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अनिल कसेर "उजाला"
मौसम बदल रहा है सम्हल के चल, दिल से दिल मिल रहा है सम्हल के चल। तूफां तो बहुत आयेंगे जिंदगी में तेरे, वक़्त भी निकल रहा है सम्हल के चल। ©अनिल कसेर "उजाला" सम्हल के चल
सम्हल के चल
read moreGhanshyam Ratre
शीत लहरें कोहरे का ठंडा का महिना है । गरम वाले सुती ऊनी वस्त्र लगते सुहाने हैं।। बहुत ठंडा लगता है ठंड से शरीर कांपते हैं। ठंडा में गर्मागर्म खाने के चीजें अच्छे लगते हैं।। ©Ghanshyam Ratre ठंडा के महिने
ठंडा के महिने
read moreनवनीत ठाकुर
White अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर में संभलना ज़रूरी। मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते हों या कांटे, हर फिज़ा में संघर्ष का होना ज़रूरी। हर असफलता से कुछ सीखा है, सच्चाई यही, अच्छे दिन आने तक मेहनत का होना ज़रूरी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर मे
#नवनीतठाकुर अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर मे
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क ओले राशन पानी पर गिराकर महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है मानक सफ़लता के सरकारों के पास है गफलत में हम, दम तोड़े जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
read moreAnuj Ray
White सुप्रीम कोर्ट के कानून और संविधान की बात मानकर चलने वाले कुछ लोग स्वयं को हिंदू प्रमाण करते हैं जिनको अपना सही दिए नहीं पता नहीं होता बड़ी-बड़ी सभा में बहुत तेज तकरार बहस भी करते हैं। मेरा एक प्रश्न है सुप्रीम कोर्ट कहता है एक विवाहित महिला विवाह के बाद छह मित्रों के साथ संपर्क बनाकर के शान से अपने परिवार में रह सकती है कितने हिंदू सनातनी इस बात से सहमत है। ©Anuj Ray # समाज के ठेकेदार"
# समाज के ठेकेदार"
read moreParasram Arora
White तपे हुए रेगिस्तान मे आज अचानक मौसम क्यों बदल गया है लगता है ये रेगिस्तान कही सरकता हुआ किसी गुलशन के नज़दीज न पहुंच गया हो आज ये गतिशील समय निरंतर चहल कदमी करते करते ठहर क्यों गया है लगता है " समय "घड़ी के रुके हुए काटो को देख सकते मे न आ गया हो ©Parasram Arora ठहरे हुए घड़ी के कांटे
ठहरे हुए घड़ी के कांटे
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