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Chetna Singh
जिसे सोचकर ही चेहरे पर मुस्कान आ जाए, बस वही प्रेम है. सुनो जिसे सोचकर ही..✍️✍️ ©Chetna Singh यत्र नारि आज की आवाज बिहार. जिसे सोचकर ही...✍️✍️
Anup Kumar Gopal
Life Like 22 मार्च बिहार दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ©Anup Kumar Gopal #Lifelike बिहार दिवस
@Manorama morya
बिहार दिवस की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।। 22 मार्च बिहार दिवस ©@Manorama morya #बिहार दिवस
MADHUKANT THAKUR
हां बिहार हैं हम बुद्ध का वास्तविक ज्ञान हैं हम स्वतंत्रा हेतु चंपारण का पहला संग्राम हैं हम सम्राट अशोक जैसे प्रतापी राजाओं का खलिहान हैं हम विवाह के पारंपरिक गीतों की तान हैं हम देश की सान हैं हम गिनती की पहली सीढ़ी शून्य का आविष्कार हैं हम छठ जैसे महापर्व का इंतेजार हैं हम हां बिहार हैं हम... ✍️मधुकान्त . . . . . . ©MADHUKANT THAKUR #बिहार
anoj kumar
हेलो दोस्तों मैं सभी को नमस्कार करता हूं मेरा नाम अनोज कुमार मैं सभी दोस्तों से निवेदन करता हूं कि बिहार में जल्द से जल्द कंपनियां आनी चाहिए क्योंकि बिहारी लोग जितना भाई है से सब बाहर जाता है बाहर न जाना पड़े आप लोग से सभी को निवेदन करता हूं सरकार से मांग कीजिए और इसे लाइक कीजिए सब्सक्राइब कीजिए,💞🙏🙏 ©anoj kumar #snowpark बिहार से💞💞🙏🙏🏃🏃,,
सत्यमेव जयते
शिव जी और पार्वती जी ने एक दिन विचार किया कि अब बच्चों का विवाह करना चाहिए। कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी से कहा कि जो इस पूरे संसार का चक्कर लगाकर पहले लौट आएगा, उसका विवाह पहले कराएंगे। कार्तिकेय स्वामी तो अपने वाहन मयूर यानी मोर पर बैठकर उड़ गए। गणेश जी का वाहन चूहा है तो उन्हें अपना दिमाग दौड़ाया। गणेश जी ने तुरंत ही माता-पिता यानी शिव-पार्वती की परिक्रमा कर ली और कहा कि मेरे तो आप दोनों ही पूरा संसार हैं। ये बात सुनकर शिव जी और पार्वती जी बहुत प्रसन्न हो गए। शिव जी ने गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दे दिया। कार्तिकेय स्वामी संसार की परिक्रमा करके आए तो उन्हें थोड़ा ज्यादा समय लग गया। वापस लौटकर कार्तिकेय स्वामी ने देखा कि गणेश का विवाह हो गया है। पूरी बात मालूम हुई तो कार्तिकेय स्वामी नाराज हो गए। नाराज होकर कार्तिकेय स्वामी क्रोंच पर्वत पर चले गए। ये क्रोंच पर्वत आज दक्षिण भारत में कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर है। इसे श्रीपर्वत भी कहते हैं। माता-पिता ने कार्तिकेय स्वामी को मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन कार्तिकेय का गुस्सा खत्म नहीं हुआ। जब बहुत कोशिशों के बाद भी शिव-पार्वती कार्तिकेय स्वामी को मना नहीं पाए तो उन्होंने तय किया कि अब से वे हर माह की अमावस्या पर शिव जी और पूर्णिमा पर पार्वती जी कार्तिकेय से मिलने क्रोंच पर्वत पर जाएंगी। इसलिए श्रीपर्वत के मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में शिव जी और पार्वती जी, इन दोनों की ज्योतियां हैं। मल्लिका यानी पार्वती और अर्जुन यानी शिव जी। इस कहानी का संदेश यह है कि माता-पिता अपनी नाराज संतान को मनाने के लिए पूरी कोशिश करते हैं। बच्चों को भी अपने माता-पिता की भावना का ध्यान रखना चाहिए। बच्चे अलग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते हैं तो माता-पिता को ही उन्हें थोड़ा प्रेम से समझाना चाहिए। ©Kumar Vinod गणेश का विवाह हो