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Prerna Singh
White उसी शहर में हम आ गए हम जिस के वजह से एक दुसरे के तालुकात बिगाड़े । ©Prerna Singh #Romantic उसी शहर में हम आ गए हम जिस के वजह से एक दुसरे के तालुकात बिगाड़े । भटक रही हूं जंगल जंगल यही मेरी अब नियति हैं मैंने लक्ष्य क
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} जो अपनी गलतियों से सीखता है, और दुसरे तरीकें अपनाता है, वह् सफल होता है !! ©N S Yadav GoldMine #mountain {Bolo Ji Radhey Radhey} जो अपनी गलतियों से सीखता है, और दुसरे तरीकें अपनाता है, वह् सफल होता है !!
Adv Di Pi Ka
उसका लाख ही... किसी का खाल था। बस उसकी नजरों से नजर अंदाज था! या उसे नजर तो था पर उस पर... उसका अंदाज नजर अंदाज वाला था। ©Di Pi Ka #truecolors लेख का खेल कुछ इस तरह...जिसको जितनी जरूरत है उतना मौजूद है। और जिसको जितनी जरूरत नहीं उस से ज्यादा भी मौजूद है। एक विनती से तो द
Sangeeta Kalbhor
प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थरथरले काळीज दाटून नयनात अश्रूतून झुरझूरले काय चुकले माझे की मी माझेपण अर्पिले पाषाण ह्रदयी असणाऱ्याला शेंदुराने सजविले घाव बसता घावावर हाक तरी निघावी कशी निपचित पडून वेडे सत्त्व घेत असे वामकुक्षी ह्रदया तुझ्या कारणे मी काय काय सोसले शब्द आग ओकताना रे कुठले देऊ दाखले एक बरे जाहले मला वेडीला प्रेम रे घावले काळजाला काजळवणारे प्रेम मी रे जाणले..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #outofsight प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थर
AJAY NAYAK
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. किसी ने कहा, नाराज भी उसी से होते हैं जिसे, सबसे ज्यादा, अपना समझते हैं दुसरे ने कहा, दो कड़वे शब्द भी, उसी को सुनाते हैं जिसे, सबसे ज्यादा, अपना समझते हैं अगर, नाराजगी में प्यार छुपा है, तो दो कड़वे बोल में भी, प्यार छुपा है बस, जैसे उसे जाहिर कर देते हो, वैसे ही, इसे भी समझ लिया करो। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Holi #samjh किसी ने कहा, नाराज भी उसी से होते हैं जिसे, सबसे ज्यादा, अपना समझते हैं दुसरे ने कहा, दो कड़वे शब्द भी, उसी को सुनाते हैं ज
Dhanraj Gamare
cjcjffjfjfjfjfjpfjfjfkgkfgfkfkfk ©Dhanraj Gamare जागतिक महिला दिनाच्या निमित्ताने गझल काव्य संध्या व बुककट्टा टीम ( पिंपरी चिंचवड) यांच्या संयुक्त विद्यमाने आयोजित दुसरे कवी संमेलन २०२४
Ravendra
Ravendra
Prerna Singh
कुंठित इंसान कि फितरत के भी क्या कहने , फायदा उठाने के लिए जोंक बन खून चुस लेते हैं करीब रहने के लिए एक से रिश्ता पवित्र दुसरे से दुरी बनाने के लिए रिश्ता अपवित्र कह देते हैं ... कर देते हैं जीवन तहसनहस और एहसान भी जताते हैं। सामिल होते हैं इन सब सफेदपोश फायदा बेहिसाब उठाते हैं कर देना बच्चे को माँ के गोद से दुर कह कर अब स्तनपान की उसे जरूरत नही और गैर को हितैषी बता कर सौंप देना हक समझकर जैसे वो कोई वस्तु हो वस्तु बता कर जिंदगी को दोजख बनवाने वाले ही चारो तरफ बन कर बैठे है मसीहा बन कर... ©Prerna Singh कुंठित इंसान कि फितरत के भी क्या कहने , फायदा उठाने के लिए जोंक बन खून चुस लेते हैं करीब रहने के लिए एक से रिश्ता पवित्र दुसरे से दुरी
bhim ka लाडला official
वह कौन है जो एक शहर से दुसरे शहर जाती है लेकिन कभी हिलती नही? ©मजेदार पहेली वह कौन है जो एक शहर से दुसरे शहर जाती है लेकिन कभी हिलती नही?