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प्रणाली कावळे
White good evening ©प्रणाली कावळे #sad_quotes PUJA KUMARI Mr.Ravi Rajdev Dr Udayver Singh Sh@kila Niy@z SURAJ SHARMA
#sad_quotes PUJA KUMARI Mr.Ravi Rajdev Dr Udayver Singh Sh@kila Niy@z SURAJ SHARMA
read moreRiyazul Qamar
is zalim zamane se mukhalifat kaise karte, koshish ki bhi to jaan par ban aayi ©Riyazul Qamar Sh@kila Niy@z
Sh@kila Niy@z
read moreAndy Mann
White कल रात मौज ए दरिया में आया था वो उफ़ान बरसों के सूखे पेड़ भी शराबोर हो गए! ©Andy Mann #good_night Sangeet... puja udeshi Sh@kila Niy@z Dr. uvsays Ashutosh Mishra
#good_night Sangeet... puja udeshi Sh@kila Niy@z Dr. uvsays Ashutosh Mishra
read moreAndy Mann
White पत्नियाँ पूर्ण हो जाती हैं- प्रेमिकाओं की तरह अपूर्ण नहीं रहती... प्रेमिकाऐं- लिखती ही रह जाती है प्रेम की पाती, पत्नियों की तरह नहीं लिख पाती घर के खत्म सामानों की सूचियाँ... चांद, सितारे,सावन, मधुमास तक ही सीमित रहती हैं, दाल, मसाले, ब्रेड-मक्खन तक नहीं सोच पाती... प्रेमिकाऐं- चाकलेट के दायरें तक ही सिमट कर जाती हैं, नहीं बढ़ा पाती अपना दायरा, सास-ससुर, जेठ-जेठानी के बीच... वेलेंटाइन डे तो याद रखती हैं पर चैत्र, बैसाख, जेठ, अषाढ की तिथियाँ गिनना नहीं जानती... प्रेमिकाऐं- किताबों में फूल तो रखना जानती हैं पर नहीं लिख पाती कैलेंडर पर दूध के खर्चे का हिसाब... प्रेमिकाऐं- मांगती है झुमकी, पायल, पत्नियाँ- मांगती है पति की लम्बी आयु... प्रेमिकाऐं- सहेजती हैं पुराने प्रेमपत्र, पत्नियाँ- सहेजती हैं शादी की एलबम, जिसमें वो ढूंढती हैं रिश्ते-नातो के पुराने फोटो, पत्नियाँ कितनी पूर्ण हो जाती हैं•••।।। ©Andy Mann #पत्नी_प्रेमिका Sangeet... अदनासा- Sh@kila Niy@z Dr. uvsays MRS SHARMA
#पत्नी_प्रेमिका Sangeet... अदनासा- Sh@kila Niy@z Dr. uvsays MRS SHARMA
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White प्रेम में पुरुष कभी पुरुष हुआ ही नहीं..! वो स्त्री की छाती से चिपककर सदैव शिशु बना रहा!! ©Andy Mann #love_shayari Sangeet... Sh@kila Niy@z vinay panwar Dr. uvsays Miss Anu.. thoughts
#love_shayari Sangeet... Sh@kila Niy@z vinay panwar Dr. uvsays Miss Anu.. thoughts
read moreABDUL SAMAD
White तेरा साथ मुझे अपनेपन का एहसास कराता है, औरो का साथ सिर्फ अकेलापन महसूस कराता है। ©ABDUL SAMAD Sh@kila Niy@z
Sh@kila Niy@z
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White मुंह-दिखाई की रस्म .....शादी-विवाह की बात करें तो आज के पंद्रह-सोलह साल पहले की शादियों मे और आज की शादियों में जमीन-आसमान का अंतर हो गया है। अब तो दुल्हन कौन है यही समझने मे ही काफी वक्त लग जाता है और रिसेप्शन होने की वजह से वो मुंह दिखाई की परम्परा भी खतम हो गयी ..................... दुल्हन की कल्पना मात्र से ही वो लजाई सकुचाई दुबली पतली सी काया जिसे नंदों और जिठानियों ने सजाया संवारा हो वही अक्श जेहन मे उभरने लगता है । लाज से आरक्त चेहरा इस कृत्रिम लालिमा में स्वाभाविक लालिमा का रंग घोल देता है।