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Arora PR
असमंजस और नेराशय के गड्डे मे आखिर तुम कब तक़ यहां पड़े रहोगे अच्छा होगा आँखे अपनी खोलो वरना अगले जन्म मे भी तुम्हे यही सब फिर दोहराना पड़ेगा ©Arora PR आँखे अपनी खोलो
Brandavan Bairagi "krishna"
।।द्वार-खोलो।। दिल के द्वार तुम खोलो। झूठ कभी ना बोलो। जो भी बोलो पहले सोचो। हर किसी के सामने अपने राज ना खोलो। बृन्दावन बैरागी"कृष्णा" ©Brandavan Bairagi "krishna" द्वार खोलो #WinterLove
Ek villain
हरियाणा में आई आवासीय कॉलोनी बनाने वाली कंपनियां उपभोक्ताओं को त्रस्त कर रही हैं प्रदेश सरकार को भी हानि पहुंचा रही है इन पर अंकुश लगाने के बारे में प्रदेश सरकार को गंभीरता से सोचना होगा यह कंपनी विकास के नाम पर जो शुल्क भुगतान से ले रही है वह सरकार के खाते में जमा ही नहीं हो रहा त्रास देने वाली बात यह है कि उपभोक्ता किसी कारणवश भुगतान में विलंब कर देता है तो उससे संबंधित राशि पर ब्याज भी वसूल करती है लेकिन इन कंपनियों पर विकास उनका 15000 करोड रुपए बकाया है जो उन्होंने सरकार के खाते में जमा कराया था यह राशि जमा ना होने से आवासीय कालोनी में सीवर और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराने के बारे में सरकार नहीं सोचती इन कंपनियों ने उपभोक्ता में जो राशि वसूली है सरकार उसी बारे में विचार नहीं कर रही इससे यह बात तो स्पष्ट हो जाती है कि कंपनियां संबंधित शासकीय अधिकारियों को अनुग्रहित करती है इससे कंपनियों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई करते ही करते हैं यही कारण अधिकारियों को इस बात पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि सरकार कितनी हानि हो रही है अथवा उपभोक्ता कितने तरस हो रहे ©Ek villain #अधिकारियों की लापरवाही #selflove
Anuj Ray
पंख खोलो तो सही" पंख खोलो तो सही,करके इशारे आसमां ख़ुद तुम्हें बुलाएगा। समझ रहे हो जिसे दूर की मंज़िल, खुशियों का ठिकाना वही बन जाएगा। छोड़कर दर जरा हिम्मत तो करो, पांव के नीचे सारा जहां नज़र आएगा। ©Anuj Ray # पंख खोलो तो सही"
Rajesh
कांच का बंगला पत्थर कैसे मारु बड़े बाप की लड़की लाइन कैसे मारूं ©riya #DhakeHuye रिया बंजारा खोलो
Vikram Prashant "Tutipanktiyan "
कह रहे हो कोई कहानी तुम जोश में मत खोलो कई गुत्थियां जान कोई अटकी हो न जाने उसकी आगोश में कि हाथ तुम्हारे पकड़ कर वो चल दी थी संग कहीं की थी कई अठखेलियां, नादानियाँ, मस्तियाँ नाम कुछ दिए बिना राज खोलें हो उसने अल्हड़पन के आवेश में कई न जाने वो किस शहर की थी जी रही थी कहीं दुबकी दुबकी तुम्हारे हाथ पकड़ कर कर रही थी पागलपन चल रही थी कहीं भी तुमने सिगरेट सुलगाया था कई कश उसने मारा था धुंआ अटक अटक रहा था से दूर निकल कर हर कश में कितने रिंग बनाया था शराब की हर घुट भी कर रही थी कहानी बयां पीछे छोड़कर न जाने कैसी जिंदगी। तुम चाहे हो शब्दों के जादूगर उलझाते हो जिंदगी पर जो कहानी तुम कह रहे वो है सांस लेती जिंदगी मत कहो उस वक़्त वो तुम्हारे प्रेम में थी इस पल तुम उसके प्रेम में हो नाम कुछ नहीं दिया जब उसने तुम्हारा उसके इस पल पर हक नहीं कह रहे हो कोई कहानी तुम जोश में मत खोलो कई गुत्थियां जान कोई अटकी हो न जानें उसकी आगोश में। ©Vikram Prashant "Tutipanktiyan " मत खोलो कई गुत्थियां #lost