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Dilip Thakur
इस आग उगलती गर्मी, में अब दिखने लगी है नरमी। ठंडी ठंडी बूंदें जैसे ही ये छूदे, जरूर ये बरखा की है गहमा गहमी। सूखे हुए जो पेड़ हुए फिर से हरे भरे, दुबारा हो गए जिंदा अब तक थे मरे मरे। जादूगर है ये सावन कर देता सब मनभावन, फैलती है हरियाली इसके जो कदम पड़े। तालाब सभी पानी से भरे हुए लबालब, नदियां भी अपने उफान पे बह रहीं हैं अब। इंशा के तौर तरीके लगने लगे है फीके, तोड़ती है जब पानी बांध दीवारें सब। ©Dilip Thakur Hindi Poem on rain #rain #OneSeason
Jayesh Sadanand Badekar
बारीशौकी बुंदो के लिये तरस रही है ये धरती पाणी की आस लगा कर बैठा है सारा जहा... जिंदगी की डोर है कुदरत के हाथ मे ना जाने कौनसा खेल खेल रहा उपरवाला.... वसंत का महिना आ रहा निकट धरती पर आ गया कोरोना का संकट... ना जाणे ये नई बारीश क्या रंग दिखायेगी सुख या दुःख की कामना करेगी... #rain#rain #barish #hindi poem
Niखिल Baमणी
बारीश का मौसम आणे लगा चेहरो पे खुशीया लाने लगा पाणी की किल्लत समजणे लगा दौडे दौडे वो आने लगा। पाणी नही तो जीवन नही केहकर वो हसणे लगा उदासी चेहरो को देखकर उनपर वो बरसने लगा। चारो तरफ तारीफ होणे लगी बादल वो सूनकर गरजने लगे चलते चलते टकराने लगे रात मे ही दिन की रौशनी लाने लगे। सारी रात बरसने लगे पेढ पौधो को न्हलाने लगे सुब उठकर देखु मे सारा जमाना चमकने लगा किसिका खुशी का ठिकाना ना रहा। Niखिल Baमणी Poem on rain #MumbaiRains
Himanshu Shrivastava
मेरी आस्तीन में छुपे बैठे थे रिश्ते नहीं वो साँप थे सारे ©Himanshu Shrivastava #rain #poem #hindi #nojohindi #Nojoto