लम्बी सी चोटी बनाये, बांह भर कंगन साथ चूड़ी पहने, रुनझुन बजने वाली पायल संग बिछिया वाले आलता से रंगे पैर वाली, साड़ी में लिपटी नायिका जब धीमे-धीमे पग धरती आँगन मे आकर भरी महफिल मे बैठती है तो एक पल को सभी की नजरे उसी पर टिक जाती है ......दुल्हन सबके पैर छूती है और सब लोग जोड़ी बनी रहे , दूधों नहाओ पूतो फलो जैसे खूब आशीष देती हैं। ......उसके हाव भाव और गुण सहूर जानने की जिज्ञासा पूरे गाँव को रहती है ...इधर उधर से हम उम्र नंदों की चुहलबाजी चलती रहती है....तभी कोई गाँव की बड़ी बुजुर्ग अम्मा क़हती है चलो अब बहू को ढोलक दो ...देखे जरा इनकी अम्मा ने गीत वीत सिखाये की नहीं ....गाँव कि सारी ननदे इधर उधर से घूँघट के अंदर ताक झांक उसे गाने के लिए उत्साहित करती है और साथ ही उसे बताती है कि अगर गाना नहीं सुनाया तो पालतू कुतिया के पैर छूना पड़ेगा ..............बेचारी एक तो गहने जेवर से लदी और भारी सारी के बोझ तले दबी जा रही और ऊपर से लाज और शरम से जो गीत आते भी थे वो भी भूले जा रहे......हंसी मज़ाक के बीच सब एक एक करके दुल्हन का घूँघट उठाकर देखती जाती और ढेरो आशीष के साथ कुछ पैसे शगुन के रूप में जरूर देती। कृपया इसे अन्यथा न ले मेरे इस पोस्ट का मतलब सिर्फ ये है कि घूंघट हो या न हो, सिर पर लिहाज का पल्लू अवश्य होना चाहिए और आँखें, जिनमें दुल्हन की सारी खूबसूरती सिमटी है, बंद करके मुंह-दिखाई करें या न करें लेकिन वे झुकी तो रहनी ही चाहिए। ©Andy Mann #प्रथाएं अदनासा- Dr. uvsays Sangeet... Rakesh Srivastava Sh@kila Niy@z
#प्रथाएं अदनासा- Dr. uvsays Sangeet... Rakesh Srivastava Sh@kila Niy@z
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White स्त्रीत्व को छूना भी एक कला है। तुम नंगे हो जाओ, कपडे उतारने की बात नहीं कह रहा हूँ; मन के आवरणों को हटाने की बात कह रहा हूँ। लेकिन जब भी ऐसी कोई बात होती है तो तुम्हारे ख्यालो में स्त्री ही आती है! क्योकि ये बात जानकर तुम हैरान होगे कि तुम्हारी पत्नी भी स्त्री ही है! तुम रोज उसे बिस्तर पर साथ पाते हो पर फिर भी उसे समझने की, जानने की चाह कभी नही की! अभी तुम्हे स्त्रीत्व तक पहुँचने में देर है; स्त्री को समझने का, उसके तन को जानने का दम चाहिए। अदभुत साहस चाहिए, प्रेम की अनुभूति चाहिए। परम की आकांक्षा चाहिए। जबकि लोग उसके उभारो की ऊँचाई देखकर गिर जाते हैं। उसकी गहराइयो में ऐसे डूबते हैं कि मरकर के वापस आते हैं। इसलिए जब भी तुम्हें स्त्री के नजदीक जाने का अवसर मिले तो चूकना मत! जरुरी नहीं कि हर बार तुम सेक्स में हो जाओ, कुछ समय ऐसा भी गुजारना; जहाँ तुम शरीर के पार देखने की कोशिश करना; शायद तुम उसके दिल की धडकन सुन सको, शायद तुम उसके स्त्रीत्व को छू सको, और जिस पल तुमने उसके स्त्रीत्व को छू लिया! तब अचानक से वासना तिरोहित होगी, और प्रेम का आगमन होगा, तुम एक परमसुख की अनुभूति करोगे, एक ऐसा आनंद जो तुम्हे जन्मों जन्मों तक गुदगुदाता रहेगा, तुम मुस्करा उठोगे, खिल जाओगे, और यही खिलावट तुम्हे जीवन के परम सत्ता की अनुभूति देगी, जीवन के परमआनंद से तुम्हारा मिलन होगा। स्त्री काया नही ... ह्रदय हैं जो छू सको तो स्त्रीत्व छूना ©Andy Mann #good_night Sh@kila Niy@z अदनासा- Sangeet... Dr. uvsays Ashutosh Mishra
#good_night Sh@kila Niy@z अदनासा- Sangeet... Dr. uvsays Ashutosh Mishra
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