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Devesh Dixit
गर्मी (दोहे) गर्मी जब से आ गई, बहे स्वेद की धार। धूप लगे घनघोर है, सूरज करे प्रहार।। जल शीतल पीने लगे, बुझे न फिर भी प्यास। गला सूखता है बहुत, क्या आएगा रास।। धरा काँपती है बहुत, जैसे चढ़ा बुखार। राहत भी मिलती नहीं, बहती गरम बयार।। छाता लेकर घूमते, है गर्मी का जोर। गर्मी गर्मी कर रहे, मचा रहे हैं शोर।। बगिया में जब फल लगे, खुशी मनाते लोग। मार मार पत्थर उसे, ले कर करते भोग।। हाल सभी बेहाल हैं, गर्मी का है जोश। गर्मी की इस तपन से, उड़ते सबके होश।। ............................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #गर्मी #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry गर्मी (दोहे) गर्मी जब से आ गई, बहे स्वेद की धार। धूप लगे घनघोर है, सूरज करे प्रहार।। जल शीत
Mohan Sardarshahari
White चुनावों की गर्मी में जुड़ने लगी अब परिणामों की धुंध फैसला तो आपका,नेता पैदा करते द्वंद्व गर्मी के डर से वोटों की धार ना हो कुंद।। ©Mohan Sardarshahari # धार ना हो कुंद
vinay panwar
jai shree krishna 🙏 ©vinay panwar मानवता तो वो पवित्रता है जिसमें गोते लगा कर कर्मों का मैला चोला भी धुल जाता है आपके पाप और पुण्य का निर्णय भी आपके भीतर छुपी मानवता पर आध
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं । पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे , कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं । वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं, जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१ वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब , वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं । कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ, मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं । भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम, सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं, असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे , देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२ १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले
Vikrant Rajliwal Show