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nitsmit penshanwar
ऐ कान्हा जरा मोर मुकुट तो चमकाना अपने आने का हमे संदेसा तो देना।। नटखट अदांओ से जरा दिल बैहलाना माखन जरा चुपके से खाना वरना यशोदा मय्या की दाट खाना।। राधा को जरा धिरे से बुलाना वन मे रास लीला जमके खेलना मगर दही कि हंडी सबको लेके फोडना।। द्रोपदी लांज महाभारत मे ही नही तो कलयुग मे भी बचाना अब आना हर बरस आना नंदजी के ओ प्यारे नंदलाला ।। ऐ कान्हा जरा मोर मुकुट तो चमकाना अपने आने का हमे संदेसा तो देना।। नितस्मित पेंशनवार ©nitukolhe nitsmit penshanwar नंदलाला #janmaashtami
कमलेश मिश्र
नटखट की लीला विकट, नटवर नंदकिशोर। गिरि उठाइ कर पर लियो, सोई माखनचोर।। सोई माखनचोर, अधर धर मुरली वाला। कहलाता चितचोर, नंद जू का वो लाला।। कथा करत"कमलेश", घेरता गोपिन पनघट। पूर्ण ब्रह्म हैं कृष्ण, कहता सब ताकों नटखट।। ©K C Mishra नटखट नंदलाला
Heer
मातृतृत्व (मातृप्रेम)— यशोदा मैया कान्हा तू काहे सताए मोहे...। भोर से निकाला अब सांझ भई तेरी यादों में मैय्या खोई, कबसे राह निहारे थक गए नैन अब मोरे, जाने कितना सताए गोपियां ये सोच सोच जी घबराए, कान्हा तू काहे सताए मोहे ...। न भेजूं अब गैया चराने न करने दू चौखट पार, गले लगाने को तड़प रही बाहें नैन दरस बिन पथराए, अपने हाथों पकवान बनाए जो लल्ला के मन को भाए, जल्दी जल्दी घर आजा लल्ला तू इतना काहे सताए मोहे....। नंद बाबा जल्दी जाओ मेरे लल्ला को ले आओ, मन को चैन तब तक न आवे जब तक लल्ला को दरस न पावे। ©Heer #मातृत्व प्रेम - मैया यशोदा
Gurudeen Verma
शीर्षक- छेड़ता है मुझको यशोदा मैया --------------------------------------------------------------- (शेर)- करता है बहुत परेशान, सुन ओ यशोदा मैया। राहों में आते जाते मुझको, तेरा नटखट कन्हैया।। ------------------------------------------------------------ छेड़ता है मुझको यशोदा मैया। नटखट तेरा यह कन्हैया।। छेड़ता है मुझको----------------।। परेशान राहों में, करता है मुझको। पनघट पर जाते, देखकर मुझको।। कंकर मारकर, फोड़े मेरी मटकी। नटखट तेरा यह कन्हैया।। छेड़ता है मुझको----------------।। जहाँ मैं जाती हूँ, वहाँ यह आता है। नहाते समय, मेरे कपड़े चुराता है।। माखन खाये मेरा, चुपके से आकर। नटखट तेरा यह कन्हैया।। छेड़ता है मुझको----------------।। अपनी मुरली पर यह, मुझको नचाये। सोने नहीं देता यह, मुझको जगाये।। मेरी राधा कहकर, मुझको पुकारे। नटखट तेरा यह कन्हैया।। छेड़ता है मुझको----------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #छेड़ता है मुझको यशोदा मैया
Keshav pratap Kannaujia
Shailendra Rajpoot
आप सभी प्रियजनों को, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अनंत बधाइयाँ...!! प्रभु श्रीकृष्ण आप सभी के जीवन को असीम खुशियों से परिपूर्ण करें। जन्माष्टमी के पावन-पुनीत पर्व पर भक्तवत्सल भगवान श्रीकृष्ण जी के चरण-कमलों में सादर समर्पित मेरी हृदयतल स्पर्शी पुष्पांजलि भावनाएँ आप सबके समक्ष प्रस्तुत हैं।भगवान श्रीकृष्ण सबका कल्याण करें!! राधे! राधे! "हे! नंदलाला" शोभित सुंदर नयन विशाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। मुरली राजत अधर रसाला, ये बंसीवाला, ये मुरली वाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। मुरली मधुर बजावत है, सबके मन हर्षावत है, पशु-पक्षी हो, या बृजबाला, ये बंसीवाला, ये मुरली वाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। सिर पर मुकुट विराजत है, पंख मयूर का राजत है, लगे बड़ा प्यारा, वृज गोपाला, ये बंसीवाला, ये मुरली वाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। माखन चुरावत है, सबको सतावत है, करती शिकायत इसकी, बृज की हर बाला, ये बंसीवाला, ये मुरली वाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। हे! भक्तवत्सल, जन्मदिवस पर, शीश नवाता मैं, मेरे प्रभुवर, दर्शन पाकर, अति भाव-विह्वल, बछिया-बछड़ा, गाय और ग्वाला, ये बंसीवाला, ये मुरली वाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। ©शैलेन्द्र राजपूत 11.08.200 आप सभी प्रियजनों को, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अनंत बधाइयाँ...!! प्रभु श्रीकृष्ण आप सभी के जीवन को असीम खुशियों से परिपूर्ण करें। जन्माष्टमी क