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Shivkumar
White रास्ते तो हर मोड़ पर ही बदलते रहते हैं पर तुम अपनी वो मंजिल को कभी न बदलना । तुम्हारे साथ किसी का साथ हो या न हो , मगर तुम सत्य के मार्ग पर हमेशा आगे बढ़ते रहना ।। ©Shivkumar #Road #रोड #Nojoto #motivate #शायरी #रास्ते तो हर #मोड़ पर ही #बदलते रहते हैं पर तुम अपनी वो #मंजिल को कभी न #बदलना । तुम्हारे साथ
Shivkumar
White अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा… चलता रहूँगा पथ पर , चलने में माहिर बन जाऊँगा । या तो मंजिल मिल जायेगी या , अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा…। पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादें को , उसके मुक्कद्दर के सफ़ेद पन्ने कभी कोरे नही होते…। ©Shivkumar #Road #रोड #Nojoto #शायरी #nojotohindi अच्छा #मुसाफ़िर बन जाऊँगा… चलता रहूँगा #पथ पर , चलने में #माहिर बन जाऊँगा । या तो #मंजिल मिल ज
Shivkumar
White छोटी छोटी बाते करके बड़े कहां से हो जाओगे । पतली गलियों से निकलो तो सड़क पर आओगे ।। ©Shivkumar #Road #रोड #Nojoto #nojotohindi #shayri #शायरी छोटी छोटी #बातें करके बड़े कहां से हो जाओगे । पतली #गलियों से निकलो तो #सड़क पर आओगे ।।
INDIA CORE NEWS
YumRaaj ( MB जटाधारी )
Ravendra
i am funny boy
Ravendra
Shubham Raj Tiwari
लाइफ का रोड मैप अपना होना चाहिए दुनिया के रोड मैप पर चलोगे तो लाइफ खत्म हो जाएगी लेफ्ट राइट करते करते।। ©Shubham Raj Tiwari #अपना रोड मैप Anshu writer PФФJД ЦDΞSHI Neel Dhyaan mira Rakhi Anamika
Ankit Upadhyay....
Sea water सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह,समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। जनता?हां,मिट्टी की अबोध मूरतें वही, जाडे-पाले की कसक सदा सहनेवाली, जब अंग-अंग में लगे सांप हो चुस रहे तब भी न कभी मुंह खोल दर्द कहनेवाली। जनता? हां,लंबी - बडी जीभ की वही कसम, "जनता,सचमुच ही, बडी वेदना सहती है।" "सो ठीक,मगर,आखिर,इस पर जनमत क्या है?" 'है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है?" मानो,जनता ही फूल जिसे अहसास नहीं, जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में; अथवा कोई दूधमुंही जिसे बहलाने के जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में। लेकिन होता भूडोल, बवंडर उठते हैं, जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढाती है; दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती, सांसों के बल से ताज हवा में उड़ता है, जनता की रोके राह,समय में ताव कहां? वह जिधर चाहती,काल उधर ही मुड़ता है। सब से विराट जनतंत्र जगत का आ पहुंचा, तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तय करो अभिषेक आज राजा का नहीं,प्रजा का है, तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो। आरती लिये तू किसे ढूंढता है मूरख, मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में? देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे, देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में। ©Ankit Upadhyay.... #रामधारी_सिंह_दिनकर #दिनकरकीभूमि #सिंहासन #खाली #करों #की #जनता 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🤌🤌🤌✍️✍️✍️✍️🫳🫳🫳👌👌👌💯💯