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Darlo the king 🦁🐯
अपना घर बार छोड़ शहर चला आया था थक जाएगा मिटी के पुतलों के बीच बेटा मेरी मां ने मुझे समझाया था । आज वक्त ने करवट ली और बापिस जा रहा हूं वहीं जहां से में आया था । जा रहा है हम सबको छोड़ कर बापिस मुड़के आएगा ये मेरी मां ने समझाया था । कोई नी मिलेगा तुझे तेरे गांव में भी तेरा जब तू बापिस आएगा । ये तो वक्त है बेटा बापीस मुड़के आएगा हम नहीं होंगे तेरे पास तब तुझे कोन समझाएगा मत जा यहां से तू फिर बापिस आएगा तू फिर बापिस आएगा । ........✍️ साधु बाबा मजदूर का अनुभव
AMIT
हर एक मोड़ पर खाई है.. तुमसे भी गाली खा लूंगा, मजदूर हूं साहब..जाने दो.. मैं पैदल ही चला जाऊंगा, वो भीड़ देखते हो पीछे.. इन सब ने डंडे खाए हैं, इनमें से कुछ तो ऐसे हैं..जो भूखे पेट ही आए हैं, बच्चों को गोद में लिया हुआ..और सर पर बोझा भारी है, घर जाने की जिद है बस... और पैदल चलना जारी है, जिसमें पायल पहनाई थी..अब उसमें पट्टी-मरहम हैं, इन नन्हे पांवों के छाले..जिंदा मौत से क्या कम हैं, मासूम की हिम्मत बोल गई.. तब मां की ममता ने सींचा, वो सूटकेस पर लेट गया...मां ने उसे मीलो तक खींचा, यहां पर रुककर जो झेल लिया..बस उतना ही अब काफी है, हमको तो ये तक नहीं पता.. अभी कितना रास्ता बाकी है, अब मत रोको मुझे जाने दो..मेरी मां का आंचल रीता है, उस गांव की मिट्टी छूनी है..जहां मेरा बचपन बीता है, गर मरना है तो वहां मरूं.. जहां खेले कन्चे..गोटी है, मुझे शहर की भीख नहीं लेनी..मेरे गांव में भी तो रोटी है, है कसम मुझे इस बार गया..तो वापस नहीं फिर आऊंगा..! मजदूर हूं साहब..जाने दो.. मैं पैदल ही चला जाऊंगा..!! -------अमित मजदूर का दर्द
Shiv Goriya Goriya
दर बदर घूमता मजदूर बेचारा कोई नहीं सहारा है ए भूल है साहब आप लोगो की जिसकी महेनत से तुम आज खा रहे हो आज भूखा ओ बेचारा है एक मजदूर का दर्द
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी भूखे पेट की आग में तपकर श्रम का उत्पादन करता है विकाश के हर कण कण में उसका ही लहू महकता है भरी दोपहरी हो,या रात्रि का अंधियारा उसका श्रम सूरज जैसा चमकता है देश का असली भाग्य विधाता शोषण की मार से अभागा अभागा फिरता है सारी सियासतों की हम दर्दी उनसे न्यूनतम वेतन नही मिलता है काम के आठ घण्टे बारह कर दिये शासन की मक्कारी है सांसद विधायको के वेतन जारी मगर श्रमिको के अधिकारों पर केंची चल रही है सरकारी प्रवीण जैन पल्लव मजदूर का श्रम #Onam2020
Nishant"nirnkush"
नींद कहाँ नसीब दिनभर काम के बाद वो तलाश में हैं रोटियाँ शाम के बाद निशान्त”निरंकुश” आलम यही है मजदूर का.......
Mishra Kaushal
इस बारिश से होता तो कुछ नही मुझे... फिर भी इक हसीं ख्वाब आ ही गया आज! कोई आये और कह जाये..... तोहार भूसवा भीजत बा,चला रखिवाय दी...!! #खेतिहर #बारिश #खेती_खसमा_सेती #misralove #misraword