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arvind kumar राजद
सभी देशवासियों 2019 का नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण न संसिता नमः तस्य नमः तस्य नमः तस्य नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण न संसिता नमः तस्य नमः तस्य नमः तस्य नमो नमः #संगीत
read morearvind kumar राजद
सभी देशवासियों 2019 का नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण न संसिता नमः तस्य नमः तस्य नमः तस्य नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण न संसिता नमः तस्य नमः तस्य नमः तस्य नमो नमः #संगीत
read moreAsheesh Kumar Mishra
देशवंशजनैकोऽपि कायवाक्चेतसां चयै । येन नोपकृतः पुंसा तस्य जन्म निरर्थकम् ।। #Motivational
read morepandeysatyam999
यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्। स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्तवा वसेत्सुखम्॥ जिसे किसी के प्रति प्रेम होता है उसे उसी से भय भी
यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्। स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्तवा वसेत्सुखम्॥ जिसे किसी के प्रति प्रेम होता है उसे उसी से भय भी #nojotophoto
read moreManku Allahabadi
पूजावसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे। तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥ अर्थात- प्रात: शिवपुजन के अंत में इस रावणकृत शिव ताण्डव स्तोत्र के गान से लक्ष्मी स्थिर रहती हैं तथा भक्त रथ, गज, घोड़ा आदि संपदा से सर्वदा युक्त रहता है. शिव तांडव स्त्रोत (श्लोक-17) ©Manku Allahabadi शिव तांडव स्त्रोत (भाग - 17) ............................................. पूजावसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे। तस्य स्
शिव तांडव स्त्रोत (भाग - 17) ............................................. पूजावसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे। तस्य स् #Shiva #mahadev #विचार #bambhole #mankuallahabadi #shivtandavstotram
read morePnkj Dixit
#OpenPoetry 🚩ॐ सुप्रभात 💐🙏🚩 यो यस्य प्रतिभूस्तिष्ठेद्देर्शनायेह मानव: । अदर्शयन् सतं तस्य प्रयच्छेत्स्वधानादृणम् ।। .. जो व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को प्रस्तुत करने का उत्तरदायित्व लेता है , पर उसे प्रस्तुत नहीं कर पाता , उसे उस दूसरे व्यक्ति का ऋण स्वंय चुकाना चाहिए । ।। 🚩ॐ वन्दे वेद प्रकाशम्🚩 🚩जय वैदिक सनातन धर्म संस्कृति🚩 🚩जय श्री राम🚩 🚩ॐ सुप्रभात 💐🙏🚩 यो यस्य प्रतिभूस्तिष्ठेद्देर्शनायेह मानव: । अदर्शयन् सतं तस्य प्रयच्छेत्स्वधानादृणम् ।। .. जो व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को
🚩ॐ सुप्रभात 💐🙏🚩 यो यस्य प्रतिभूस्तिष्ठेद्देर्शनायेह मानव: । अदर्शयन् सतं तस्य प्रयच्छेत्स्वधानादृणम् ।। .. जो व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को
read moreShaarang Deepak
Er.Shivampandit
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्। दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्। रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये ॥ ©Er.Shivam Tiwari #जय_हनुमान अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्। दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्। रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ मनोजवं
#जय_हनुमान अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्। दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्। रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ मनोजवं #Society #प्रेम #nojotohindi #बनारस #nojotoapp #nojotonews
read moreDigg
Truth 🌟 Love❤️ Peace 🌈 Truth :- होइहि सोई जो राम रचि राखा ! कोकरि तर्क बढ़ावै साखा !! Whatever Lord Ram has destined, Only That shall happen , Why should somebod
Truth :- होइहि सोई जो राम रचि राखा ! कोकरि तर्क बढ़ावै साखा !! Whatever Lord Ram has destined, Only That shall happen , Why should somebod #Love #Krishna #peace #spiritual #nojotoLove #Shiv #shivaki
read moreVikas Sharma Shivaaya'
भगवान शिव ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विनाश के लिए क्रमश: ब्रह्मा,विष्णु और महेश (महेश भी शंकर का ही नाम है) नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की रचना की है- इस तरह शिव ब्रह्मांड के रचयिता हुए और शंकर उनकी एक रचना..., कहा जाता है कि भगवान शिव स्वयंभू है जिसका अर्थ है कि वह मानव शरीर से पैदा नहीं हुए हैं. जब कुछ नहीं था तो भगवान शिव थे और सब कुछ नष्ट हो जाने के बाद भी उनका अस्तित्व रहेगा. भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है जिसका अर्थ हिंदू माइथोलॉजी में सबसे पुराने देव से है. वह देवों में प्रथम हैं..., शिव पुराण में लिखा है कि भगवान शिव स्वयंभू हैं, यानी उनका जन्म अपने आप ही हुआ है। वहीं, विष्णु पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु के माथे से निकलते तेज से शिव की उत्पति हुई थी और उनके नाभि से निकलते हुए कमल से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ था...! विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 407 से 418 नाम 407 प्राणः प्राणवायुरूप होकर चेष्टा करने वाले हैं 408 प्राणदः प्रलय के समय प्राणियों के प्राणों का खंडन करते हैं 409 प्रणवः जिन्हे वेद प्रणाम करते हैं 410 पृथुः प्रपंचरूप से विस्तृत हैं 411 हिरण्यगर्भः ब्रह्मा की उत्पत्ति के कारण 412 शत्रुघ्नः देवताओं के शत्रुओं को मारने वाले हैं 413 व्याप्तः सब कार्यों को व्याप्त करने वाले हैं 414 वायुः गंध वाले हैं 415 अधोक्षजः जो कभी अपने स्वरुप से नीचे न हो 416 ऋतुः ऋतु शब्द द्वारा कालरूप से लक्षित होते हहैं 417 सुदर्शनः उनके नेत्र अति सुन्दर हैं 418 कालः सबकी गणना करने वाले हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' भगवान शिव ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विनाश के लिए क्रमश: ब्रह्मा,विष्णु और महेश (महेश भी शंकर का ही नाम है) नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की
भगवान शिव ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विनाश के लिए क्रमश: ब्रह्मा,विष्णु और महेश (महेश भी शंकर का ही नाम है) नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की #समाज
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