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MR VIVEK KUMAR PANDEY
Writer Mr Vivek Kumar pandey "आखिर कब तक तुम देखते रह जावोगे और, सभ आगे बढ़ते ही जाएंगे बस तुम देखते रह जावोगे".। #आखिरकब तक तुम देखते रह
बादल सिंह 'कलमगार'
तुम देखते हो, तुम्हे देखना अच्छा लगता है कह दो ना , जो तुम्हें कहना अच्छा लगता है इस तरह मुस्कुराना और खामोश रहना अच्छा नहीं तस्वीर से बाहर आओ ना बाहर आना अच्छा लगता है ©badal singh तुम देखते हो तुम्हें देखना अच्छा लगता है
Unfinished journey of life
दिल की कश्ती में आज बड़ी दूर चले जाएंगे. फिर लौट कर कभी ना आए. तुम देखते रहोगे रास्ते. बस कदमों के निशान रह जाएंगे. Aj nafria दिल की कश्ती में आज बड़ी दूर चले जाएंगे. फिर लौट कर कभी ना आए. तुम देखते रहोगे रास्ते. बस कदमों के निशान रह जाएंगे.
Mk131138
जो लोग जिन्दगी में कुछ पाते है असल में उससे पहले वो बहुत कुछ खोते है और जो तुम देखते हो न, दिनभर मुस्कुराते हुए चेहरे, याद रखना वो भी अक्सर, रात के अंधेरे में रोते है।। जो तुम देखते हो न, दिनभर मुस्कुराते हुए चेहरे, याद रखना वो भी अक्सर, रात के अंधेरे में रोते है।। 😔 😔 😔
Dipti Joshi
हम करीब आएंगे, वक्त गुज़रेगा, तकलीफ़ बढेगी, दर्द भी होगा, तुम देखते रहना, हम फिर से आम हो जाएंगे। हम करीब आएंगे, वक्त गुज़रेगा, तकलीफ़ बढेगी, दर्द भी होगा, तुम देखते रहना, हम फिर से आम हो जाएंगे। "दिप्ती जोशी " #nojotoquotes #hindiquo
Abhay
Sarita Shreyasi
मूक ही कहती रही,अविरल बहती रही, कब तुम मेरी सुन पाए? कितनी बार तुम्हारे पलक पसीजे, जब भी मैंने नीर बहाये। खंडित कर श्रद्धा विश्वास, आस्था असीम,सारी आस, प्रभु, मौन तुम देखते रहे, एक नियति तुम बदल न पाए। मूक ही कहती रही, अविरल बहती रही, कब तुम मेरी सुन पाए? कितनी बार तुम्हारे पलक पसीजे, जब भी मैंने नीर बहाये। खंडित कर श्रद्धा विश्वास, आस्था अ
Maqbul Alam
नहीं कुछ भी छुपाना चाहिए था, हमें सब कुछ बताना चाहिए था, कसम मेरे उठा पाया नहीं वो, उसे तो नाज़ उठाना चाहिए था, मैं जल्दी भागकर आता वहां पर, तुम्हे आवाज़ लगाना चाहिए था, उसे बेचैन भी तुम देखते फिर, मेरा इक शेर सुनना चाहिए था, तुम्हे गर बारिशों से इश्क था तो, मेरी आंखों में आना चाहिए था !! ©Maqbul Alam नहीं कुछ भी छुपाना चाहिए था, हमें सब कुछ बताना चाहिए था, कसम मेरे उठा पाया नहीं वो, उसे तो नाज़ उठाना चाहिए था, मैं जल्दी भागकर आता वहां प
deepa bagla
मै क्या थी ? क्या से क्या हो गई? तुमने हर पल रूलाया । हर वक्त सताया बेवजहा ही मुझपर इल्जाम लगे, और तुम देखते रहे मेरे चरित्र पर उँगली उठी