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रिपुदमन झा 'पिनाकी'
White आजकल खुद को बहुत जकड़ा हुआ पाता हूँ मैं। बंध गया हूँ दायरे में खुल नहीं पाता हूँ मैं। हो नहीं पाता हूँ बाहर उलझनों की क़ैद से- ज़िन्दगी के साथ खुल कर रह नहीं पाता हूँ। बोझ इक मन पर लिए हर दिन जिए जाता हूँ मैं। सोच के अंधे कुंए में रोज़ खो जाता हूँ मैं। है नहीं मिलता किनारा, हल नहीं मिलता कोई- ढूंढने में ख़ुद को ख़ुद से शून्य हो जाता हूँ मैं। कशमकश से मन भरा है कुछ न कर पाता हूँ। वक्त के साँचे में क्यूँ कर ढल नहीं पाता हूँ मैं। हो रहा है जो उसे स्वीकार करता जा औ चल- सोच मत पगले अधिक मन को भी समझाता हूँ मैं। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कशमकश
कवि प्रभात
तूने वो काम किया, जो न दुश्मन करे सोचे करने से पहले, रब से डरे ज्ञान तुझको भी होगा हो जैसा करम 2 फल करनी का वैसा भुगतान पड़े ©कवि प्रभात #GoldenHour कुमार विश्वास की कविता कविता कोश प्यार पर कविता
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read morehimesh
White DARKNESS 🌑 ©himesh #good_night कविता बारिश पर कविता
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read moreZindgi Ka Safar # priyaa
White जनाब यू इतराते है अपने गोरे रंग पर.. एक बार सांवले रंग पर फिदा होकर देखिये.. क्योंकि सितारे काले आसमान में ही खूबसूरत लगते हैं ©Zindgi Ka Safar # priya #good_night हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता कविता कोश हिंदी कविता
#good_night हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता कविता कोश हिंदी कविता
read moreWriter Mamta Ambedkar
White बारिश की बूंदे कितनी ख्वाहिश थी, बारिश की बूंदों को, आसमान से गिरकर, जमीन में दफ्न होने की। वो जो ऊंचाइयों में, बादलों की गोद में थीं, हर एक लम्हा सोचती थीं, धरती की मिट्टी से मिलने को। चमकते सूरज के डर से, बादलों में छुपती रहीं, पर दिल में हसरत थी, जमीन की आगोश में समाने की। फिर एक दिन बादलों ने भेजा उन्हें धरती को तोहफा बनाकर, जीवन को सींचने, और प्यास बुझाने। गिरती रहीं,झूमकर, नाचकर, हर पत्ती, हर शाख से लिपटकर, मिट्टी की खुशबू में, अपने अस्तित्व को मिटाने। दफ्न होकर मिट्टी में, वो बूंदें मुस्कुराईं, कि उनकी ख्वाहिश ने, जीवन को एक नई कहानी सुनाई। ख्वाहिशें भी ऐसे ही, अधूरी नहीं रहतीं, आसमान से गिरकर, ज़मीन पर मुकम्मल होती हैं। राइटर ममता आंबेडकर मोटिवेशनल कवित्री ©Writer Mamta Ambedkar #Sad_Status प्यार पर कविता कविता कोश प्रेम कविता कविता कविताएं
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read moreकवि प्रभात
White साँझ ढली फिर नहीं आयी वो आज फिर मैं राह देखते रहा होते रहा अधीर सोचते की किस खता की दे रही सज़ा 2 सोचते की कैसे हो गई बेपीर ©कवि प्रभात #good_night प्यार पर कविता कविता कोश
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read moreAlfaz-E-Dheeraj
अपना वो हैं, जो किसी और के लिए तुम्हें नज़रअंदाज़ ना करे। ©Alfaz-E-Dheeraj #BehtiHawaa हिंदी दिवस पर कविता Aaj Ka Panchang प्रेम कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता
#BehtiHawaa हिंदी दिवस पर कविता Aaj Ka Panchang प्रेम कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता
read moreकाव्य महारथी
आ. आभा गुप्ता , इंदौर, मध्यप्रदेश हिंदी दिवस पर कविता कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविता
read morePinky Mishra
White जब मिलते हैं फुर्सत के कुछ पल याद आते हैं बीते लम्हों के वे कल कुछ खुशियां थी कुछ थे गम आज याद करके रोते और हंसते हैं हम समय तो बदल जाता है पर जख्म कुछ यूं रह जाते हैं जिन्हें सिसकियां भरकर हम हर गम को भुलाते हैं कुछ पुरानी दास्तान कहीं नहीं जाती जितना हमने सहा आज के जमाने में उतना सहा नहीं जाता समय बदलता है बदल लो खुद को भी समय के हिसाब से आए थे इस जहां में अकेले जाएंगे भी अकेले बस गम को जीने का जरिया बना और जितनी हो सके खुशियां लूटाते रहो क्योंकि गम तो सिर्फ तुम्हारे हैं और यह तुम्हारे साथ ही जाएंगे दे सकते हो तो इस जहां को खुशियां ही दो ©Pinky Mishra #love_shayari प्रेरणादायी कविता हिंदी प्यार पर कविता
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read moreसाहेब
White मैं शिव सा तुम्हें चाहता हूँ मगर तुम सती सी कहीं खो जाती हो मैं तुम्हें राधा बनाना चाहता हूँ तुम कान्हा सी क्यूँ छोड़ जाती हो अब पार्वती बन आना अगले जनम मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ तेरे मोह में लिपटा बरसों से अब 'महादेव' होना चाहता हूँ ©साहेब #Shiva प्यार पर कविता
#Shiva प्यार पर कविता
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