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Anjali Singhal
"यादों के आईने में उभरी है आज एक धुंधली-सी याद, उम्र मेरी रही होगी करीब आठ-दस साल। पाँचवीं-छठी में मैं पढ़ती थी प्रश्न को प्रसन्न कहती थी। वैसे बोली बिल्कुल सही थी और बोली में मिठास भी थी। बस प्रश्न को मुझसे प्रसन्न ही बोला जाता था, और यही उपहास का कारण बन जाता था। इतिहास की अध्यापिका मुझे छेड़ा करती थीं, बात-बात पर यह शब्द मेरे मुँह से निकलवाया करती थीं।
read moreAnjali Singhal
"एस.एस.वी.शिशु सदन रेलवे रोड हापुड़....शिक्षा का मंदिर...हमारा स्कूल...जी हाँ...उस दौर में हमारे इस स्कूल को हापुड़ में सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। हमारे इस स्कूल की प्रधानाचार्या आदरणीया नरेंद्र कौर कोहली जी थीं और हम इन्हें बड़ी मैडम कहते थे। कोमल मन लिए हम तो महज कच्ची माटी थे। इस स्कूल की अध्यापिकाओं ने नैतिकता, अनुशासन और अच्छे आचरण का पाठ पढ़ाकर न केवल हमारे मानसिक व्यक्तित्व को निखारा बल्कि वे सभी हमारे जीवन में मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत बनीं। बचपन में बिताया गया समय कोई भूल नहीं पाता बस
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हिन्दी अनुवाद भाग२ आज भी अग्निपरीक्षा (लेख) आज भी स्थिति यही है हर नारी की अग्निपरीक्षा देती है हर क्षण प्रतिक्षण, प्रश्नावली जीवन की समाज में आज भी वही है, कसौटी है हर प्रश्न जीवन से संबंधित आज की नारी का,खरा उतरना भी जरुरी है जब बात आत्म सम्मान पर आती है,
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित संस्कृत लेख भाग१ अद्यत्वे अपि अग्निप्रवेशम अद्यत्वे अपि स्थितिः प्रत्येकस्य महिलायाः अग्निप्रवेशम अस्ति। प्रतिक्षणं ददाति, जीवनस्य प्रश्नावली अद्यत्वे अपि समाजे समाना अस्ति,जीवनसम्बद्धः अद्यतनः प्रश्नः एव परीक्षा। स्त्रीणां,आत्मसम्मानस्य विषये अपि सत्यं स्थातुं महत्त्वपूर्णम् अस्ति।सा आगच्छति, .
read moreNakara
कभी अच्छा है खाली रहना भी कभी कुछ कर जाना भी अच्छा है जो अच्छा नहीं है तो वो है प्रयत्न ना करना हार जाना कुछ करने से पहले ही... ©Nakara #Sitaare #hindi #कविता #mydiary #लेख #nojoto #quote #poem #thought
ashutosh anjan
नियमों का उल्लंघन (लेख) कैप्शन मे पढ़ें👇 नियमों का उल्लंघन एक हिंदी मूवी आयी थी ख़ूबसूरत जिसमें एक गाना था कि- "सारे नियम तोड़ तो,नियम पर चलना छोड़ दो" लगता है वो लोगों ने अधिक गंभीरता से लिया और नियम कानून को तोड़ने में लोग गर्व का अनुभव करने लगें। जब सरकार और पुलिस, सेना जैसे सशत्र बल नियम पालन हेतु दबाव बनाते है तो हम प्रत्यक्ष नही परोक्ष रूप से नियमों को भंग करते है। मुझें याद है अभी यातायात को लेकर नियम कड़े किए गए, गाड़ी से जुड़े कागजात और हेलमेट इत्यादि अनिवार्य किया गया,इतना सख़्ती के बावजूद लोग हेलमेट पहनने की बजाय मुख्य रोड से जाने
नियमों का उल्लंघन एक हिंदी मूवी आयी थी ख़ूबसूरत जिसमें एक गाना था कि- "सारे नियम तोड़ तो,नियम पर चलना छोड़ दो" लगता है वो लोगों ने अधिक गंभीरता से लिया और नियम कानून को तोड़ने में लोग गर्व का अनुभव करने लगें। जब सरकार और पुलिस, सेना जैसे सशत्र बल नियम पालन हेतु दबाव बनाते है तो हम प्रत्यक्ष नही परोक्ष रूप से नियमों को भंग करते है। मुझें याद है अभी यातायात को लेकर नियम कड़े किए गए, गाड़ी से जुड़े कागजात और हेलमेट इत्यादि अनिवार्य किया गया,इतना सख़्ती के बावजूद लोग हेलमेट पहनने की बजाय मुख्य रोड से जाने
read moreOmkar Ranveerkar
मानसिक आरोग्यावर एक खूप सुंदर लेख! लिंक खाली वर्णनात आहे. https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2888802781445993&id=100009488997733 #मानसिकआरोग्य #mentalhealth #depression #नैराश्य #मानसिक_तनाव #लेख #तणावमुक्ती #समुपदेशन
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2888802781445993&id=100009488997733 #मानसिकआरोग्य #mentalHealth #depression #नैराश्य #मानसिक_तनाव #लेख #तणावमुक्ती #समुपदेशन
