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Eshwari
White प्राण गेल्यावरही "नेत्र" चार तास जिवंत असतात या चार तासात आपल्या माणसांची वागणूक पाहून प्राणशून्य देहाला "मरण" म्हणजे खुप मोठं गिफ्ट वाटत असेल..... ईश्वरी ©Eshwari #मरण एक आनंद
#मरण एक आनंद
read moreShailendra Anand
White रचना दिनांक 20,,12,,2024 वार,, शुक्रवार समय दोपहर बारह बजे्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््रचना संवरचना की धर्मी नाडी निर्माण खुदाई संस्कार परिवार है ् ््निजविचार ्् स्वस्थ रहना स्वस्थ् मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने, मूल मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं आत्मप्रेम आत्मसात मानव धर्म मानव सेवा है,, जब तक घर आंगन में अपने माता पिता में, ईश वंदना प्रेयर नमन वन्दंनीय है।।1।। शिक्षा दीक्षा संस्कार परिवार में मन मंदिर है , सब धर्मों में समरुपता है मंदिर, मज्जिद, गुरुद्वारे,चर्च, मजार , है निगाह ऐं ध्वनि इबादत खाना है।।2।। लेकिन इन्सान को पहले इन्सान बनाया गया है ,, शिक्षा का आयना मंदिर है नजरिया आनंद बोध ख़ुश रहना ही जिंदगी है , जिसमें परिवर्तन ही प्रगति का शान्तिपाठ है,।।3।। जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम पेश कर रहा हूं,, यह तकरीर या कोई प्रवचन नहीं है भविष्य में प्रवृत ज्ञानरस यथायोग्य संस्कार परिवार का दर्शन है,।।4।। जीयो और जीने दो जय जिनेन्द्र जय महावीर बुध्दमं शरणं गच्छामि, सतनाम कबीर दर्शन है देशधर्म संविधान है,।।5।। मेरा भारत प्रजातांत्रिक देश में अवाम में, खुशहाली में अच्छी तालीम हासिल हो,, सब धर्मों का निचोड़ प्रेरणा स्त्रोत, प्रथम निर्भीक सम्मान जरुरी है।।6।। वरना यह देश गुलामी की ओर अग्रसर है,, उसके जिम्मेदार आप और हम हैं,यह परिभाषा सच्चाई सत नमन वन्दंनीय ्भावचित्र होता है।7। कवि शैलेंद्र आनंद ©Shailendra Anand #love_shayari प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स कवि शैलेंद्र आनंद
#love_shayari प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स कवि शैलेंद्र आनंद
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रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ्शीर्षक ् ््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,, जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ्् ्््् नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को, हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।। यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,, खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है, रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।। , जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।। जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,, जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।। तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,, प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।। ्कवि शैलेंद्र आनंद 7,, दिसंबर,,2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक,1, दिसंबर 2024,, वार रविवार समय सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ्््आंतकवाद क्या है और वह किस अंन्दाज में फलता फूलता है,, उस पर देश और दुनिया भर में एक अंकूश बहुत जरूरी प्रयास होना , मानव सभ्यता संस्कृति के लिए सम्पूर्ण विश्व में सबसे अधिक प्रभावित करती है निजविचार ्््््् प्रिय मित्र,, सादर वन्दे, आंतकवाद किसे कहते हैं ्् आतंक से आत्ममंथन तक सामान्य रूप से जोअपराध अपराधी के चाल चरित्र से जो चौकस रहते मुस्तैद होकर लक्ष्य विद्रोह ,खौफ, भय, दहशत, मानव जीवन में जिसने भी फैलाया उसका तात्कालिक मकसद अराजकता और दमनकारी और अपने धर्म और नीति नियत पर अक़ामकता से घात प्रतिघात संघर्ष का रुप धारण जिस किसी का विरोध करने वाले राजसत्ता विरोध ही जनमानस में खतरा बन जाना ही आतंकवाद कहते हैं ।। जो उस अपराध में डुबता है वह आतंकवादी कहलाता है ।। अपराधी सिर्फ अपराधी होता है।। माना कि एक वर्ग विशेष समुह के लोग अधिकांश देश भक्त होते हैं।। ठीक विपरीत एक वर्ग विशेष समुह समाज का के लोग विश्व में अधिकांश साम्यवादी विचारधारा आक़ोश खौफ दहशत के साथ और समर्पित होकर अपने कर्म लक्ष्य पर मर मिट जाता है।। यही जस्बा विद्रोह बन जाता है।। वही आगे चलकर अफगानिस्तान में शासक वर्ग बनकर राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित देश का अंग बन जाता है।।््् ््््््निजविचार ््् ््् यह प्रक्रियाओं से जन्मा विचार सच में एक त्रासदी है ् ््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 1, दिसंबर 2024 कवि शैलेंद्र आनंद,, 1,, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर कवि शैलेंद्र आनंद
