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Rising लेखक
पतंग उसी की थी जिसने कीमत चुकाई थी.... कटी तो हक़दार सारा शहर हो गया... #मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को💐 ©Rising लेखक #makarsankranti
Vikram Singh Rawat
मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं 🥰💯 ©Vikram Singh Rawat #मकर संक्रान्ति# मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं ❤️🥰💯
Mukesh Poonia
उदारता, दान और धर्म परायणता के पर्व मकर संक्रांति की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं ©Mukesh Poonia #उदारता, #दान और #धर्म #परायणता के पर्व #मकर #संक्रांति की आपको और आपके #परिवार को #हार्दिक #शुभकामनाएं
Azaad Pooran Singh Rajawat
"उड़ान के लिए तैयार हैं ,रंग - बिरंगी पतंगे स्वागत के लिए तैयार है, खुला आसमां साथ निभाने के लिए तैयार है,शीतल बयार श्रेष्ठ हैं, भारतीय सद्दा, मांझा, चाइनीज़ मांझे का करें बहिष्कार माता-पिता व अंग्रजों का आशीर्वाद लें हम सुबह - शाम पक्षियों की उड़ान का रहे ध्यान तिल के लड्डू और फीणी के साथ खाए और खिलाए विविध मिष्ठान संकल्प लें हम, सड़क और रेल पटरी पर पतंग लूटने के लिए नहीं भगेंगे सभी खुशी-खुशी मनाएंगे हम मकर संक्रांति का त्योंहार आप सभी को मकर संक्रांति की आजाद हार्दिक शुभकामनाएं बारंबार।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #swiftbird #मकर संक्रांति सेकंड#
Azaad Pooran Singh Rajawat
"उड़ान के लिए तैयार हैं ,रंग - बिरंगी पतंगे स्वागत के लिए तैयार है,खुला आसमां साथ निभाने को तैयार है,निर्मल शीतल बयार माता-पिता का आशीर्वाद लें मम्मी के वात्सल्य से बने तिल के लड्डू और फीणी ,का लें स्वाद ध्यान रहें ,श्रेष्ठ है, भारतीय सद्दा, मांझा संकल्प लें हम, चाइनीस मांझे का त्याग करेंगे सुबह - शाम पक्षियों की उड़ान का ध्यान रखेंगे रेल लाइन ,सड़क पर पतंग लूटने के लिए नहीं भगेंगे खुशी खुशी मनाएंगे हम, मकर संक्रांति का त्यौहार मकर संक्रांति की आजाद शुभकामनाएं बारंबार।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #swiftbird #मकर संक्रांति#
Chanchal Jaiswal
ई हौ रजा बनारस देखा आसमान पर छायल हौ केसरिया केसरिया सूरज मन अंगने में में आयल हौ कोई छते पे कोई दलाने कोई पार्क कोई मैदाने में अपन अपन गुड्डी लेके सब गजबे इतरायल हौ सद्धी, डोरी, चौउआ देखा अंटा, मांझा धार धरायल हौ लड़कन बच्चन छोटकन बड़कन सबकर मन उतरायल हौ बंसी क छोटका लड़का भी अपन पतंग लियायल हौ ढील के दा बाबा हमहुंके देखा कईसन जीदियायल हौ मन्दिर मस्जिद के छत से केतना पतंग ढीलायल हौ पूजा अउर प्रार्थना क रंग उमंग डोर बन्धायल हौ धरती क सब मसला देखा आसमान तक आयल हौ (बाकी कविता caption में पढ़ें) ई हौ रजा बनारस देखा आसमान पर छायल हौ। केसरिया केसरिया सूरज मन अंगने में आयल हौ। कोई छते पे कोई दलाने कोई पार्क कोई मैदाने में अपन अपन गुड्डी लेके सब गजबे इतरायल हौ।
Shekhar Prasad
शुभ घड़ी आई, खुशियों की सौगात लेकर आई, आपन सबे के मकर संक्रांति के बधाई, पेट भरके दही आणि चूरा खाई। #मकर संक्रांति #yqbaba #yqdidi #makarsankranti