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kuldeep singh
ये कैसी आजादी आई भगत को फांसी चढा कर, गांधी की फोटो छपाई, हिन्दु-मुस्लिम बांट तुमने, अमिट ये लकीर खिंचवाई, भैय्या ये कैसी आजादी आई... मर गया जो शरहद पर, था किसी का बाप-बेटा या वो भाई, तुमने तो BOFORS और RAFALE मे खूब की अपनी कमाई, भैय्या ये कैसी आजादी आई... किसी ने लगाया आपातकाल, तो किसी ने मस्जिद गिराई, धर्म और जात के नाम पर खूब अपनी सत्ता जमाई, भैय्या कैसी ये आजादी आई... Bhukhari और LANKESH जैसे लाखों पर गोलियां चलाई, आवाज़ बनती शोला उस से पहले ही दे दबाई... भैय्या ये कैसी आजादी आई... ये कैसी आजादी आई #nojoto #kalakaksh #poetry #quote #thought #happyindependenceday #jaihind #vandematram #sarcasm
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
मेरे दिल मे तिरंगा है, आजाद भी जिंदा है, ये कैसी आजादी , की मानवता शर्मिंदा है। जहाँ बेटियाँ मरती है, और कातिल जिंदा है। #कलमसत्यकी ©️✍️ ©Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी #26janrepublicday मेरे दिल मे तिरंगा है, आजाद भी जिंदा है, ये कैसी आजादी , की मानवता शर्मिंदा है। जहाँ बेटियाँ मरती है, और कातिल जिंदा है।
Pnkj Dixit
#OpenPoetry " कलयुगी नारी " ? ? ? नारी धन - दौलत कमाने लगी है , मगर जिस् अपना खुलेआम दिखाने लगी है । निगाह भर देख ले या गुनगुनाने लगे कोई बिना ख़ता इल्ज़ाम सरेआम लगाने लगी है ।। छोड़ दी हया और छोड़ दिया दामन ये कैसी आजादी का जश्न मनाने लगी है । भारतीय संस्कृति और संस्कार लज्जित अब नारी को नग्नता खूब लुभाने लगी है ।। भारत दमयंती , गार्गी , सीता , उर्मिला का देश है यहाँ तप ज्ञान लेखनी जीवन तंरगिणी का वेश है । नारी शर्म लज्जा हया को ढकोसला बताने लगी है अश्लील बातें चित्रपट संगीत मन को लुभाने लगी है ।। १९/०७/२०१९ 🌷 👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' " कलयुगी नारी " ? ? ? नारी धन - दौलत कमाने लगी है , मगर जिस् अपना खुलेआम दिखाने लगी है
Madhur Vikas
कही राम की लड़ाई है, कही नाम की लड़ाई है कोख में मार बेटी वैष्णो देवी की हो रही चढाई है। कलयुगी राक्षस बन हर घर भाई भाई की हो रही कटाई है देश की विडम्बना देख अब तो शर्म आँखों में भर आई है। कोई अल्लाह को ईश्वर बनाये कोई ईश्वर को अल्लाह बनाना चाहता है धर्म और जात पर हर कोई खून बाहना चाहता है। सावन भी अब सूखा जाता है पेट भरती गायों को काटा जाता है बेटा माँ बाप को आँख दिखाता है उनका खा कर उन्ही को भूखा सुलाता है। कही राम की लड़ाई है, कही नाम की लड़ाई है.. छोड़ माँ बाप को कुत्तो की इज़्ज़त बढाई है। हे मेरे भगवन तूने ये कैसी आजादी दिलाई है.. इस पावन धरा पर पाप की बढ़ रही परछाई है। #nojoto #nojotopoem #nojotonews #nojotopoetry #nojotovideos कही राम की लड़ाई है, कही नाम की लड़ाई है कोख में मार बेटी वैष्णो देवी की हो रही च
Shubham Gupta😊
ये कैसी आजादी..... (Read In Caption) मना रहे तुम आज़ादी, पर अब भी यह कहाँ मिलती है। इसी सोच में भारत माँ की, सांसें अब भी घुटती है। लूट रहे अपना ही देश, सत्ता के अब सब मतवाले, न
Parul Sharma
english हमेशा attitude में रही आजाद भारत पर रौब दिखा रही थी अंग्रेजो से तो आजादी ले ली भारत ने पर अंग्रेजी अपना ली ये कैसी आजादी थी भावनायें तो भारतीय पर शब्द english हो चले थे । भारत आजादी का जश्न मना रहा था english जोरों से smlile कर रही थी और हिंदी की तरफ देख कर इतरा रही थी उस वक्त english के तेवर कुछ अच्छे नहीं थे अब भारत पूरी तरह से India बन चुका था और अब आजादी का जश्न भारत और India दोनों ही मनारहे थे। पर हिन्दी उदास थी उसे आजादी की कम खुशी न थी पर भारत भारत रह कर आजादी मनाता तो आजादी 1000 गुना और बढ़ जाती । हिन्दी ने आजादी की जंग सुरू की पर उसकी सुनवाई नहीं हुई। लोगों के english के मद ने उसकी आवाज दबा दी और आज भी परिस्थिती जस की तस है हिन्दी आज भी आजाद भारत में आजादी की जंग लड़ रही हैं है न कितने बिडब्ना की बात कि हिंन्दी को अपने ही देश में अपने लिये अपने लोगों से लड़ना पड़ रहा है। आप हिन्दी के लिये किसी हिन्दी दिवस का इंतजार न करें और हक से कहें कि हम भारतीय है और हिंदी है हिन्दी हमारे दिल की भाषा है इसे सम्मान से अपनायें और सम्मान दें। अगर आप दो चार या 10 या और अधिक भाषायें जानते त कोई गलत बात नहीं है पर दोगला व्वहार न करे हिन्दी से किनारा या हिन्दी का अपमान या फिर हिन्दी को कम आँकना जैसे दुर्वव्यहार से बचे हिन्दी ही हमारी भाषा है और english विदेशी इस बात को हमेशा याद रखें गैरो के लिये अपनों को तकलीफ न पहुँचायें। पारुल शर्मा जय हिन्द जय हिन्दी वंदे मातरम् english बनाम हिन्दी Poonam bagadia "punit" g @imrohii negi g english हमेशा attitude में रही आजाद भारत पर रौब दिखा रही थी अंग्रेजो से तो आजाद
naveenlupoetry
हम योग्य थे हमें छाँट दिया गया हम एक थे हमें बाँट दिया गया फिर वो गाँधी नही आयेंगे फिर वो आजादी नही लाएंगे ©naveenlupoetry धूमिल होते गाँधी ये कैसी है आजादी...
Shikha Dubey
कदम से कदम मिलाकर चलता हूं हां मैं भी आजाद हूं बातें कुछ जहन में दबा कर रखता हूं बोलने की आजादी नहीं फिर भी में आजाद हूं अपने सपनों के लिए खुद से लड़ता हूं फिर अपनों के लिए झुक जाता हूं फिर भी में आजाद हूं मैं एक सभ्य किरदार हूं ताना असभ्य होने का सुनूं बस सुनूं कुछ ना बोलू फिर भी में आजाद हूं ख़ुद पर उठी उंगलियां मैं खुशी खुशी झेल लुं फिर भी में आजाद हूं दौर आजादी से आजाद हूं हां मैं भी आजाद हूं कैसी ये आजादी है , ओर वो कहते है में आजाद हूं