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Abhi
मेरी मां है वो ****************** मेरे जीवन का आरंभ, मेरी पहले भूख को शांत करने की पहली देवी है वो । मेरी पहली बग्गी, मेरे पहले कदम का सहारा, मेरे चलने की पहली कोशिश है वो । क्या लिखूं मेरी मां है वो... मेरे हर चोट का पहला शब्द, मेरे रोने पर जादू की झप्पी, बीमार होने पर पहली डाक्टरनी है वो । मेरा पहला अक्षर, मेरी पहली वर्णमाला, मेरी पहली पाठशाला है वो । क्या लिखूं मेरी मां है वो... पीटने के डर से, छिपने की पहली जगह, गलती हो जाने पर, दुबारा गलती ना करने की पहली सलाह है वो । घर से निकलने से पहले खाने की याद, लौटने पर कहीं से, पानी की तलाश है वो । क्या लिखूं मेरी मां है वो... सफलता पर पीठ थपथपाने वाली, असफलता पर गले से लगाने वाली । मुस्कुराना हमें सिखाने वाली, बुरे बालाओं से हमें बचाने वाली, जीवन देने वाली, जीना हमें सिखाती है वो । क्या लिखूं मेरी मां है वो... कितना लिखूं उनके विषय में, जिनके जीवन का विस्तृत अध्याय हूं मैं । "मेरी मां" ©Abhi मातृ दिवस पर मेरी कविता मेरी मां है वो...
NEERAJ SIINGH
कभी दिल देखना माँ मिलेगी कभी दिल देखना पिता मिलेगा कभी थोड़ा और देखना अंदर चलकर ढुढना वहीं खुदा मिलेगा राम श्याम शिव का घर तुम्हें वहीं अंदर ही मिलेगा #neerajwrites मातृ दिवस पर 🙏😊
Amar Anand
इस कायनात में हमें सबसे ज्यादा स्नेह अपनी मां से , दूसरा श्री कृष्ण से और तीसरा निः स्वार्थ परोपकार संगठन से है । इन तीनों की आज्ञा , उपदेश और सेवा से यदि किसी को आपत्ति है तो उसका सीधा वैर मुझसे है मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं #मातृ दिवस
Ashok Verma "Hamdard"
मां तुम कहां गई,ढूंढे अंखियां इस वसुंधरा पर छटपट छटपट करता मन नहीं दर्शन मां इस धरा पर,अखियां ढूंढे चहुओर मां तुम कहां गई? नही आती है नींद हमें मां, लोरी की ध्वनि न आने से नहीं आती है निंदिया भी अब,लाख उसे समझाने से सुना पड़ा है घर का मंदिर,गीत भजन न गाने से, अपना घर अब मुझे लगता है,खंडहर और बिराने सा मां तुम कहां गई ? रसोई से धन लक्ष्मी रूठी,नही मिलती बासी रोटी तेरे बिना है सुना आंगन बुझ गया चुल्लाह शांत है चौका,कर ली दोस्ती पेट पीठ से मां तुम कहां गई? घूम फिर कर जब कहीं से आता,ना मां कह कर तुझे बुलाता खुश हो जाती मुझे देख कर, आकर गले लगाती। मां तुम कहां गई ? ©Ashok Verma "Hamdard" मातृ दिवस
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
*मां* 🌹* मां * शब्द कितना पवित्र और महान है जिसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती। एक नारी तभी पूर्ण तभी होती है जब मां बनती है। पिता से पहले मां का संबंध अपनी संतान से उसके गर्भ से ही हो जाता है। गर्भ में जैसे जैसे वो बड़ा होता उसके हृदय के तार मां से जुड़ जाते है और मां उसकी मौन भाषा समझने लगती है। नौ मास का सारा दर्द उसके लिए एक खुशी में बदल जाता है। मां के बिना संतान उसी तरह होती है जैसे जल के बिना मछली। मां अनुपम है,अनमोल है और पूजनीय भी। वो खुशनसीब हैं जिनके पास मां होती है। मातृ दिवस के पावन शुभ अवसर पर मैं सभी माताओं के चरणों में शीश नवाता हूं।🌹🙏 ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # मातृ दिवस।
विद्यार्थी राहुल
मातृ दिवस ***************************** धन्य है यह देश और धन्य हैं यहां के ''भारत माता की जय'' वाले देश प्रेमी! अभी एक अजन्मे बच्चे की माँ को गालियां देने का दौर चल ही रहा था कि तबतक 'मातृ दिवस' आ गया। नमन पहुंचे उन माताओं को भी जिन्होंने ऐसे ''मातृभक्त'' नमूनों को जन्म दिया है काश! कि उन माताओं ने उन्हें बताया होता कि ''माँ''क्या होती है? काश! वो उन्हें ये समझा पायीं होती कि ''माँ'' स्वयं में एक पूर्ण अस्तित्व है ''बिना बाप'' के भी जैसे भारत माँ गंगा माँ, यमुना माँ, प्रकृति माँ धरती माँ, नानी माँ, भाभी माँ, तेरी माँ, मेरी माँ, सबकी माँ!! ★★अन्नपूर्णा अनु★★ मातृ दिवस