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priyanka pilibanga
तेज केशरी पत्रिका मे प्रकाशित रचना 😊😊 https://nojoto.page.link/q5tV4❤️ ©Priyanka pilibanga प्रकाशित रचना 🤗❤️
प्रकाशित रचना 🤗❤️
read moreनवनीत ठाकुर
White दरख्त काट के हमने शहर बसाए, अब हर सांस को तरसने का वक्त बना रखा है। दरिया रो रहे हैं, पहाड़ टूट रहे हैं, हमने तरक्की के नाम पर ज़हर बना रखा है। जंगल जलाकर हमने इमारतें खड़ी कीं, फिर भी छांव को तरसने का दौर बना रखा है। हवा, पानी, धरती का हाल पूछो ज़रा, हमने कुदरत को अपने बाप की जागीर बना रखा है। ©नवनीत ठाकुर #प्रकृति
Ghanshyam Ratre
White आसमां में चांद और चमकते सितारों की खूबसूरत नजारे हैं। धरती पर पेड़-पौधों झाड़ीयों का हरा भरा छाया हरियाली हैं।। प्रकृति का सौंदर्य रूप देखकर मन में हर्षोल्लास होते हैं। कहीं-कहीं नदियां,पहाड़ पर्वत बाग -बगीचे दृश्य मन को मोह लेते हैं।। ©Ghanshyam Ratre प्रकृति की सुंदरता
प्रकृति की सुंदरता
read moreनवनीत ठाकुर
जमीन पर आधिपत्य इंसान का, पशुओं को आसपास से दूर भगाए। हर जीव पर उसने डाला है बंधन, ये कैसी है जिद्द, ये किसका अधिकार है।। जहां पेड़ों की छांव थी कभी, अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी। मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया, ये कैसी रचना का निर्माण है।। नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने, पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है। प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र, बस खुद की चाहत का संसार है। क्या सच में यही मानव का आविष्कार है? फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है, सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है। बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है, उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है। हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है, किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है, इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।। हरियाली छूटी, जीवन रूठा, सुख की खोज में सब कुछ छूटा। जो संतुलन से भरी थी कभी, बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।। बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है। हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है? ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है? क्या यही मानवता का सच्चा आकार है? ©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता
#प्रकृति का विलाप कविता
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
White प्रकाश अंधकार का प्रबल शत्रु है कहते लोग प्रकाश प्यासे नेत्रों की जीवन भर सदा बुझाए प्यास इसके बिन हर किसी का जीवन है बेरंग लगता जैसे शून्य है धरती व आकाश तपने लगती ताप से जब भी कोई चीज तब होकर उत्पन्न यह करे तिमिर का नाश पोल खोलता है उसकी जिससे यह टकराता बेखुद यही कराता है सुख दुःख का अहसास ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #प्रकाश
Urmeela Raikwar (parihar)
White प्रकाश parve ki बहुत-बहुत badhai ©Urmeela Raikwar (parihar) #happy_diwali प्रकाश parve
#happy_diwali प्रकाश parve
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White Prakash गर्व ki बहुत-बहुत बधाईयाँ ©Urmeela Raikwar (parihar) #happy_diwali प्रकाश parv
#happy_diwali प्रकाश parv
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