मोटिवेशनल कोट्स समस्याओं पर कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक 25,, नवम्बर 2024,, वार। सोमवार समय सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ्् ््््छाया चित्र में सिनहरियो में झिलमिलाते तारे सितारे एक अलग ही सुन्दर अपनी बात को लेकर खुश हो प्यारा सा जीवन में कुछ भी कर रहे हैं,, ऐसा प्रतीत होता देख रही है प्रेम मूर्ति प्रेम शब्द से जन्मा विचार सच है ््् निज विचार ्् ्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा, फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा्् कहे तो जाने अंजाने में,, आंखें यूंही बदनाम हो गई ्् प्यार करने वाले खूद ही खुद से,, सवाल जवाब बन गये।।1 ।। जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,, मायने क्या समझेगे।।2 ।। वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,, बनाने वाले होते हैं ।।3 ।। जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,, ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता, बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।। वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,, और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के छुपने का प्रहर।।5 ।। मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,, जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।। शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,, मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद 25,,, नवम्बर,,2024 ©Shailendra Anand Extraterrestrial life ््दर्द ऐं ग़म पर जिंदगी ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
Extraterrestrial life ््दर्द ऐं ग़म पर जिंदगी ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक 24,, नवम्बर 2024, वार। रविवार,, समय सुबह दस बजे ्््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््छाया चित्र में दिखाया गया फूलों से महकते रहे कला संस्कृति साहित्य और कला धर्मी रचनाकार , शब्द शिल्पी कलाकृति मुर्तिकार चित्रकार की, तुलिका से सजाया गया विचार सच है ्््निज विचार ््््भावचित्र ्् कलाधर्मी््् ््शब्द साधिका कलाप्रेमी शब्द मनिषी ््् ््््निजविचार ््् बहुत सुंदर बहुत खुब सिद्धांत सुविधाएं मांगे साक्ष्य सब कुछ उपलब्ध है ,, ,,पत्थर को तराशती तोड़ती पत्थर से निकलते झैनी और हथौड़ी से आकर प्रकार निर्राकार।। आकारहीन हवाओं में रहते,, मन से कलम दवात कागज पर लिखकर ,।। चित्र को चित्रकार,और मूर्ति को मूर्तिकार रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से रूबरू होकर नक्काशी वाले ,, शब्दशिल्पी अपने विचार प्रकार,,मीनु,, अलग अलग गुणों से भरपूर होते हैं ।। जो कला साहित्य विज्ञान कर्म मर्मज्ञ शब्द साधिका है ,, सुर्य के भांति संसार में जगत में चमक रही है।। ््् कवि शैलेंद्र आनंद ््् 24,,11,,2024,, ©Shailendra Anand 'अच्छे विचार' ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
'अच्छे विचार' ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
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भावचित्र ्् निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््मन की व्यथा ्् सुंदर रचना सुंदर लेखन रचना है ,, संवरचनाकी से कलम दवात कागज पर लिखकर चित्र बहुत दिल में उतर गया। मेरे मित्र आपके जस्बात से जन्मा विचार सच है,, धन्यवाद् राम में ही आवृत्ति प्रवृत्ति निरन्तर प्रगति विरोध समर्थन दोनों ही आनंद दे सकता है ।। मैं सोच रहा हूं, मैं आपके साथ खड़ा हूं। मसला मक्ता जेहन से अपना रिश्ता अनमोल वचन क्षण पल है ,, सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार अमर उजाला है।। मन खटृटा करने से कुछ बिगड़ने वाला नहीं है,, आप आगे बढ़ो हम दिलों से सजाया गया, भाव भंगिमा इच्छा शक्ति प्रेम शब्द ग़ज़ल में , एक स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द है ।। राम नाम सुखदाई है तो देश दुनिया सुनती हैं,, आनंद भयो जग में जगदीश्वरी मां शब्दों में।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 22,, नवम्बर 2024 ©Shailendra Anand आज का विचार ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
आज का विचार ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
