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Saurabh pal 85
वो गाडी से इलाहाबाद शहर देख रही थी! मैं कनखियो से , उसे देख रहा था !! वो अपना घर देख रही थी। मैं अपना घर देख रहा था !! ©Saurabh Pal वो गाड़ी से इलाहाबाद शहर देख रही थी! मैं कनखियो से , उसे देख रहा था। वो अपना घर देख रही थी। मैं अपना घर देख रहा था!!
Ravendra
Mukesh Poonia
तट पर बैठे-बैठे तेरे हाथ कहां कुछ आएगा रतन मिलेंगे तुझको जब सागर की तह में जाएगा कुछ ना आया हाथ समझना डुबकी अभी अधूरी है चाहे जितना भी हो मुश्किल वह पहला कदम जरूरी है . ©Mukesh Poonia तट पर बैठे-बैठे तेरे हाथ कहां कुछ आएगा #रतन मिलेंगे तुझको जब #सागर की तह में जाएगा कुछ ना आया #हाथ समझना #डुबकी अभी #अधूरी है चाहे जितना भ
SAILESH PATEL
काश हम पर भी को अहसान कर दे, सच न सही झूठ ही अपनी चाहत मेरे नाम कर दे, वैसे भी बिना निवेश के सच्ची वफा यहां कहां मिलती है, इसलिए फरेब ही सही लेकिन कोई तो यह काम कर दे ©SAILESH PATEL #dodil इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र
Bhupendra Ganjam
सलाम उन पे तह-ए-तेग़ भी जिन्हों ने कहा जो तेरा हुक्म जो तेरी रज़ा जो तू चाहे ©Bhupendra Ganjam सलाम उन पे तह-ए-तेग़ भी जिन्हों ने कहा जो तेरा हुक्म जो तेरी रज़ा जो तू चाहे #dodil
N S Yadav GoldMine
कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है, अपना काम स्वयं करना चाहिए जानिए इनकी संक्षिप्त कहानी !! 🍂🍂 {Bolo Ji Radhey Radhey} काम छोटा या बड़ा नहीं होता है :- 🗻 प्राचीन समय की बात है जब एक गुरु अपने शिष्यों के साथ कहीं दूर जा रहे थे। रास्ता काफी लंबा था और चलते – चलते सभी लोग थक से गए थे। सभी विश्राम करना चाहते हुए भी विश्राम नहीं कर पा रहे थे। अगर विश्राम करते तो गंतव्य स्थल पर पहुंचने में अधिक रात हो जाती। इसलिए वह लोग निरंतर चल रहे थे। रास्ते में एक छोटा नाला आया जिस को पार करने के लिए सभी को लंबी छलांग लगानी थी। 🗻 सभी लोगों ने लंबी छलांग लगाकर नाले को पार कर लिया। लेकिन छलांग लगाते वक़्त गुरुजी का कमंडल उस नाले में गिर गया। सभी शिष्य परेशान हुए एक रणधीर नाम का शिष्य शिष्य कमंडल निकालने के लिए सफाई कर्मचारी को ढूंढने चला गया। अन्य शिष्य बैठकर चिंता करने लगे, योजना बनाए लगे आखिर यह कमंडल कैसे निकाला जाए? 🗻 गुरु जी परेशान से दिखने लगे क्यूंकि उनको अपने शिष्यों की शिक्षा पर संकोच होने लगा। गुरुजी ने सभी को स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया था। उनकी सिख पर कोई भी शिष्य वास्तविक जीवन में अमल नहीं कर रहा था। अंत तक वास्तव में कोई भी उस कार्य को करने के लिए अग्रसर नहीं हुआ, ऐसा देखकर गुरु जी काफी विचलित हुए। 🗻 एक शिष्य राहुल उठा और उसने नाले में हाथ लगा कर देखा, किंतु कमंडल दिखाई नहीं दिया क्योंकि वह नाले के तह में जा पहुंचा था। तभी मदन ने अपने कपड़े संभालते हुए नाले में उतरा और तुरंत कमंडल लेकर ऊपर आ गया। 🗻 गुरु जी ने अपने शिष्य मदन की खूब प्रशंसा की और भरपूर सराहना की उसने तुरंत कार्य को अंजाम दिया और गुरु द्वारा पढ़ाए गए पाठ पर कार्य किया। तभी शिष्य गोपाल जो सफाई कर्मचारी को ढूंढने गया था वह भी आ पहुंचा, उसे अपनी गलती का आभास हो गया था। कहानी की शिक्षा :- 🗻 कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है, अपना काम स्वयं करना चाहिए। किसी भी संकट में होने के बावजूद भी दूसरे व्यक्तियों से मदद कम से कम लेना चाहिए। ©N S Yadav GoldMine #rush कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है, अपना काम स्वयं करना चाहिए जानिए इनकी संक्षिप्त कहानी !! 🍂🍂 {Bolo Ji Radhey Radhey} काम छोटा या
