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Stories related to dhyan sreenivasan

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Abundance

dhyan dhyan mira Internet Jockey

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फैसले पर विरोध होने लगे जब.....
तो फैसला बदल दो या विरोध का रुख मोड़ दो.....

©MALLIKA
  dhyan dhyan mira Internet Jockey

Rabendra pal @ Bablu Raj

Mmm malwinder

#dhyan #Poetry

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Abhimanyu Dwivedi

Dhyan #विचार

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**भय से मुक्ति प्रेम की युक्ति-ध्यान** 


**ध्यान एवं प्रेम,भय मुक्ति का सर्वोत्तम मार्ग है 
समर्पण एवं अहोभाव ध्यान के प्रवेश द्वार हैं **


🍀🌷अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)🌷🍀

©Abhimanyu Dwivedi Dhyan

Abhimanyu Dwivedi

dhyan #विचार

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*ॐ*  ध्यान  *ॐ* 

**स्वयं की संपूर्ण प्रकृति का, समग्रता एवं निजता में डूबकर, निकता से तट्स्थ होकर दर्शन करने की कला है ध्यान **


🙏अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त) 🙏

©Abhimanyu Dwivedi dhyan

Abhimanyu Dwivedi

dhyan #विचार

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**ध्यान**

*ध्यान बेहोश मानव के होश और बोधिरमयम अस्तित्ववान मानव हो जाने से की कुँजी है*

अर्थात 

ध्यान मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक चलने वाली सम्पूर्ण क्रियाओं ,एवं उन क्रियाओं के लिए प्रोत्साहित करने वाले मन (क्रिया का बीज़),एवं उससे उपजने वाले शुभाशुभ प्रारब्ध (क्रिया के बीज से जन्मे फल) की समीक्षा करना एवं उनका साक्षी होना,एवं उचित समय पर उन्हें एक यथोचित मार्ग की ओर मोड़ने एवं शुभ(शिव) का आह्वाहन करके ,सार्थकता के अवलोकन का उद्दीपन करना है एवं स्वयं का अभ्युदय कर लेना है

ताकि फिर इससे जन्म लेने वाले प्रारब्ध (कर्म बीज़ के फल- भाग्य ,सुख-दुःख,यश-अपयश,कीर्ति -अपकीर्ति,स्वस्थ -अस्वस्थ ,विवेक -अज्ञानता बोध-निबोध)इत्यादि जीवन निधियों हेतु जीव को स्वयं को ,परिवार को ,समाज को ,संस्कृति को , सभ्यता को,समय को ,भाग्य को ,प्रकृति को और ईश्वर को दोष न देना पड़े (जिससे कुछ बदल नहीं सकता है न बदल सका है)

अपितु जो भी वर्तमान फल का मूल है उसे धारण करने का समर्थ एवं उसके सार के साथ आनंदित रहने की कला उपलब्ध हो जाये और जीवन में हर स्थिति और परिस्थितियों में संतुलन सधा रहे
इससे जीव में प्रकृति , ईश्वर एवं उसके द्वारा सृजित इस सम्पूर्ण सृष्टि के प्रति अपार श्रृद्धा , समर्पण का जनम होता ही है और तब जीव के जीवन में प्रेम का वटवृक्ष उगता है जो संपूर्ण मानव जाती के साथ-साथ अन्य सभी जीवों (चर-अचर) के प्रति सम्मान और अहोभाव का सृजन करता है जो जीव में तुलना के भेद को समाप्त कर सम-दर्शन को स्फ़ुटित करता है 
और तब ऐसा जीव बुद्ध की करुणा ,मोहम्मद की सरलता,नानक की समता,कृष्ण के प्रेम ,मीरा की भक्ति ,कबीर की अलखता,तुसली की गरिमा, अहिल्या की प्रतीक्षा आदि का धारक हो जाता है

ऐसा महासमर्पण धारी जीवात्मा ही *महात्मा* कहलाने का पूर्ण अधिकारी हो जाता है 
इसलिए बुद्ध को **महात्मा बुध्द** भी कहा गया 

और जब ऐसा महात्मा जो जीवन के हर आयाम में सम्यक दृष्टि रखता हो एवं जिसका ह्रदय दिव्य विराट का धारक हो और आत्मा का संदेश जिसके हर कर्म से स्फुरित हो रहा हो वह जीवात्मा होश एवं बोध का महासूर्य हो जाता है और ब्रम्हांड के ब्रम्ह स्वरुप (शिव) अस्तित्व में दिग्दिगंत कालो के लिए ध्रुव तारे की भाँति कीर्तिमान हो जाता है 

**शिवोहं अस्तित्व से स्वसृजित अनुभूति की अभिव्यक्ति**

🙏 अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त) 🙏

©Abhimanyu Dwivedi dhyan

Abhimanyu Dwivedi

dhyan #विचार

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🌱🌱ध्यान पथ 🌱🌱

***मन के धरातल से उतपन्न हो रही विचारो की पवित्र सरिता 
जब मस्तिष्क की ओर न प्रवाहित होकर ह्रदय के विराट आंगन से होकर
 भावो की अनवरत धारा बन जाती है और अहोभाव के रूप में सुगन्धित होकर अनुभूति की सुवास से अभिव्यक्ति के दर्पण में प्रतिबिंबित होने लग जाये 
और होश का कमल खिल उठे  तब   
*प्रज्ञा *पल्लवित होने लग जाती है
 यहाँ से चेतना के सूर्य का उदय होता है! ***

🍀🌷🍀अभिमन्यु  ( मोक्षारिहन्त) 🍀🌷🍀

©Abhimanyu Dwivedi dhyan

Nandani patel

#dhyan #Thoughts

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Prabhuji Singh

dhyan #Life

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Abhimanyu Dwivedi

dhyan #विचार

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*ॐ* ध्यान परम सत्य *ॐ*


*ॐ*जीवात्मा का सर्वोत्तम धर्म है,आत्मबोधि 
  जिसका परमदिव्य पथ है ध्यान और साधना 
इसकी परमोपलब्धि है संबोधि से समाधी 
और समाधी महाशून्य सदाशिव में तल्लीन हो जाना है *ॐ* 
   

🍀🙏अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त) 🙏, 🍀

©Abhimanyu Dwivedi dhyan
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