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White रचना दिनांक ,,21, ब नवम्बर 2024 वार गुरुवार समय सुबह ्््पांच बजे ््निज विचार ्् ््भावचित्र ्् ््््शीर्षक ््् ्््छाया चित्र में दिखाया गया गगन निहारते हुए एकाएक ही सुन्दर ,,और सार्थक, है,,, हे मेरा मानना ही जिंदगी में नवगति नव स्वपन में अभिनय कर देख रहा है, चलचित्र द़श्य और द़श्यावलोकन से अपनी दिशा में एक स्वर पुकार , नाद प्रेम शब्द संग्रह में शब्द सरोवर में स्नान करने वाले अच्छे लगते है्् स्वपन आत्मप्रेम आत्मसात करने वाले अच्छे लगते है ्् जीवन मंत्र एक जीवंत प्रयास कर रहे जीवन यात्रा में शामिल समन्वय स्थापित कर रहे हैं ,, आज के परिवेश में दिनचर्या में तीखे सवाल तौर तरीके लौकिक और अलौकिक पारलौकिक शक्तियों से, मायावी संसार में जगत में एक जीवंत मंथन चिन्तन मनन ही जिंदगी है।। ईश प्राप्ति हेतु गुप्त मंत्रसिद्ध स्फटिक माला से जप साधना , अष्टलक्ष्मी धनवंतरी पूजणऔषधीय गुणान्चा माला वैजन्ती माला से जप करें ।। शुभप्रद परिणाम प्राप्त होंगे यह दर्शन करने वाले अगहन मास में मुख्य रूप है ,, मेरे निज विचार है करे साधना प्रकृति में आनंद स्वरुपिणी दैवीय, स्वाहादैवीय स्वपत्नी स्वधादैवीय ,नरनारायण नमोस्तुते नमोस्तुते नमस्ते दैवीय नमः।। अन्न, धन, संपत्ति, धनधान्य से पूर्ण सम्पूर्ण विश्व जगत में निहित निष्ठा और लगन जुनून है,, मेरा जीवन क्षण क्षणिका एहसास क्षणिका में एक स्वर में प्रेम शब्द से, अखिल विश्व में जनजीवन मंगलमय हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है।। आज अशांति और वैमनस्यता से जन्मा है,, वैचारिक मतभेद और जहरीले दंश झेल रही । आकुलता से व्याकूलता से जनजीवन हैरान परेशान जमाने में लोग,, अवश्य ही जिंदगी से जुड़ी हुई घटनाओं से बहुत ही परेशान हैं यह साम्प्रदायिक भेद भाव और धार्मिक उन्माद से जन्मा विचार सच में जहरीले सांप प्रतीत हो रहा है।। ््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 21,, नवम्बर,,2024,, ©Shailendra Anand #sad_quotes मोटिवेशनल कोट्स ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
#sad_quotes मोटिवेशनल कोट्स ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
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रचना दिनांक,,16,, नवम्बर 2024 वार। शनिवार समय। सुबह पांच बजे ््निज विचार ्् ्््भावचित्र ््् ्््शीर्षक ््् ्््ऐ नज़र ््््निजविचार्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ऐ नज़र बड़े खुश नसीब है वो,, जो अपने होते नहीं देख सकते थे।।1।। जिन्हें अपना कहते थकते नहीं थे,, वो लफ्जो से आस्तीन के सांप बन गये।। देखें सपनो में खो गए ऐ नज़र,, वो लफ्जो का नूर काफ़िर बन गया।।3।। कहने को परखना तन मन नहीं,, ये पूतला माटी का नही है।।4।। ये इबादत अकीदत पेश किया गया,, मेरे हजूर नबी की खिदमत में पेश है।5। ये अल्फाज़ नगीना है नूर है,, ये साफ़ आयना मेरे ज़िगर से है।6। ये ईमान लिखूं या प्रेम की हकीकत,, ऐ नज़र इश्क में जो कुछ लिखा गया,, वो मतला तेरे ख्यालों का,, ये नूर ए नज़र रुहानी जिंदगी का।7। यूं ही पत्थरों को तराशते रहे,, किसी कि याद में जिंदगीसवार दी।8। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् किसी की यादों में हम दिलों सए ©Shailendra Anand शायरी दर्द ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
शायरी दर्द ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक,,,15,, नवम्बर,,2024 वार,,,, शुक्रवार समय सुबह दस बजे ्््निज विचार ््् ््भावचित्र ््निज विचार ्् ्भावचित्र ् ्शीर्षक ् ््दर्द ऐं ग़म पर जमाना हंसेगा, फ़कत अश्क आंखों में हमको छुपाना पड़ा्् कहे तो जाने अंजाने में,, आंखें यूंही बदनाम हो गई ्् प्यार करने वाले खूद ही खुद से,, सवाल जवाब बन गये।।1 ।। जो प्यार नहीं करते है वो प्यार के,, मायने क्या समझेगे।।2 ।। वो बस झुठे किस्से ख्याली पुलाव,, बनाने वाले होते हैं ।।3 ।। जिन्हें किसी की मोहब्बत भरी नज़रों से,, ना था कोई वास्ता ना,ही, कोई रिश्ता नाता, बस वो ग़म ऐं द़र्द पर जिंदगी के मज़ाक उड़ाते हैं।।4 ।। वो लफ्जो का मोल अश्कों का तोल ,, और मेरे प्यारे नयनों में ढलकते अश्कों के छुपने का प्रहर।।5 ।। मेरी मुस्कान मन्द अधर पर ले उड़े होश का आनंद लें,, जो कोमल सा गुलाबी से लाल हो,प्यारी सी जीवन शैली ।।6 ।। शैलेंद्र आनंद की सज गई तस्वीर,, मेरे प्यार की रंगत इस ज़माने में।।7 ।। ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ©Shailendra Anand सायरी मोटिवेशन ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
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