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कवि मनोज कुमार मंजू
मात यशोदा जैसी थी बेटे भी श्रवण कुमार हुए। पत्नी सावित्री जिसके आगे यम भी लाचार हुए।। ©कवि मनोज कुमार मंजू #माँ #यशोदा #श्रवण #सावित्री #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #sadquotes
Dr. Devbrat Pundhir
वो है तभी तो हम हैं, उसके आगे तो ये दुनियां भी कम है, जो कभी थी देवकी और कभी हुई यशोदा, जिसके आगे तो भगवान भी है हारा, तुझसे ही है ये संसार सारा, ऐसा पावन है मां तेरा रूप, जो है सारे जग में है न्यारा।। #maa #जग #संसार #यशोदा #देवकी #न्यारा
Mamta Singh
आज बाजे बधाई बाबा नंद के अंगनवां मइयां यशोदा के गोदी में अईले ललनवां आओ सखि सब मंगल गाओ लल्ला के झुलाई सोने के पलनवां माखन मिश्री का भोग लगाके नाच- गां के मंगल मना के नेग मांगे सखी मइया यशोदा से कंगनवां आज बाजे बधाई बाबा नंद के अंगनवां हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की 🙏🙏🙏🙏🙏 #कृष्णजन्माष्टमी #नंदबाबा #यशोदा #मूरली #बधाईहोजन्मदिनमें #उल्लास
Dr Manju Juneja
एक तस्वीर है मेरे पास जो एक तस्वीर जो हर पल मेरे सिरहाने तले पड़ी रहती है जब भी होती हूँ तन्हा उससे जी भर बाते करती हूँ उल्हाने शिकायते सब करती हूँ थोड़ा उसकी याद में रो लेती हूँ फ़िर उसकी छोटी छोटी बात पर हँसती हूँ मुस्कुराता है तदवीर से तस्वीर से बाहर निकल आता है गुदगुदी कर के मुझे खूब हँसाता है जिद्द करता है माँ अपने हाथों से निवाला खिलाओ ना तोड़ती हूँ निवाला उसके मुँह में डालने को वो तस्वीर में फिर से छिप जाता है अठखेलियाँ करता है मेरे साथ जैसे कान्हा अपनी माँ यशोदा को अपने पीछे दौड़ाता है ऐसे लगता है जैसे सच मे वो मुझे मिलने आता है रुह से मेरी आवाज देता है माँ ...माँ ..कह कर मुझे बुलाता है क्या बताऊँ तुम्हे वो नटखट कितना मुझे सताता है गर रूठ जाऊ तो मैं वो बड़े प्यार से मनाता है मैं मान जाती हूँ जब वो तारो में छुप जाता है ©Dr Manju Juneja #एकतस्वीर #सिरहाने #तले #अठखेलियाँ #तन्हा #बाते #माँ#कान्हा #यशोदा #AdhureVakya
pooja roy
ज्ञानियों का गुंथन लिखूं या गाय का ग्वाला लिखूं! कंस के लिए विष लिखूं या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं! पृथ्वी का मानव लिखूं या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूं। चेतना चिंतक लिखूं या संतृप्त देवेश्वर लिखूं। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं! जेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं। देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं।
pooja roy
ज्ञानियों का गुंथन लिखूं या गाय का ग्वाला लिखूं! कंस के लिए विष लिखूं या भक्तों का अमृत प्याला लिखूं। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं! पृथ्वी का मानव लिखूं या निर्लिप्त योगेश्वर लिखूं। चेतना चिंतक लिखूं या संतृप्त देवेश्वर लिखूं। रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं! जेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं। देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं।
Shankar Gauttam
हे आनंद उमंग भयो जय हो नन्द लाल की नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की हे ब्रज में आनंद भयो जय यशोदा लाल की नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की हे आनंद उमंग भयो जय हो नन्द लाल की गोकुल में आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जय यशोदा लाल की जय हो नन्द लाल की हाथी, घोड़ा, पालकी जय कन्हैया लाल की जय हो नन्द लाल की जय यशोदा लाल की हाथी, घोड़ा, पालकी जय कन्हैया लाल की
Shubham shukla
देवकी के लाला यशोदा के दुलारे एक तुम ही हो सारी दुनियाँ से निराले चाह तुम राधा की थे मीरा ने भी प्रेम कर डाला तुम से चाहा तुम्हें सबने खुद को कर दिया तुमने दुनिया के हवाले तेरे प्यार में तड़पे हम सारे जग वाले अरे आजा मेरे कान्हा तुम्हें हम प्रेम से पुकारे देवकी के लाला यशोदा के दुलारे...........
Laxman 7877 Swami
अधरों पर मुरली वाले। फोड़ने को मटकी वाले। जनम गए हैं जनम गए हैं । देखो माँ यशोदा के लाले। रास रचाये गोपियाँ के संग। गाय चराये इस वन उस वन। मटकी फोड़े गोपियों के ये। चोर कहाये हैं ये माखन। सर्वनास को कंश के आये। वशुदेव गोकुल पहुंचाए। जन्म लिया मा देवकी को। पर यशोदा के लाल कहाए। अवतार हैं विष्णु का ये।। पैदा हो कर कृष्ण कहाए। बढ़ा पाप था द्वापर में जब। पातकियों का संहार कराए।