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Arora PR
White उसके आने से मुझे ख़ुशी भी हुई दुख भी हुआ. एक अर्से बाद उसका आना मेरे लिए सुखद अहसास था.. परन्तु उसे घर में बैठाने हेतु मेरे पास न दरी थीं न कुरसी.... बस इसीका दिल में मलाल था ©Arora PR ख़ुशी और दुख
Arora PR
White मेरे ख़्वाबों के काफ़िले क़ो कई बार लूटा गए बींच रास्ते में लेकिन मेरी यादो का हुज़ूम कभी मुझसे छिटक कर दूर नहीं हुआ हैं आज तक़ ©Arora PR ख्वाब और यादे
Richa Dhar
घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना और कनखियों से मुझे भी देखना मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी सब कुछ याद है मुझे याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के अपनी हथेलियों को गीला कर लेना और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना और मेरे मन को भिगो देना..... ©Richa Dhar #loyalty सावन की घटा
लेखक ओझा
सावन भादों घिर आते है जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।। ©लेखक ओझा #Dhund सावन भादो
gaTTubaba
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. रंग कोई और बदलता हैं और बेरंग कोई और हो जाता हैं कर्म किसी और के और सजा कोई और भुगतता जाता हैं ©gaTTubaba #Holi रंग कोई और बदलता हैं और बेरंग कोई और हो जाता हैं कर्म किसी और के और सजा कोई और भुगतता जाता हैं
Mintu Ali
ग़म मिट गये, खुशी मिल गयी, फिर से जीने की एक उम्मीद मिल गयी। कुछ नया करने की चाह मिल गयी, हर पल मुस्कुराने की वजह मिल गयी। सपने सजाने की ख्वाहिश मिल गयी, तुम मिल गये, हर चीज़ मिल गयी ।...और पढ़ें ©Mintu Ali .और पढ़ें
Mddilkhus
होली में भाई के माल पर रंग लगाइए अच्छा ना कईलू तू अच्छा ना कईलू तू ©Mddilkhus शायरी और गजल शायरी और
Sachin R. Pandey
sunset nature देखो.... बसंत की बहार है अभी ...... और लोग आएंगे तुम्हारे पास .... तुम्हें अहसास दिलाते हुए कि उनकी नज़र में तुम्हारी कितनी अहमियत है .... तुम्हे बताते हुए और समझाते हुए कि.... तुम सही हो .... तुम सब सही कर रहे हो ... तुम्हारे निर्णय ठीक हैं और वो सब हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ खड़े हैं ..... लेकिन जैसा कि मैंने कहा ...." बसंत है " कुछ भी स्थाई नहीं है .... सब कुछ बदल जाता है .... तो एक दिन जब पतझड़ आने को होगा .... लोगो किनारा करते जायेंगे .... तुम्हारी असफलताओं का दोष तुम पर मढ़ते जायेंगे .... हां वही लोग जो तुमको ...तुम्हारे निर्णयों को सही कह कर हौसला बढ़ा रहे थे ..... अब वही तुम्हारे प्रथम और कटु आलोचक होंगे .... तुम संदेह करोगे ....क्या ये वही लोग हैं ....जो कल तक (बसंत के दिनो मे) ..... हौसला और शाबासी देते नही थक रहे थे ....! और पतझड़ में जब तुमको लगेगा ... कि अब सब कुछ खत्म होने को है .... तुम्हारे कंधे ....हार की मार से झुके होंगे ... कर्णपटल पर आलोचनाओं के स्वर तीर से चुभ रहे होंगे ... और कपोल अश्रु से भीग रहे होंगे .... तो तुम कहना .....मुझसे ... अधिकार से.... कि अब तुम सम्हाल लो सब कुछ .... क्योंकि बिखर रहा है बहुत कुछ .... सुनो ! .... तुम यकीन मानना ....भरोसा रखना .... मैं तुम्हारे लिए सब कुछ उलट पलट कर दूंगा .... तुम प्रिय हो .... तुमसे कही अधिक प्रिय हैं तुम्हारे सपने ... मैं बनूंगा तुम्हारा सारथी ....पतझड़ में .... और तब तक जब तक वो सब ना हो जाए जो तुम चाहते हो ... लेकिन फिलहाल मैं मौन रहकर मान रख रहा हूं.....तुम्हारे निर्णयों का ....सही और गलत के भेद से परे .... अभी बसंत है .... जाओ ....खुद को .... अपनो को ....सपनो को .... यारों को ....आजमा कर देखो .... बहुत कुछ है जो आने वाला समय समझाएगा..... मैं इंतजार करूंगा तुम्हारे कह देने भर का .... ©Sachin R. Pandey #sunsetnature आजमाना अपनी यारी को पतझड़ में सावन में तो हर पत्ता हरा नजर आता है ....