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Pravesh Kumar

हमारे शाखा प्रबंधक महोदय की सेवा निवृत्ति के अवसर पर #मेरीक़लमसे #भावना #ज्वार #सेवानिवृत्त #दिल #दिल_की_बात #अवकाश 🙏🙏🙏

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ज्वार भावनाओं के, उमड़ते आते हैं,
आज दिल से, दिल की बात, हम बताते हैं,
पड़ाव अवकाश का भी, सुखद तो है लेकिन,
देखते नहीं बनता, कि आप जाते हैं,

 हमारे शाखा प्रबंधक महोदय की सेवा निवृत्ति के अवसर पर #मेरीक़लमसे 
#भावना #ज्वार #सेवानिवृत्त #दिल #दिल_की_बात #अवकाश 
🙏🙏🙏

Rahul Kasaudhan

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चलते चलते सही रास्तों पर,
जाने कैसे भटक जाता हूं मै।
पाते पाते सफलता 
असफल रह जाता हूं मै।
मेरे हौसलों के ज्वार में,
निराशा का भाटा छा जाता है।
इस तरह मेरी जिंदगी में सुख दुख का
ज्वार भाटा नजर आता है।

शुन्य

#OpenPoetry समुद्र का ज्वार
कुछ समय के लिए
आकर,
बहुत कुछ साथ
बहा ले जाता है,

ठीक उसी तरह
मन मे आने वाला विचारों का ज्वार
बहुत कुछ बदल सकता है। #gudiya #laado

NIKHIL OJHA

आज दिल मे ज्वार उमड़ रहा है कुछ रिश्तों को समझाने का,
आज दिल मे ज्वार उमड़ रहा हैं कुछ रिश्ते निभाना सीखने और सिखाने का,
जिंदगी की शुरुआत से लेकर अंत तक न जाने कितने रिश्ते बनते है,
आज दिल मे ज्वार उमड़ रहा है बस उन्ही रिश्तों को खुलकर बताने का,
मेरी पहली किलकारी से मैंने दुनियां को संकेत दिया मेरे दुनिया मे आने का,
मेरे दिल मे ज्वार उमड़ रहा है इस धरती पर मेरा पहला रिश्ता बताने का,
जिसके अहसानो के तले मै मेरे जन्म के पहले ही दब चुका था,
दिल मे ज्वार उमड़ रहा है मुझपे मेरी माँ की कृपा बताने का,
मेरे जन्म से पहले और मेरे जन्म के बाद मेरी हर सास उस0 रिश्ते की मोहताज थी,
आज दिल मे ज्वार उमड़ रहा है उस पवित्र, निर्मल, निस्वार्थ रिश्ते को दर्शाने का,
कोई शब्द नहीं ना ही कोई शब्दावली है इस रिश्ते के अहसास और अहसानों को जताने की,
मेरे दिल मे ज्वार उमड़ रहा है माँ को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का सर्वश्रेष्ठ रिश्ता बताने का,
एक और भी हैं रिश्ता कोई जो हमे अच्छा बुरा समझता है,
हमारी सफलता से उसका दिल गदगद और सीना चौड़ा हो जाता है,
हमारी शरारतों, शिकायतों,पर भले ही वो चिल्लाता है,
लेकिन एक पिता ही हैं जो बच्चो का कभी बुरा नही चाहता है,
आज दिल मे ज्वार उमड़ रहा है पिता के रिश्ते की अहमियत महसूस करवाने का,
एक रिश्ता जो भरपूर भरा है स्नेह,प्यार और हिफाज़त से,
बिना दर्शाये ही उठा रखा है बीड़ा अपने कंधों पर जिम्मेदारी का,
आज दिल मे ज्वार उमड़ रहा हैं पिता के रिश्ते की अहमियत महसूस करवाने का,
रिश्ते की जब बात हुई एक ऐसे रिश्ते की कमी खली,
जो सब रिश्तों का समावेश हो,
जिसमे प्यार,स्नेह,लाड़, दुलार,शरारत और आवेश हो,
जो न केवल एक रिश्ता हो हर घर की खुशहाली हो,
आज दिल में ज्वार उमड़ रहा है एक बहन महत्व बताने का,
जो लड़ती हर बात बात पर जो छिड़ती है बिन बात बात पर,
कभी करती है हातापाई और कभी रोती है मुँह फाड़ फाड़ कर,
कुछ भी हो भाई पर बहन छिड़कती है जान जान पर
एक रिश्ता जो हैं हर पल साथ साथ ,भाई डाल डाल तो बहन पात पात, #रिश्ते

ऋषि 'चित्रांश'

कठिन डगर पर चलता साथी,
कठिन डगर पर छूट गया।
जीवन नैया पार लगाता,
बीच में साथी टूट गया।

खेवनहार बन कर आया था,
थाम ली उसने थी पतवार।
ज्वार-भाट से निकल चलेंगे,
कठिनाई को दी ललकार।

