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Rabindra Prasad Sinha
चबन्नी छाप मतदाता ने चुना अठ्ठनी छाप सांसद रूपैया छाप राजा ने लगायी सांसदों की बोली बिक गये सांसद कौडियों के दाम बिक गया जन गन बे मोल बे भाव मतदाता के एक हिस्से ने तालियाँ बजायी दूसरे ने मुँह बनाया यह कहानी किस देश की है आपको समझ आया ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
White धर्म ने बचाया तो मारा भी प्रेम ने मारा नहीं कभी सिर्फ बचाया है सभी को ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
BANDHETIYA OFFICIAL
White 'नानी' याद आ गई 😂😂😂😂😂 नाय................. नीती...🥰 ©BANDHETIYA OFFICIAL #नानी याद आ गई 🥰
Rabindra Prasad Sinha
शिकारी किसी पेड़ किसी फूल किसी तितली किसी हिरण किसी मंदिर या कहीं और सिर नवाता हो तो यह मत समझना कि उसका हृदय परिवर्तन हो गया है हो सकता है कि वह शिकार करने की किसी नयी अदा की जुगत में हो ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Rabindra Prasad Sinha
झूठ तुम तो झूठ हो तुम्हारी कलईदार चमक आज नहीं तो कल उतर जायेगी सच कलई का मोहताज नहीं उसकी आँखों में धूल झोंक कर उसकी आँखें बंद कर सकते हो पर उसकी आत्मा के सूरज का क्या करोगे सच तो तुम्हारी लगाई आग में और भी दमकेगा दूबकेगा नहीं ©Rabindra Prasad Sinha #अ आ
Gopal Pandit
बड़ी मुद्दत के बाद आज उसकी याद आ गई सोचा नहीं था मगर वो फिर पास आ गई तकलीफ़ में था मैं एक अरसे से "पंडित" उसकी याद आकार मुझे राहत पहुंचा गई #गोपाल_पंडित ©Gopal Pandit बड़ी मुद्दत के बाद आज उसकी याद आ गई सोचा नहीं था मगर वो फिर पास आ गई तकलीफ़ में था मैं एक अरसे से "पंडित" उसकी याद आकार मुझे राहत पहुंचा ग
बड़ी मुद्दत के बाद आज उसकी याद आ गई सोचा नहीं था मगर वो फिर पास आ गई तकलीफ़ में था मैं एक अरसे से "पंडित" उसकी याद आकार मुझे राहत पहुंचा ग #Love #poem #शायरी #गोपाल_पंडित #gopal_pandit #dear_ज़िंदगी #बेवफ़ा_ज़िंदगी
read moreदूध नाथ वरुण
White मौसम ये सुहानी आ गई,चहुं ओर बहारें छा गई। ऐसे में जो तूने छुआ मुझे,मेरे सैयांजी मैं शर्मा गई।। ©दूध नाथ वरुण #मौसम #ये #सुहानी #आ #गई
दीपा साहू "प्रकृति"
'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुंध कैसी छा गई। रास्ते अपरिचित है नज़र गली तुम्हारी वो कहाँ गई बरस बीत गए आँखों में नमी, है सिकन की एक रेखा आ गई। है खंडहर सी पड़ी ये दीवारें, संग रंग सारे बिखरा गई। तुम नहीं मिले कहीं,वो घर तुम्हारा एक ताला देख मन भरमा गई। किसी उम्मीद में कि तुम मौजूद होंगे, नामौजूदगी तुम्हारी वहाँ समा गई। कि उल्टे कदम लौट आने लगे, तभी मौत की तुम्हारी खबर आ गई। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakriti_ #deepliner #poetry #love #SAD #you hj 'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुं
#Prakriti_ #deepliner #Poetry love #SAD #you hj 'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुं
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