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गौरव आनन्द श्रीवास्तव
White चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया सूखा पुराना जख्म नए को जगह मिली स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया आती न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया गम मिलते हैं तो और निखरती है शायरी यह बात है तो सारे जमाने का शुक्रिया अब मुझको आ गए हैं मनाने के सब हुनर यूँ मुझसे `कुँअर' रूठ के जाने का शुक्रिया कुँवर बेचैन ©गौरव आनन्द श्रीवास्तव #nightthoughts #Hindi #poem
Prashant Roy
Blue Moon एक कहानी, कभी किस्सा, कभी हकीकत की, जुबानी बन, एक कहानी एक कहानी बन गयी, जिसे लफ्जों से बायां ना कभी कर पाया, वही इश्क़ वही मोहब्बत एक हिस्सा ज़िन्दगी का, किस्सा मेरे वजूद का, एक कहानी अजनबी मुआनी बन, एक कहानी। ©Prashant Roy #bluemoon #poem #Hindi
Ramji Mishra
Blue Moon विज्ञापन मैथिलीशरण गुप्त जहाँ अभिषेक-अम्बुद छा रहे थे, मयूरों-से सभी मुद पा रहे थे, वहाँ परिणाम में पत्थर पड़े यों, खड़े ही रह गये सब थे खड़े ज्यों। करें कब क्या, इसे बस राम जानें, वही अपने अलौकिक काम जानें। कहाँ है कल्पने! तू देख आकर, स्वयं ही सत्य हो यह गीत गाकर। बिदा होकर प्रिया से वीर लक्ष्मण-- हुए नत राम के आगे उसी क्षण। हृदय से राम ने उनको लगाया, कहा--"प्रत्यक्ष यह साम्राज्य पाया।" हुआ सौमित्रि को संकोच सुन के नयन नीचे हुए तत्काल उनके हरिवंश राय बच्चन मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला, एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला, जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका, आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला। प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला, अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला, मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता, एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला। भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला, कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला, कभी न कण-भर खाली होगा लाख पिएँ, दो लाख पिएँ! ©Ramji Mishra madhushala.. #bluemoon