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Ravendra

बहराइच की जिलाधिकारी मोनिका रानी ने मतदाताओं से जाना हाल-चाल #चुनाव

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katha Darshan

तृष्णा की चाल । समसरा कविता shyari वीडियो भक्ति

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JP SIR JAIPUR

इसलिए रखी है बड़ी-बड़ी मूछे ताकि कोई हमारा हाल-चाल पूछे #Shayari

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єηмσηтισηѕ

हुस्न ए चाल love #Relationship #शायरी

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Praveen Jain "पल्लव"

#Emotional जब चाल चलन दुनियाँ का देखा #nojotohindi #कविता

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koko_ki_shayri

#Dhudh रहे hAi इसी चाल में...😍 #कोट्स

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Bulbul varshney

#samay वक्त भी अपनी चाल चलता है। #शायरी

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर  यह पीर हमारी है । #कविता

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माहिया/टप्पा छन्द
दुनिया दुखयारी है
पाँव पडूँ गिरधर 
यह पीर हमारी है ।।
पढ़कर दौड़े आना 
पाती हूँ लिखती
अब छूट गया दाना ।।
चाल चलूँ मतवाली 
देखो तुम साजन
हो अधरो पे लाली ।।
पट आज उठा लेना
बाते करने को
ढ़ल जाये जब रैना ।।
क्या प्रीति बिना फागुन
भायेगा मुझको
कुछ आकर कर अवगुन ।
२०/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR माहिया/टप्पा छन्द


दुनिया दुखयारी है

पाँव पडूँ गिरधर 

यह पीर हमारी है ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का #कविता

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घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल ।
छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।।

लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल ।
आज तुम्हारी चाल का , पूरा रखूँ खयाल ।।

आये कितनी दूर से , देखो है ये ग्वाल ।
हे राधा छू लेन दो , यही  नन्द के लाल ।।

हर कोई मोहन बना , लेकर आज गुलाल ।
मैं कोई नादान हूँ ,  सब समझूँ मैं चाल ।।

भर पिचकारी मारते , हम भी तुझे गुलाल ।
तुम बिन तो अपनी यहाँ , रहती आँखें लाल ।।
रिश्ता :-
रिश्ता अपना भी यहाँ , देखो एक मिसाल ।
छुपा किसी से है नही ,  हम दोनो का हाल ।।

रिश्ते की बुनियाद है ,  अटल हमारी प्रीति ।
क्या तोड़ेगा जग इसे , जिसकी उलटी रीति ।।

रिश्ते में हम आप हैं , पति पत्नी का रूप ।
मातु-पिता को मानते , हैं हम अपने भूप ।।

रिश्तों की बगिया खिली , तनय उसी के फूल ।
लेकिन उनमें आज कुछ ,  बनकर चुभते शूल ।।

एक रंग है रक्त का , जीव जन्तु इंसान ।
जिनका रिश्ता ये जगत  , जोड़ गया भगवान ।।

रिश्ता छोटा हो गया , पति पत्नी आधार ।
मातु-पिता बैरी बने , साला है परिवार ।।

०७/०३/२०२४     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल ।

छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।।


लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल ।

आज तुम्हारी चाल का

Rajendrakumar Jagannath Bhosale

आंतरराष्ट्रीय महिला दिन स्फूर्ती गीत #मराठीकविता

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आंतरराष्ट्रीय महिला दिना निमित्त प्रबोधन गीत

सोसूनी शिक्षा आजवर रुढीची 
ठेच विषमता अमानवी फडीची 
चालवले तूच संसाराचे जग रहाट 
स्त्रीस्वातंत्र्याची उजळ तू पहाट || धृ।।

मैत्रिय गार्गी विदुषी केंद्र स्त्री शक्तीचे
 शूर रजियाने उघडले दार स्त्री मुक्तीचे
 पारतंत्र्यात महिलांची झाली बंद वाट || 1||

सती प्रथा, स्त्री दास्यत्व लादले रुढीने 
झाकला स्वाभिमान दास्यत्व बुरख्याने 
बेगडी चौकटित बांधले गुलामीची गाठ || 211

जिजाऊ, मनीकर्णीका, अहिल्या, साहू 
दुष्ट चालीरीती तोडण्या उसळले बाहू
 फोडीले झुगारूनी कुप्रथेचे अमानवी माठ ॥ 3||

इंदिराजी, मायाबहेन, धगधगती तलवार 
स्त्री शक्ती पुन्हा उठा लावोनी ज्ञान धार 
जमू लागलेत पुन्हा गुलामीचे ढग दाट || 4||

सोसूनी शिक्षा आजवर रुढीची 
ठेच विषमता अमानवी फडीची 
भेकड गिधाडांना फोड आता दहाड ll 5ll 

कवी गायक संगीत श्री राजेंद्रकुमार जगन्नाथ भोसले

Rajendrakumar Jagannath Bhosale

©Rajendrakumar Jagannath Bhosale आंतरराष्ट्रीय महिला दिन स्फूर्ती गीत
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