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गौरव प्रसाद

टीवी पर किसी मासूम ने कहा,
पापा होली में घर आने वाले थे। #nojoto #hindi #attack #pulwama

DIGVIJAY Singh

tamilnadu me hindi par attack #News

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Dipu Kumar sayar

monkey attack in my city #Life

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Manisha Keshav

Rupesh P

बहादुर: अंतिम भाग

बोलने की ज़रुरत नहीं थी कि जो भी था उसे टरकाना था, दरवाज़ा खोलते ही 'शलाम शाब' की आवाज़ आयी,मानो भगवान ने बहादुर के रुप में देवदूत भेज दिया हो,मेरे पास सिर्फ तीस सेकण्ड का वक्त था, मेरा दिमाग तेज़ी से चलने लगा,मैंने बहादुर को बोला-'आज चारों पेटियाँ आ गई हैं,आज तुम गुप्ताजी की दुकान में ही रहो,वो हिसाब कर देंगे" और मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया , बहादुर ने क्या समझा क्या नहीं पता नहीं पर बदमाशों ने उसके जाते ही मुझ पर धावा बोल दिया-"बोल कौन सी पेटी??" मैंने आँगन में रखी अमरुद की चार पेटियाँ दिखा दीं, बोला वो किसान है, गुप्ता जी उसे पैसे देंगे, वो कुछ संतुष्ट दिखे तो मेरी जान में जान आयी पर अभी कुछ पता नहीं था बहादुर को क्या समझ आया, वैसे भी उसकी हिंदी ज़रा कमज़ोर ही थी,पर एक भाषा होती है आँखो की जो सारे शब्दों से प्रबल और स्पष्ट होती है,जैसे भूखे बच्चे की बोली उसका रोना है जो शब्दों का मोहताज नहीं,संकट की इस घङी में भी मैं फिलॉसॉफी झाङ रहा था यह सोचकर मुझे बरबस हँसी आ गई,उधर बाहर बहादुर उलझन में था-"ये कैशा बर्ताव किया शाब ने? क्या बोल रहे थे? कौन शी पेटी?"वो गुप्ता जी की दुकान में जाकर बैठ गया, गुप्ता जी राजनीति के खासे शौकीन आदमी थे, पेट चलता था किराने की दुकान से पर साँसे चलती थी राजनीति की उठापटक के साथ, गुप्ता जी ठहरे एक पार्टी के कट्टर समर्थक सो ये तो सहज था कि सब काम छोङकर वो लगे होंगे एक्जिट पोल के परिणाम देखने में, बस यहीं मेरा दिमाग चल गया और एक दाँव खेल दिया, बहादुर परेशान सा पहुँचा गुप्ता जी की दुकान में, उसने पूछना चाहा कि कौन सा हिसाब करना है? पर गुप्ता जी तो गङे हुए थे टी वी में, तभी अचानक टी वी पर ब्रेकिंग न्यूज़ आया कि फलाँ बूथ में बूथ केप्चरिंग हो गई है,चार पेटियाँ गायब हैं,बहादुर का माथा ठनका कहीं.....वो भागा मकान की ओर, बङे दिनों के बाद उसे अपने मन का काम करने का मौका मिला था , किसी की रक्षा करने का काम, अपनी स्वामी भक्ति दिखाने का काम, अपने हुनर के मुताबिक वो मोहल्ले के गली गली चप्पे चप्पे से वाकिफ था, उसने पीछे की दीवार फाँद कर घर के अंदर प्रवेश किया, उसने कुछ आवाज़ें सुनी झाँक कर देखा तो उसका शक यकीन में बदल गया,आहट सुनकर मेरा ध्यान उस ओर गया तो बहादुर की छाया देख मेरा साहस चार गुना बढ गया, तभी उनमें से एक ने मुझे किचन से पानी लाने को कहा , मैं ऐसे ही किसी मौके की तलाश में था, अंदर मैंने पहले ही जाल बिछा रखा था, गैस पर कङाही में तेल गर्म हो रहा था, टेबल फैन के सामने एक प्लेट में लाल मिर्च पावडर रखा जा चुका था,और अब बैक अप भी आ चुका था, मैंने प्लान के मुताबिक किचन के सारे बरतन गिरा दिये , आवाज़ सुनकर उनका एक साथी उठा और किचन की ओर भागा, दरवाज़ा खोलते ही उसे लाल मिर्च पावडर का स्वाद चखना पङा, वो बिलबिलाता हुआ बाहर की ओर भागा, बाकि तीन सतर्क हो गये,एक ने बंदूक के साथ दरवाज़े पर चोट की और अंदर दाखिल हुआ, पैर ज़मीन पर बिखरे तेल पर पङे और मौका देखकर मैंने गर्म तेल से उसे स्नान करवा दिया , बस यहाँ मेरा मिशन खत्म हुआ, अगले ही पल मैं रस्सियों से बँधा हुआ कोने पङा था, कितने वार हुए पता नहीं,अचानक सर पर ज़ोर की चोट हुई और मैं बेहोश हो गया,जब आँख खुली तो देखा बहादुर किचन के दरवाज़े के पास खङा हुआ था , वही चितपरिचित सम्मोहित कर देने वाली मुस्कान लिये,मैं खुश होकर उसकी ओर बढा रास्ते में, तीन बदमाश चित पङे थे , हमारी जीत हो चुकी थी, मैंने खुशी में बहादुर को ताली दी पर ये क्या़!!!......बहादुर ज़मीन पर गिर पङा!!!मुस्कान कायम थी, उसकी पीठ पर छः इंच लंबा चाकू धँसा हुआ था,उसके पीछे चौथा बदमाश भी ढेर पङा था, बहादुर ने अपना काम पूरा कर दिया था,मैं जहाँ था वहीं जम सा गया,भाव हीन सा , तभी शायद शोर सुनकर पङोसियों ने दरवाज़ा तोङ दिया,मम्मी-पापा बाहर आ चुके थे और मुझे दिलासा दे रहे थे, जाने क्या क्या गतिविधियाँ चल रही थी कुछ पता नहीं, मेरी आँखो के सामने बहादुर के चलचित्र घूम रहे थे,उसकी वो मुस्कान जो मौत भी उससे छीन न सकी,........एक ज़ोर की सीटी की आवाज़ से मेरी तंद्रा टूटी, देखा चार बज चुके थे, बाहर कङाके की ठण्ड में एक और बहादुर पहरा दे रहा था,ताकि हम चैन से सो सकें,मेरा मन आदर से भर गया,मुझे मेरे ही शब्द याद आ गये 'ये चीनी शक्ल वाले एक ही साँचे में ढले होते हैं, एक ही फैक्टरी में बने होते हैं' और अगले ही पल मैनें खुद से कहा "इनकी शकलें न सही पर अदम्य साहस,ईमानदारी, और समर्पण एक ही साँचे में ढला है, एक ही फैक्ट्री में बना है...."

समाप्त

लेखक: रूपेश पाण्डेय 'रूपक' #Art #story #Hindi

Neha Mittal

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Hidden Art

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Prathiteshwar Jha

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Modassir Galaxy

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Ak Saini

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