read moreNamit Raturi
बदलाव कहाँ है? Read Article in Caption. अरे छोडिए यह दिखावा की आपको फर्क पडता है,यह उबाल मैंने दिल्ली में भी देखा था,आपकी कोशिश को छोटा नहीं कहना चाहता,लेकिन कटू सत्य यह है कि 2012 से अबतक कितने बलात्कार हुए यह जानने के लिए आपको कैल्कुलेटर निकालना पडेगा । 1 दिन मे करीब 91 महिलाओं का बलात्कार होता है इस देश मे,8 साल हो गए दिल्ली और हाथरस की घटना के बीच, क्यों उलझ गए हिसाब मे? । दो बिल्कुल अलग शहर,एक दिल्ली जिसे आधुनिकता ने पाला,एक हाथरस जिसे देसीपने ने पाला लेकिन घटना एक जैसी,लेकिन सोच एक जैसी । तो फर्क कहाँ है? क्या इमारतों के कद,कम य
अरे छोडिए यह दिखावा की आपको फर्क पडता है,यह उबाल मैंने दिल्ली में भी देखा था,आपकी कोशिश को छोटा नहीं कहना चाहता,लेकिन कटू सत्य यह है कि 2012 से अबतक कितने बलात्कार हुए यह जानने के लिए आपको कैल्कुलेटर निकालना पडेगा । 1 दिन मे करीब 91 महिलाओं का बलात्कार होता है इस देश मे,8 साल हो गए दिल्ली और हाथरस की घटना के बीच, क्यों उलझ गए हिसाब मे? । दो बिल्कुल अलग शहर,एक दिल्ली जिसे आधुनिकता ने पाला,एक हाथरस जिसे देसीपने ने पाला लेकिन घटना एक जैसी,लेकिन सोच एक जैसी । तो फर्क कहाँ है? क्या इमारतों के कद,कम य
read moreNamit Raturi
"बिस्कुट" हिंदी दिवस के दिन हिंदी को नमन,लेख कैप्शन मे पढें ।। चाय की चुस्कियाँ और बिस्कुट का स्वाद बस दिन भर की थकान मिटा देती है,ऐसे में बिस्कुट पवित्र चाय की डुबकियां लगाकर वापस आपके होठों पे आ जाए तो भगवान का शुक्रिया करना ना भूलें , पर धत तेरी की मेरी किस्मत में वो सुख कहाँ? मेरे बिस्कुट ने चाय में डूब कर आत्महत्या कर ली, और सहसा दुख की इस घडी में मुह से निकल गया “साला आखरी बिस्कुट था” । तभी मेरी व्यथा सुनकर दुकान पे खड़े सज्जन जो सिग्रेट फूंक रहे थे ,बोल पड़े अंग्रेजी में “भाई इट्स बिस्कीट नोट बिस्कुट” . मन तो करा की वहीं चाय का प्याला घुमा के मारे सर
चाय की चुस्कियाँ और बिस्कुट का स्वाद बस दिन भर की थकान मिटा देती है,ऐसे में बिस्कुट पवित्र चाय की डुबकियां लगाकर वापस आपके होठों पे आ जाए तो भगवान का शुक्रिया करना ना भूलें , पर धत तेरी की मेरी किस्मत में वो सुख कहाँ? मेरे बिस्कुट ने चाय में डूब कर आत्महत्या कर ली, और सहसा दुख की इस घडी में मुह से निकल गया “साला आखरी बिस्कुट था” । तभी मेरी व्यथा सुनकर दुकान पे खड़े सज्जन जो सिग्रेट फूंक रहे थे ,बोल पड़े अंग्रेजी में “भाई इट्स बिस्कीट नोट बिस्कुट” . मन तो करा की वहीं चाय का प्याला घुमा के मारे सर
read moreNamit Raturi
"बिस्कुट" हिन्दी भाषा को समर्पित यह लेख "कैप्शन" में पढें । चाय की चुस्कियाँ और बिस्कुट का स्वाद बस दिन भर की थकान मिटा देती है,ऐसे में बिस्कुट पवित्र चाय की डुबकियां लगाकर वापस आपके होठों पे आ जाए तो भगवान का शुक्रिया करना ना भूलें , पर धत तेरी की मेरी किस्मत में वो सुख कहाँ? मेरे बिस्कुट ने चाय में डूब कर आत्महत्या कर ली, और सहसा दुख की इस घडी में मुह से निकल गया “साला आखरी बिस्कुट था” । तभी मेरी व्यथा सुनकर दुकान पे खड़े सज्जन जो सिग्रेट फूंक रहे थे ,बोल पड़े अंग्रेजी में “भाई इट्स बिस्कीट नोट बिस्कुट” . मन तो करा की वहीं चाय का प्याला घुमा के मारे सर
चाय की चुस्कियाँ और बिस्कुट का स्वाद बस दिन भर की थकान मिटा देती है,ऐसे में बिस्कुट पवित्र चाय की डुबकियां लगाकर वापस आपके होठों पे आ जाए तो भगवान का शुक्रिया करना ना भूलें , पर धत तेरी की मेरी किस्मत में वो सुख कहाँ? मेरे बिस्कुट ने चाय में डूब कर आत्महत्या कर ली, और सहसा दुख की इस घडी में मुह से निकल गया “साला आखरी बिस्कुट था” । तभी मेरी व्यथा सुनकर दुकान पे खड़े सज्जन जो सिग्रेट फूंक रहे थे ,बोल पड़े अंग्रेजी में “भाई इट्स बिस्कीट नोट बिस्कुट” . मन तो करा की वहीं चाय का प्याला घुमा के मारे सर
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