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theABHAYSINGH_BIPIN

#Sad_Status देख कर तुझको पहली बार, मेरे दिल पर शामत आई थी। मैं होश में कहाँ था उस वक़्त, जज़्बातों में लहर सी आई थी। सुध-बुध खोकर बैठा था

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White देख कर तुझको पहली बार,
मेरे दिल पर शामत आई थी।
मैं होश में कहाँ था उस वक़्त,
जज़्बातों में लहर सी आई थी।

सुध-बुध खोकर बैठा था मैं,
आँखों में चमक सी आई थी।
दुनिया की फिक्र किसको थी,
मेरी जान जाँ पर बन आई थी।

तेरे ही एहसासों में जीने का,
ये कैसी जुनून मुझपे छाई थी।
मैं, धड़कन और रूह ने मेरी,
दुनिया से नाता तोड़ आई थी।

मिलकर तुझसे ये एहसास हुआ,
तूने जिंदगी मेरी लौटाई थी।
डुबकर तुझमें ये एहसास हुआ,
मेरे दिल को सुकून सी आई थी।

तुम मुझसे दूर जाकर भी तुमने,
जीने का तरीका सिखलाई थी।
तुमसे बिछड़कर ये एहसास हुआ,
तेरी यादों में राहत सी आई थी।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status 
देख कर तुझको पहली बार,
मेरे दिल पर शामत आई थी।
मैं होश में कहाँ था उस वक़्त,
जज़्बातों में लहर सी आई थी।

सुध-बुध खोकर बैठा था

theABHAYSINGH_BIPIN

#Sad_Status मैं बैठे-बैठे सोच रहा था, उनकी तस्वीरें ताक रहा था। मन के कोने में हलचल थी, लबों पर नाम सजा रहा था। बीती यादों का सैलाब उमड़ा,

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White मैं बैठे-बैठे सोच रहा था,
उनकी तस्वीरें ताक रहा था।
मन के कोने में हलचल थी,
लबों पर नाम सजा रहा था।

बीती यादों का सैलाब उमड़ा,
गुज़रा वक्त भी सता रहा था।
जिक्र उनका अब जरूरी नहीं,
खयालों में डूबता जा रहा था।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status मैं बैठे-बैठे सोच रहा था,
उनकी तस्वीरें ताक रहा था।
मन के कोने में हलचल थी,
लबों पर नाम सजा रहा था।

बीती यादों का सैलाब उमड़ा,

theABHAYSINGH_BIPIN

#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे

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कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे हैं,
सर्दी ने रोका हर काम।
हिम्मत भी थरथर कांप उठी,
लिपटे हम गर्म चादर में।

उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है,
किसने बर्फ डाल दी पानी में?
कौन है जो यूं कहर ढा रहा,
पूरे गांव को कैद किया है घर में?

राह अंधेरी, जमी हुई है,
थोड़ी उम्मीद बची है मन में।
चलता हूं बस सहारे इसके,
जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में।

शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात,
आलस ने ले लिया गिरफ्त में।
यह कैसा दिन, एक पल न सुहा,
सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में।

हर कदम जैसे थम सा रहा,
जीवन को ढो रहा धुंध में।
क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी,
या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में?

©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter 
कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे

Shyarana Andaaz (अज्ञात)

Faiz Ahmed Faiz Shyari #piyushmishra

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Nazia Shereen

Irfan Saeed

हम भी तो उसकी ज़हर से गुजारा करते है.. #Shayari Poetry Love Asif Hindustani Official Arshad Siddiqui R Ojha Anshu writer Parwaaz-e-Qa

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sna_quadri_786 Noor e dariya

SYED NAQI BABA QUADRI NOOR-E-DARIYA #nooredariya #noor #Youtube #Following #follow4follow #ishq #vrial

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