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voice of tales
White किस्से नए पुराने हुआ करते थे सिर्फ तारों के चादर से ढकी वो काली रात के साए में जब ना फोन था और ना ही था ये इंटरनेट, बस खुले आसमान के नीचे ठंडी ठंडी हवाओं के झौंको में बस किस्से कहानियां चल करती थी। वो कच्चे आंगन के आगोश में चारों तरफ चारपाई बिछा करती थी किस्से कहने वाला हमेशा बीच में हुआ करता था और बाकी के लोग बस चुपचाप सुना करते थे अब किस्सों कहानियों की जगह फोन ने ले ली और हमारे कीमती समय को अब ये इंटरनेट ही खा गया आने वाली पीढ़ी इन बातों को नहीं जानती और अगर आप समझाने भी लगे तो ये आपकी जनरेशन नहीं है कहकर है धुतकारती कितना अंतर आ गया है ना, भले ही हम तरक्की कर आगे बढ़ जाए लेकिन वो कीमती पल जो अपनों के साथ बिताए थे, वो कहां से लाए अब वो ज़माना भी बस किस्सा हो गया है, क्योंकि अब का ज़माना मॉडर्न हो गया है। ©Prachi Thapan #GoodNight #किस्से #Oldisgold #कहानियां #story #Life
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read moreKulvant Kumar
किस्से और कहानियां हैं जिंदगी आज हम सुनाते है,कल कोई ओर होगा ©Kulvant Kumar किस्से और कहानियां हैं जिंदगी आज हम सुनाते है,कल कोई ओर होगा
किस्से और कहानियां हैं जिंदगी आज हम सुनाते है,कल कोई ओर होगा
read moreAditya
Unsplash दुसरा मौका सिर्फ कहानियां देती है जिंदगी नहीं ! 💫📌 ©Aditya दुसरा मौका सिर्फ कहानियां देती है जिंदगी नहीं ! 💫📌 #virel #Shaayari
Bharat Bhushan pathak
बीत रहा फिर वर्ष सुनहरा,नूतन आने वाला। इसने हमको यही बताया,जीवन अच्छी शाला।। पढ़ा यहाँ पे जो भी इसमें,अनुभव उसने पाया। प्रथम सदा वह ही होता है,जो कभी न भरमाया।। आना-जाना वर्षों का तो,सुनें खेल ये बहुत पुराना। जो हम सीखे और सिखाए,इसको बस अपनाना।। ©Bharat Bhushan pathak सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त । 16 मात्रिक पद ठ
सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त । 16 मात्रिक पद ठ
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दिग्पाल (या मृदुगति) छंद मापनी- 221 2122 221 2122 लगावली- गागाल गालगागा गागाल गालगागा छंदाधारित फिल्मी गाने- 1) छोडो न/ मेरा’ आँचल/, सब लोग/ क्या कहेंगे 2) सारे ज/हाँ से’ अच्छा/ हिन्दोस/तां हमारा मानो अभी यहाँ जो बातें तुम्हें बताऊं। संस्कार इस जगत में पूजित हुआ सुनाऊं।। पशुवत हुआ मनुज जो संस्कारहीन होता। सोचें भला जगत जो वह प्रेमनीर सोता।। ©Bharat Bhushan pathak poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry in hindi इस छंद में विशेष :-5वीं,8वीं 17वीं व 20वीं मात्रा लघु।
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read moreVs Nagerkoti
White कितना अद्भुत रहस्य है जिसके पास सब कुछ हो वो कभी समझ नही पाता है । जिसके पास कुछ नहीं वो हर खुशी चाहता है । कोई जीना भूल गया कमाने के चक्कर मे । कोई खाना भी भूल जाता हैं करोड़ों की बहस मैं। कोई दुनियां भुलाकर सोता है खुले आसमान के नीचे । किसी को मखमली बिस्तर होके भी चैन नहीं पाता है । कोई हार जाता हैं जमाने में अपनों की बदौलत कोई गैरों के लिए भी जी के चला जाता हैं । खाली हाथ लौट जाता हैं एक रोज हर कोई । शायद इस सफर को कोई कभी समझ पाया है । ©Vs Nagerkoti #good_night इस दुनियां की अनगिनत कहानियां ।
#good_night इस दुनियां की अनगिनत कहानियां ।
read moreBharat Bhushan pathak
मण्डूक दोहे पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़। जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१ माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार। देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२ रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार। पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३ कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात। वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४ मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर। भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५ इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार। शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६ ©Bharat Bhushan pathak #मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu मण्डूक दोहे
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