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Stories related to अचानक केस गळणे

Bebo

अचानक ✍️

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प्रेम के सर्वश्रेष्ठ सफर  में प्रिय, 
जो अलग हुए अचानक...

फिर हंसी में कभी शामिल नहीं हुई ये आंखे!!!

R.P✍️*Bebo
                 22/12/2024
          2.28Am

©Bebo अचानक ✍️

Neeraj Vats

#GoodMorning #good_morning #vibes #Truth #Truth_of_Life #indianjudiciary #justice #womanequality #womanpower मां - बेटी! अच्छे से पढ़ो

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मां - बेटी! अच्छे से पढ़ो लिखो 
ताकि कल को जीवन आरामदायक हो सके।

बेटी - क्यों चिंता कर रही हो मां?
मिल जाएगा मुझे कोई 
व्यापारी या फिर नौकर सरकारी।

दहेज लेना देना वैसे जुर्म है तो
  वो आपको देना नहीं पड़ेगा।
उल्टा मैं ही कल को कोर्ट जाकर 
उसकी आधी जायदाद और ले आऊंगी।

जब तक केस चलेगा 
महीना गुजारे के नाम पर ऐश करूंगी
फिर उसका खुद का चाहे कुछ भी हो।।

#भारतीय_न्याय_व्यवस्था 
😂🤣😂

©Neeraj Vats #GoodMorning #good_morning 
#vibes #Truth #Truth_of_Life 
#indianjudiciary #justice #womanequality #womanpower 


मां - बेटी! अच्छे से पढ़ो

अदनासा-

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 https://pin.it/60GiWiOkg #अचानक #unpredictable #यकायक #बच्चा #नादानी #मासूमियत #सावधान #Pinterest #

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Mahesh Patel

सहेली.. अचानक.. लाला...

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White सहेली......
हम अपने आप से बात कर रहे थे..
की वो अचानक आ गए..
क्या सोचा था हमने..
क्या हो गया जिंदगी में..
कि वो हमारे दीवाने हो गए..
लाला......

©Mahesh Patel सहेली.. अचानक.. लाला...

gudiya

#NatureQuotes #मातृभूमि #nojotohindi nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

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Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच 
तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि 

धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता 
और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर 
जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता 


और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती 
यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में 

सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके 
वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह

 घर के आंगन में वह  नवोढ़ा भीगती नाचती और 
काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते 
और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो 

कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ
 आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै 
तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की 
लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में 

खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे
 लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए 
यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां 
धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर 
छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है 
पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर 
सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के 
यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के 

यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ 
उनके माथे पर हाथ फेर दो मां 
इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से 
तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि 
मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं 
नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच।
-अरुण कमल

©gudiya #NatureQuotes 
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आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
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