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} मौसी माँ मंदिर :- 💮 रामेश्वर देउला ओडिशा के भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। मंदिर भगवान शिव के सम्मान में बनाया गया था। मंदिर को मौसी मां के नाम से भी जाना जाता है। यह एक पूजनीय मंदिर है और इसलिए विभिन्न स्थानों से भक्त देवता की पूजा करने आते हैं। मंदिर को रामेश्वर नाम मिला क्योंकि इसे भगवान राम ने भगवान शिव के लिए स्थापित किया था। मंदिर इतिहास और मंदिर किंवदंती :- 💮 मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी का है। किंवदंती के अनुसार, जब भगवान राम लंका के राजा रावण को हराकर अयोध्या लौट रहे थे, तो देवी सीता ने भगवान राम से एक शिव लिंग स्थापित करने के लिए कहा क्योंकि वह भगवान शिव की पूजा और धन्यवाद करना चाहती थीं। इसलिए, भगवान राम ने एक शिव लिंगम का निर्माण किया। मंदिर को रामेश्वर के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह भगवान राम द्वारा स्थापित किया गया था। मंदिर वास्तुकला :- 💮 रामेश्वर मंदिर की वास्तुकला प्राचीन कलिंग शैली से संबंधित है और इसे रेखा क्रम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसमें ओडिसी कला और परंपरा की कई विशेषताएं भी हैं। मंदिर एक बलुआ पत्थर की संरचना है। अन्य मंदिरों के विपरीत इसमें कई विभाजनों का अभाव है। मंदिर में एक अतिरिक्त पीठा संरचना है जो स्वतंत्र रूप से खड़ी है। रामेश्वर मंदिर का मुख पूर्व की ओर है और इसलिए सूर्य की पहली किरण मंदिर पर पड़ती है। 💮 मंदिर एक एकल हॉल से युक्त है जिसमें एक लंबा पिरामिड शिखर है। इसमें कई तह हैं और आकर्षक डिजाइनों के साथ इसे उकेरा गया है। एकल हॉल में मुख्य देवता हैं। शिव लिंगम काले पत्थर से बना है। 0.35 मीटर लंबा शिव लिंग एक योनि पीठ पर रखा गया है और यह क्लोराइट से बना है। देवी दुर्गा की एक छवि भी देखी जाती है। त्यौहार और समारोह :- 💮 मंदिर में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार महा शिवरात्रि, मकर संक्रांति, कार्तिकी पूर्णिमा और दिवाली है। परंपरागत रूप से, भगवान लिंगराज एक बड़े रथ पर रामेश्वर देउला मंदिर में आते हैं, जिसे रुकुना रथ के नाम से भी जाना जाता है और अशोकष्टमी के दौरान चार दिनों तक रहता है, जो चैत्र महीने में राम नवमी से एक दिन पहले पड़ता है। कैसे पहुंचा जाये :- ट्रेन द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन भुवनेश्वर है। ©N S Yadav GoldMine #MothersDay {Bolo Ji Radhey Radhey} मौसी माँ मंदिर :- 💮 रामेश्वर देउला ओडिशा के भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। मं
Narendra Sonkar
*नया इलाहाबाद* ------ इतिहास के पृष्ठों पर स्तंभ-अभिलेखों पर पथराई नजरों से ठंडे हाथों से नदी-नालों का खेत-खलिहानों का शहर-नगरी में तपती दुपहरी में संगम के तट पर कण-कण छानते हुए देख अतीत के अपने रूप-नक्शे दिखा इलाहाबाद उदास! उदास! उदास बोला उदास मन से रखना मेरे अतीत को बच्चों याद! याद! याद मैं हूं प्रयागराज नया इलाहाबाद। ••• नरेन्द्र सोनकर 'कुमार सोनकरन' प्रयागराज। ©Narendra Sonkar *नया इलाहाबाद*