलेल्या दिवसला मी नव्याने बहरते का कुणास ठाऊक आज मी मलाच नवीन भासते इवले इवले हात आता मोठे झाले डोक्यावर कर्तव्याचे ओझे आले जगरित समजायला आता समज आली होती आपली आपली वाटणारी माणसं परकी भासत होती ओरडून सांगावे किती काही सहन केलंय मन घुसमटून एकटच निपचित पडले सगळ जग गर्दी करून होते पण माझ्यासाठी कोणीच नव्हते ©स्वानंदी #sad_quotes मराठी कविता प्रेम कविता कविता मराठी कविता Hinduism
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read morebina singh
White दिल में जो दर्द हो तो दवा लीजिये दिल ही जब दर्द बन जाये तो दुआ कीजिये ख्वाब जब तक आँखों में राहत दे तो उन को सजा लीजिये ख्वाब जब जीना मुश्किल करने लगे तो इन ख्वाबों को जला दीजिये प्यार जब तक दे आपको इज्जत ,राहत, वफ़ा और सुकून तो प्यार का रिश्ता दिल से निभा लीजिये प्यार जब छीन ले राहत सुकून और होने लगे बेवफा तो ऐसे प्यार को दिल से मिटा दीजिए जब अपनों की जरूरत हो और साथ दे कोई ऐसे अपनों पर जान लूटा दीजिये जरूरत में अपने अगर हाथ छुड़ाकर आगे निकल जाए ऐसे अपनों को दिल में जिंदा दफना दीजिए....By Bina singh ©bina singh #sad_dp कविता प्रेम कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी
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