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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White संध्या छन्द :- 221 212 22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।। पीडा समीप में डोले । तो राम राम वे बोले ।। कान्हा कहें सुनो राधा । वो भक्त ही बना बाधा ।। मीठी लगे हमें बोली । जो प्रेम से भरें झोली ।। जो आप पास में होते तो क्यूँ भला बता रोते ।। मैं तो करूँ सदा सेवा । औ चाहता मिले मेवा ।। जो दान में मिला देखा । ये भाग्य से बनी रेखा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संध्या छन्द :- 221 212 22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।।
Shivkumar
मां का सप्तम रूप है मां कालरात्रि का, क्षण में करती नाश दुष्ट,दैत्य, दानव का। स्मरणमात्र से भाग जाते भूत, प्रेत, निशाचर, उज्जैन से दूर हो जाते हैं पल में ग्रह-बाधा हर। उपवासकों को नहीं भय अग्नि, जल, जंतु का, नहीं होता है भय कभी भी रात्रि या शत्रु का। नाम की तरह रुप भी है अंधकार-सा काला, त्रिनेत्रधारी है माताजी सवारी है गर्दभ का। दाहिना हाथ ऊपर उठा रहता है वरमुद्रा में, बाया हाथ नीचे की ओर है अभय मुद्रा में। तीसरे हाथ में मां के है खड्ग, चौथे में लौहशस्त्र, विशेष पूजा रात्रि में मां की करते हैं तंत्र साधक। शुभकारी है दूसरा नाम मां कालरात्रि का, शुभ करने वाली है मां, है सबकी मान्यता। गुड़हल का पुष्प है प्रिय, गुड़ का भोग लगाते हैं, कपूर या दीपक जलाकर मां की आरती करते हैं। ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #navaratri #नवरात्रि मां का सप्तम रूप है मां #कालरात्रि का, क्षण में करती #नाश दु
Mukesh Poonia
White याद रखें कि कोई भी काम बिना बाधा के पूरा नहीं होता... सफलता उन्हीं लोगों के कदम चूमती है जो अंत तक प्रयास करते हैं। . ©Mukesh Poonia #SAD याद रखें कि कोई भी #काम बिना #बाधा के पूरा नहीं होता... #सफलता उन्हीं लोगों के #कदम #चूमती है जो #अंत तक #प्रयास करते हैं।
yoursecret
Shivkumar
जय हो तेरी ऋषि कात्यायन पुत्री मां कात्यायनी, स्वर्ण जैसे सुनहरी तन वाली आभा तेरी मन मोहिनी । ब्रह्मा,विष्णु व महेश के तेज से चतुर्थी को उत्पत्ति, उस दिन से असुरों पर आई बहुत बड़ी विपत्ति । कात्यायनी मां का छठे दिवस करो तुम ध्यान, सब बाधाएं दूर करें मां है कृपा निधान । लाल चुन्नी व मधु है मां को अत्यंत प्रिय, ध्यान रखना मिलेगा तुम्हें शौर्य । जग की तारणहार देवी का कात्यायनी नाम, मन से करो आराधना मिलेगा मोक्ष धाम । चार भुजा धारी करती सिंह की सवारी, दुःखों को तुम हरती हम हैं तेरे आभारी । सब देवी-देवताओं को थी तुमसे बहुत आस, दशमी को किया असुर महिषासुर का विनाश । कोई बाधा है अगर तुम्हारे विवाह में, हो जाएगी पूरी देवी मां की चाह में । हे ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी, रखना ध्यान तेरे चरणों में है यह कवि । मां कात्यायनी रोग,शोक, संताप,भय नाशिनी, मां कात्यायनी अर्थ,धर्म, काम,मोक्ष दायिनी । ©Shivkumar #navratri #नवरात्रि #नवरात्रि2024 जय हो तेरी ऋषि कात्यायन पुत्री मां कात्यायनी, स्वर्ण जैसे सुनहरी तन वाली आभा तेरी मन #मोहिनी । #ब्रह्मा
Sethi Ji
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 🌸 जय माता दी 🌸 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 माँ आज एक वादा कर दो हमेशा हमको अपने भक्त बनाने का इरादा कर दो कुछ नहीं अच्छा लगता आपकी भक्ति के अलावा कुछ नहीं सच्चा लगता आपकी शक्ति के अलावा बहुत तरसते आपके दर्शन के लिए माता रानी मेरी माँ अपने नवरात्रोँ के दिनों को थोड़े ज़्यादा कर दो 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️ 🏵️ चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें 🏵️ 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️ ©Sethi Ji ♥️🌟 चैत्र नवरात्रि 🌟♥️ चैत्र नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी देवी की विशेष पूजा और व्रत किया जाता हैं ।। धार्मिक मान्यता के अनुसार माँ
Shivkumar
अगर तुम एक कदम रुक गए तो । तुम सब से पीछे ही रह जाओगे ।। अब वो मंजिल भी दुर नही । बस कुछ ही मोड़ अभी और बकी है ।। एक पल भी मेरी नज़रों से मेरी मंजिल यु ओझल ना हो । दिल की धड़कन ही तो हरपल यही शोर सा करती है ।। चाहे गरजे बादल या बिजली ही चमके । घनी हो आंधियां या घनघोर बारिश बरसे ।। उसकी ओर हर मुश्किल को यु पार कर जाना है । अब वो मंजिल भी दुर नही बस कुछ ही मोड़ अभी और बकी है ।। पैर चाहे चलते-चलते क्यू न थक जाये । या कोई पथरीली रास्तो में बाधा डाले ।। एक भोर घने अंधियारे के बाद ही आती है । अगर तुम एक कदम रुक गए तो तुम सब से पीछे ही रह जाओगे ।। ©Shivkumar #trafficcongestion #traffic #Nojoto अगर तुम एक कदम रुक गए तो । तुम सब से पीछे ही रह जाओगे ।। अब वो मंजिल भी दुर नही ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Village Life सन्ध्या छन्द 221 111 22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा ।। साधू कब तक बोले । लोभी मन मत डोले ।। इच्छा जब बढ़ती है । वो तो फिर डसती है ।। हो जीवन फिर बाधा । बोले गिरधर राधा ।। मीठी सुनकर वाणी । दौड़े सब अब प्राणी ।। सोचा नहिँ कुछ आगे । जोड़े मन-मन धागे ।। १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सन्ध्या छन्द 221 111 22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा
Ravendra
Anjali Singhal