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jagarnath hunnipurty
एक बार की बात है, जंगल में बहुत तेज हवा चल रही थी। तेज हवा से बचने के लिए एक सियार पेड़ के नीचे खड़ा था और तभी उस पर पेड़ की भारी शाखा आकर गिर गई। सियार के सिर में गहरी चोट लगी और वो डर कर अपनी मांद की ओर भाग गया। उस चोट का असर कई दिनों तक रहा और शिकार पर नहीं जा सका। खाना न मिलने से सियार दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था। एक दिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी और उसे अचानक एक हिरन दिखाई दिया। सियार उसका शिकार करने के लिए बहुत दूर तक हिरन के पीछे दौड़ा, लेकिन वह बहुत जल्दी थक गया और हिरन को नहीं मार पाया। सियार पूरे दिन भूखा-प्यासा जंगल में भटकता रहा, लेकिन उसे कोई मरा जानवर भी नहीं मिला, जिससे वह अपना पेट भर सके। जंगल से निराश होकर सियार ने गांव की ओर जाने की ठानी। सियार को उम्मीद थी कि गांव में उसे कोई बकरी या मुर्गी का बच्चा मिल जाएगा, जिसे खाकर वह अपनी रात काट लेगा। गांव में सियार अपना शिकार ढूंढ रहा था, लेकिन तभी उसकी नजर कुत्तों के झुंड पर पड़ी, जो उसकी ओर आ रहे थे। सियार को कुछ समझ में नहीं आया और वो धोबियों की बस्ती की ओर दौड़ने लगा। कुत्ते लगातार भौंक रहे थे और सियार का पीछा कर रहे थे। सियार को जब कुछ समझ नहीं आया, तो वह धोबी के उस ड्रम में जाकर छुप गया, जिसमें नील घुला हुआ था। सियार को न पाकर कुत्तों का झुंड वहां से चला गया। बेचारा सियार पूरी रात उस नील के ड्रम में छुपा रहा। सुबह-सवेरे जब वह ड्रम से बाहर आया, तो उसने देखा कि उसका पूरा शरीर नीला हो गया है। सियार बहुत चालाक था, अपना रंग देखकर उसके दिमाग में एक आइडिया आया और वह वापस जंगल में आ गया। जंगल में पहुंच कर उसने ऐलान किया कि वह भगवान का संदेश देना चाहता है, इसलिए सारे जानवर एक जगह इकट्ठा हो जाएं। सारे जानवर सियार की बात सुनने के लिए एक बड़े पेड़ के नीचे एकत्रित हो गए। सियार ने जानवरों की सभा में कहा “क्या किसी ने कभी नीले रंग का कोई जानवर देखा है? मुझे ये अनोखा रंग भगवान ने दिया है और कहा है कि तुम जंगल पर राज करो। भगवान ने मुझसे कहा है कि जंगल के जानवरों का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।” सभी जानवर सियार की बात मान गए। सब एक स्वर में बोले, “कहिए महाराज क्या आदेश है?” सियार ने कहा, “सारे सियार जंगल से चले जाएं, क्योंकि भगवान ने कहा है कि सियारों की वजह से इस जंगल पर बहुत बड़ी आपदा आने वाली है।” नीले सियार की बात को भगवान का आदेश मानकर सारे जानवर जंगल के सियारों को जंगल से बाहर खदेड़ आए। ऐसा नीले सियार ने इसलिए किया, क्योंकि अगर सियार अगर जंगल में रहते, तो उसकी पोल खुल सकती थी। अब नीला सियार जंगल का राजा बन चुका था। मोर उसे पंखा झलते और बंदर उसके पैर दबाते। सियार का मन किसी जानवर को खाने का करता, तो वह उसकी बलि मांग लेता। अब सियार कहीं नहीं जाता था, हमेशा अपनी शाही मांद में बैठा रहता और सारे जानवर उसकी सेवा में लगे रहते। एक दिन चांदनी रात में सियार को प्यास लगी। वह मांद से बाहर आया, तो उसे सियारों की आवाज सुनाई दी, जो दूर कहीं बोल रहे थे। रात को सियार हू-हू की आवाज करते हैं, क्योंकि ये उनकी आदत होती है। नीला सियार भी अपने आप को रोक न सका। उसने भी जोर-जोर से बोलना शुरू कर दिया। शोर सुनकर आस-पास के सभी जानवर जाग गए। उन्होंने नीले सियार को हू-हू की आवाज निकालते हुए देखा, तब उन्हें पता चला कि ये एक सियार है और इसने हमें बेवकूफ बनाया है। अब नीले सियार की पोल खुल चुकी थी। यह पता चलते ही सारे जानवर उस पर टूट पड़े और उसे मार डाला। ©jagarnath hunnipurty Lombdi ki kahani
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