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LOL

सबसे खतरनाक क़िस्म के चूहे
पाए जाते हैं अपने देश में
जो अक़्सर अमन-ओ-चैन का
कुनबा ही चट कर जाते हैं..
©KaushalAlmora #चूहे 
#खतरनाक 
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#yqbaba 
#कुनबा

Phalak Rakesh

#NationalDoctorsDay #NojotoFamily #kalakaksh न जाने अभी तक , मैंने कितनी रातें , जाग के निकाल दीं , कभी सुबह का खाना रह जाता है , कभी दोपहर का , तो कभी रात को कुछ भी खाने का वक़्त नहीं मिलता , कभी कभी तो , सारा दिन भूखी रहती हूँ , हमारा कुनबा ही ऐसा है , हम खुद बीमार हो भी जाएँ , दूसरों को नहीं होने दे सकते , हमें यही सिखाया जाता है , लेकिन अब अपना निजी वक़्त , इक सपना सा लगता है , बैठे बैठे यूँ ही दिल में , इक डर सा जगता है , लोग आए दिन , हम में से किसी की जान लेते हैं , इस पाप को भी , मान वो आसान लेते हैं , हर रोज़ , हर रोज़ इक खबर ऐसी , पढ़ ही लेती हूँ मैं , सब कुछ जानकर भी , अनजान खुद को , कर ही लेती हूँ मैं , मेरे सब साथी , अब खुद कमाते हैं , आधी तन्खुआ खुद रखते हैं , आधी माँ - बाप को पकड़ाते हैं , लेकिन मैं , मैं अभी भी , माँ - बाप पे निर्भर हूँ , उनको तो कुछ क्या ही देना , चाहे कोई छोटी सी चीज़ हो , उनसे ही माँगती हर पहर हूँ , डॉक्टर हूँ ना , इसीलिए , अभी मुझे बहुत पढ़ना है , इसीलिए , वो क्या है ना , सब कहते हैं , कि भगवान से पहले , उनकी ज़िंदगियाँ , हमारे हाथों में होती हैं , लेकिन फिर , हमारी ज़िन्दगियों का क्या ? न जाने अभी तक , मैंने कितनी रातें , जाग के निकाल दीं , लेकिन मैं , मेरी जागती रातें , मेरी बेसुध नींद , मेरा थका हुआ शरीर , मेरी भूख , सब भूल जाती हूँ , इक नन्हे से बच्चे की , खिलखिलाती मुस्कान देखकर , क्या करूँ ? हमारा कुनबा ही ऐसा है ! - फ़लक राकेश

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हमारा कुनबा

( Read Caption ) #NationalDoctorsDay #Nojoto #Nojotofamily #Kalakaksh  न जाने अभी तक ,
मैंने कितनी रातें ,
जाग के निकाल दीं ,

कभी सुबह का खाना रह जाता है ,
कभी दोपहर का ,
तो कभी रात को कुछ भी खाने का वक़्त नहीं मिलता ,
कभी कभी तो ,
सारा दिन भूखी रहती हूँ ,

हमारा कुनबा ही ऐसा है ,
हम खुद बीमार हो भी जाएँ ,
दूसरों को नहीं होने दे सकते ,
हमें यही सिखाया जाता है ,

लेकिन अब अपना निजी वक़्त ,
इक सपना सा लगता है ,
बैठे बैठे यूँ ही दिल में ,
इक डर सा जगता है ,

लोग आए दिन ,
हम में से किसी की जान लेते हैं ,
इस पाप को भी ,
मान वो आसान लेते हैं ,

हर रोज़ ,
हर रोज़ इक खबर ऐसी ,
पढ़ ही लेती हूँ मैं ,
सब कुछ जानकर भी ,
अनजान खुद को ,
कर ही लेती हूँ मैं ,

मेरे सब साथी ,
अब खुद कमाते हैं ,
आधी तन्खुआ खुद रखते हैं ,
आधी माँ - बाप को पकड़ाते हैं ,

लेकिन मैं ,
मैं अभी भी ,
माँ - बाप पे निर्भर हूँ ,
उनको तो कुछ क्या ही देना ,
चाहे कोई छोटी सी चीज़ हो ,
उनसे ही माँगती हर पहर हूँ ,

डॉक्टर हूँ ना ,
इसीलिए ,
अभी मुझे बहुत पढ़ना है ,
इसीलिए ,

वो क्या है ना ,
सब कहते हैं ,
कि भगवान से पहले ,
उनकी ज़िंदगियाँ ,
हमारे हाथों में होती हैं ,

लेकिन फिर ,
हमारी ज़िन्दगियों का क्या ?

न जाने अभी तक ,
मैंने कितनी रातें ,
जाग के निकाल दीं ,

लेकिन मैं ,
मेरी जागती रातें ,
मेरी बेसुध नींद ,
मेरा थका हुआ शरीर ,
मेरी भूख ,
सब भूल जाती हूँ ,
इक नन्हे से बच्चे की ,
खिलखिलाती मुस्कान देखकर ,

क्या करूँ ?
हमारा कुनबा ही ऐसा है ! 

                    - फ़लक राकेश


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