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SKgujjarchauhan
Kanhaiya Kanhaiya Kanhaiya
White मतलब की ईस दूनया में कोई भी अपना नहीं है ©Kanhaiya Kanhaiya Kanhaiya चांदनी चांद से होती सितारों से नहीं मोहब्बत एक से होती हजारों से नहीं
Mehfuza
White इतनी मोहब्बत कैसे हो सकती है, कि तेरे मुंह से बद्दुआएं भी अब दुआएं बनकर निकल रही है उसके लिए। ©Mehfuza #Couple इतनी मोहब्बत कैसे हो सकती है, कि तेरे मुंह से बद्दुआएं भी अब दुआएं बनकर निकल रही है उसके लिए।
KUNWA SAY
White पहली मोहब्बत मेरी हम जान न सके, प्यार किया होता है हम पहचान न सके हमने उन्हें दिल में बसा लिया इस कदर कि , जब चाहा उन्हें दिल से निकल न सके फोलो करें mere youtobe chenal name(Rajkumarikp) hai ©KUNWA SAY #eidmubarak पहली मोहब्बत मेरी हम जान न सके,.. .प्यार किया होता है हम पहचान न सके ,,... हमने उन्हें दिल में बसा लिया इस कदर कि ,... जब चाह
चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
जितने लोग मशहूर हुए हैं ,पहले लोगों ने उनके अंदर कमियांँ निकाली। लोगों की सुनकर यह लोग बैठ जाते तो शायद, आज इनको अपनी पहचान नहीं मिल पाती। चेतना कहती है प्रकाश से-- हम संघर्ष करेंगे , आखिरी सांँस तक लड़ेंगे, मेरे जीने का यही तरीका है , "स्वयं से लड़ो दूसरों से नहीं ।"__ चेतना प्रकाश चितेरी, प्रयागराज ५/४/२०२४ , ६:२६ अपराह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # स्वयं से लड़ो , दूसरों से नहीं #
Mukesh Poonia
न औरों से कम न औरों से श्रेष्ठ बस खुद से बेहतर और खुद से सर्वश्रेष्ठ . ©Mukesh Poonia #skylining न #औरों से #कम न औरों से #श्रेष्ठ बस #खुद से #बेहतर और खुद से #सर्वश्रेष्ठ
Yashpal singh gusain badal'
ज़िंदगी हसरतों को वक्त की आँधी निगल गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों जुगत किए उम्र-ए-दराज की । दम साध के रक्खा और सांसें निकल गई । सौंपे थे जिसको हमने जिन्दगी के फैसले । उसके ही हाथ कत्ल जिन्दगी निकल गई । आब-ए-हयात पी के भी न बच सका यहाँ । माटी का बना था सो माटी में मिल गई । नाज है किस बात का किसका गुरूर है । अच्छे-अच्छों की यहाँ हवा निकल गई । थामे थे जिसको भींच के दिल के करीब से । हाथों से वो प्यार की डोरी फिसल गई । "बादल" गलत उठे थे कदम राह-ए-शौक में, फिर सँभालते-संभालते जिन्दगी निकल गई।। ©Yashpal singh gusain badal' #retro ज़िंदगी हसरतों को वक्त की आँधी निगल गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों जुगत किए उम्र-ए-दराज की । दम साध के र
gaTTubaba
एक पानी से निकल जाएगा शरीर में लगा रंग एक और गहरा हो जाएगा पानी के संग आंखों में चढ़ा रंग इश्क का ..... ©gaTTubaba #Holi एक पानी से निकल जाएगा शरीर में लगा रंग एक और गहरा हो जाएगा पानी के संग आंखों में चढ़ा रंग
Poet Maddy
मेरे ज़हन से अब क्यों निकल, उसका वो शहर जाता नहीं है......... खुदा ही जाने क्यों आज-कल, वो मेरे मोहल्ले में आता नहीं है....... मेरे अंदर का कमबख़्त शायर, आखिर मर क्यों जाता नहीं है........ जब वो मिलता है हमें कहीं, तो वक्त ठहर क्यों जाता नहीं है...... ©Poet Maddy मेरे ज़हन से अब क्यों निकल, उसका वो शहर जाता नहीं है......... #Mind#City#Days#Locality#Poet#Die#Find#Time#Stop.........