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Diwan G
अब वक्त नहीं रहा मेरे हमनशीं, कि मैं तुझपे फिर से ऐतबार करूँ। प्यार तो बस एक ही बार होता है, ऐसा तो नहीं कि मैं सौ बार करूँ।। मेरे हमनशीं। #Hope #उम्मीद #ऐतबार #प्यार
Khan Fahad Rizwan
अरफ़ान भोपाली
मुहब्बत में मैं बदनीयती नही रखता हूँ ए मेरे हमनशीं तुम्हारे साथ जब भी होता हूँ तुम्हें नज़र बंद रखता हूँ मुहब्बत में मैं बदनीयती नही रखता हूँ ए मेरे हमनशीं तुम्हारे साथ जब भी होता हूँ तुम्हें नज़र बंद रखता हूँ #मुहब्बत #नज़रबंद #दिल #बदनीयत #हम
Vandana
यह दुनिया गोल है बड़ी,,, अतरंगी से झोलमोल बड़े,, जिसको चाहो शिद्दत से वह भागे किसी और के पीछे,,,, जिसको माने खुदा,,,वह है सबसे जुदा वह दे दे फिर चाहत का अच्छा सिला,,,, मिलती नहीं मोहब्बत आसानी से कर्ज चुकाने पड़ते हैं आंसू बहाने पड़ते हैं,,, सौ बहाने तब बने कोई अफसाने कितने फंसाने कितने अजमाने,,,, क्यों फंस जाते हैं मासूम दिल खेल पुराने अतरंगी से जमाने,,,, झूठा वादा ही कर कोई प्यार में ,,क्या सितम है सनम तेरे सर की क़सम,,,याद चाहें ना कर तू मुझे ग़म नहीं हाँ मगर भूल जाने की कोशिश ना कर,,,ख़ूबसूरत
Sonam kuril
एक रोज किसी ने हमसे कहा था , की आप क्या समझेंगी मोहब्बत क्या चीज है मोहतरमा , कभी किसी को इश्क़ में चंद अल्फ़ाज लिखे है , की कैसे लिखोगी कलमा-ए-मोहब्बत , कभी इश्क़ से रू-ब-रू हुई है , ये इश्क़ भी अजब बला है , न जीने देती है न मरने देती है , जिंदगी कैद सी हो गयी है इस इश्क़ की सलाखों के पीछे , बड़ी बेरहम सी लगती है , इस इश्क़ की अदाएं, क़त्ल भी करती है, सरेआम बदनाम भी करती है , मुकम्मल हुई तो खुदा , वरना बेवफा कहती है , एक पल को भी ये दिल उसके बिना लगता नहीं , कुछ मिनटों की दूरी भी सदियों सी लगती है , जब तक न देखूं मेरे हमनशीं का चेहरा , सुकून दिल को आता नहीं , की गुस्ताखियां भी उनकी हमे बड़ी मासूम लगती है , जब वो गुस्से में अपनी बड़ी बड़ी आँखों से घूरती है , खुदा कसम बड़ी हसीन लगती है , कैसे बताऊं आपको सोनम , वो रूठकर भी मेरी ही सलामती की दुआ मांगती है , पर आप कैसे समझोगी मोहतरमा , कभी अपने किसी से मोहब्बत की है , अब क्या कहूं उन्हें की कभी हमारी खिड़कियों के सामने से इश्क़ गुजरता था , कभी वो बारिशे बन मुझको भिगोता था , कभी ठंडी हवाओं की तरह मेरी जुल्फों से उलझता था , कभी हम भी हुआ करते थे बेताब अपने हमनशी के लिए , की कैसे कहूं किस तरह गुजारे लम्हें होकर जुदा उनसे , अब तो दिन रात उसकी ख़ुशी की दुआ मांगते है , अब उनके सिवा न किसी गैर से मोहब्बत चाहते है , बस खुद के लिए उनकी सारी तकलीफे अपने हिस्से मांगते है, हम मोहब्बत को अपना रब अपना सनम मानते है . एक रोज किसी ने हमसे कहा था , की आप क्या समझेंगी मोहब्बत क्या चीज है मोहतरमा , कभी किसी को इश्क़ में चंद अल्फ़ाज लिखे है , की कैसे लिखोगी कलमा
SI UPP BDH
हम उन्हीं के खयालों में डूब के अक्सर भूल जाया करते थे ख़ुद को फिर इक दिन बोला उस हमनशीं ने अपना वजूद ना जाया करो तुम हमें हम तुम्हें यूहीं ना याद आया करो।— % & #हमनशीं
Govind Pandram
लम्हा-लम्हा तेरा ही ख्याल मन में आता है, तुझको ना देखूँ तो दिल मेरा घबराता है.. कैसा जख़्म दिया है तूने मुझको ऐ हमनशीं, नीन्द अब नहीं आती दर्द बढ़ता जाता है.. गोविन्द पन्द्राम #हमनशीं