उठने लगा जैसे ही जल-जल,
लगा कूदने नाव से।
मैंने उसको रोकना चाहा,
नहीं रुका वो ताव से।

जनम-मरण को उसने न जाना,
सुख-दुःख को न पहचाना।
आज विलोपित हो गया वो,
सिर्फ रह गया वो अफ़साना।

जीवन को उसके सुरक्षित करने,
मैंने कर लिया था दृढ़ प्रण।
ज्वार-भाट की ऊंची लहरों से,
हार गया जीवन का रण।

ऋषि रघुवीर भटनागर "चित्रांश" #kathindagar #sathi #rishichitransh #shayarchitransh

VARUN 'VIMLA'

" उमड़ते यवन की शांत लहरें "

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" उमड़ते यवन की शांत लहरें "

तू सवार होता है
जब मेरी कश्ती पे !
डगमगाती है कश्ती तरंगों के साथ
चलाता है जब दोनों हाथों से चप्पू
तो चलने लगती है दोनों की धड़कनें तेजी से एक लय में
यूँ चप्पू का चलना देता है दोनों को गर्मी और गति
इस गर्मी से उठती है ज्वार की तेज़ लहर
एक पे एक लगातार
फिर शांत हो जाता है ज्वार
टकराकर कश्ती से !
लहरे खो जाती है कश्ती में
और फिर !
उंगलिया बढ़ती है चप्पू पे !
लगाने कश्ती को किनारे रफ़्ता रफ़्ता
© वरुण " विमला " " उमड़ते यवन की शांत लहरें "

Atul Panwar

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कीमे तो ज्वार jammi थोड़ी थी कीमे डांगर खागे।अर बची कुची इन प्रेमी जोड़्या न तोड़ दी इश्क लड़ा क।रोड के नजदीक ज्वार बोंन का धर्म नही रहया। पंवार संकरोडिया

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 19 - हारे को हरिनाम नदी घड़ियालों से भरी थी, आकाश मच्छरों से, तटीय प्रदेश लम्बी घासों से, जिनमें विषैले सर्पों की गणना नहीं और वन में हाथी, शेर, तेंदुए, चीते। वृक्षों पर भी निरापद शरण लेना सम्भव नहीं था। वहाँ भी सर्प और तेंदुए स्वच्छन्द छलांग ले सकते थे। उसने सोचा भी नहीं था कि बर्मा के इस प्रदेश में उसे रात्रि व्यतीत करनी पड़ेगी। सूर्यास्त के पूर्व ही वे लौट जायेंगे, ऐसा उनका विचार था। लेकिन सूर्य पश्चिम में पहुँच चुके और अब भी पता नहीं

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
19 - हारे को हरिनाम

नदी घड़ियालों से भरी थी, आकाश मच्छरों से, तटीय प्रदेश लम्बी घासों से, जिनमें विषैले सर्पों की गणना नहीं और वन में हाथी, शेर, तेंदुए, चीते। वृक्षों पर भी निरापद शरण लेना सम्भव नहीं था। वहाँ भी सर्प और तेंदुए स्वच्छन्द छलांग ले सकते थे।

उसने सोचा भी नहीं था कि बर्मा के इस प्रदेश में उसे रात्रि व्यतीत करनी पड़ेगी। सूर्यास्त के पूर्व ही वे लौट जायेंगे, ऐसा उनका विचार था। लेकिन सूर्य पश्चिम में पहुँच चुके और अब भी पता नहीं

Shivam Mishra

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ज्वर का ज्वार 

एे ज्वर तू मुझसे ऐसा क्या पाता है 
जब भी आता है तो शरीर गर्म और अरमान ठंन्डे कर जाता है 

तेरा प्यार भी ऐसा है रुहानी 
की वैसे तो दिखता नहीं सालों तक पर जब आता है तो तापमापी की सारी लकीरें पार कर है जाता 

तेरी वफादारी से मेरा बड़ा प्यारा नाता है 
पर ये ऐसा अनूठा प्यार है ज़िसमे ये इंतजार रहता है की प्रेमी कब  जाता है 

पर चाहे आ जाये अब हमको ज्वर का ज्वार 
हम तो बुखार से भी कर लेते हैँ प्यार

Garima Dikshit

#ripple #Nojoto #fightingnumbnessanddepression आज धुआँधार कर दो ! बूँद नहीं बरसीत कर दो, आज धुआँधार कर दो ! रुदनमय इन आँखों को रुदनरत कर दे जो - आज वो बरसात कर दो| आज धुआँधार कर दो|| #Poetry

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 #Ripple #nojoto #fightingnumbnessanddepression

                आज धुआँधार कर दो !

बूँद नहीं बरसीत कर दो, आज धुआँधार कर दो !
रुदनमय इन आँखों को रुदनरत कर दे जो -
आज वो बरसात कर दो| आज धुआँधार कर दो||
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