Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best दाँत Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best दाँत Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about दाँत दद,

  • 9 Followers
  • 31 Stories
    PopularLatestVideo

Ghumnam Gautam

इक लड़की जब होठ दबाती है दाँतों से
कुछ लड़के तब  होश गँवाया करते हैं

©Ghumnam Gautam #होठ 
#दाँत 
#लड़के 
#होश 
#ghumnamgautam

Abundance

mute video

Liyakat Ali

#ctk#Comedy#WorldSmileDay हिन्दी मे अर्थ-बिना बात के सबके #दाँत दिखाई दे

read more
#Worldsmileday    -:आज के प्रवचन:- 
आज से सभी कसम खाये की हमेशा यूही मुसकुरायेंगे
चाहे स्कूल मे मास्टरनी साहिबा कितना ही कुटायी कर जाये
चाहे खुद की महिला मित्र कही और टाँका भीड़ाये
चाहे पत्नियो के रूप परिवर्तन के खर्चे हो
या महिला मित्र के रोज के खर्चे हो
चाहे उस महिला मित्र के पहले से ही चार बच्चे हो
चाहे मुख पुस्तक की महिला मित्र Angel Priya
बाद मे पता चले की खुद की प्राण प्रिया हो
सभी पतियो से भी गुजारिश है कि वो भी मुसकुराये
चाहे अनकी प्राण प्रिये पड़ोसी के साथ भाग जाये
क्योकी ये ऑफर उनके पास भी है कि. 
वो भी पड़ोसन को लेकर भाग जाये
-:धन्यवाद :- #CTK#Comedy#WorldSmileDay हिन्दी मे अर्थ-बिना बात के सबके #दाँत दिखाई दे

Rupraj Kr

read more
ब्रश करो ब्रश करो
प्लीज आपने दाँतों 
को ब्रश करो दाँत नहीं होगा
तो कैसे खाओगे
दाँत चला जाये  
तो कैसे लाओगे
ब्रश करो ब्रश करो
प्लीज अपने दाँतों
को ब्रश करो😁

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

गण पति बप्पा मोरियाँ,,,,,,भगवान कृष्ण के अलावा "गणपति के मुकुट मे """मोर का पँखी"लगी होती है---- गणपति और कृष्ण दोनो की कामदेव जयी है,,,, अर्थात् प्रेम की पराकाष्ठा गणपति के आलय मे निवासित हो सकती है,,, जब महाभारत लिखना था उस वक्त यह शर्त थी कि,,,,,,,ऐसा व्यक्ति या देवता चाहिये जो """बिना रुके लिख सके #nojotophoto

read more
 गण पति बप्पा मोरियाँ,,,,,,भगवान कृष्ण के अलावा "गणपति के मुकुट मे """मोर का पँखी"लगी होती है----

गणपति और कृष्ण दोनो की कामदेव जयी है,,,,

अर्थात् प्रेम की पराकाष्ठा गणपति के आलय मे निवासित हो सकती है,,,

जब महाभारत लिखना था उस वक्त यह शर्त थी कि,,,,,,,ऐसा व्यक्ति या देवता चाहिये जो """बिना रुके लिख सके

beyond infinity खुद से खुद तक का सफर

बचपन और नानी का घर     बहुत छोटा था जब नानी को देखा था ,
एक भी दाँत नही था मुँह में ,
चाय में टोस्ट डाल कर खाती थी ,
भले ही दाँत नही थे ,
लेकिन खुलकर मुस्कुराती थी ,
सर पर हाथ फेरती थी ,
मेरी बेटी के बच्चे है ये कहकर ,
सबसे मिलवाती थी ,
यही तो एक जगह है जहाँ ,
मुझे मेरी माँ के नाम से जाना जाता है,
अरे ! उसके बच्चे इतने बड़े हो गये ,
ये कहकर पहचाना जाता है ।। #Bachpan #Nanikaghar

Bhavesh Khaspuria

अपनों को 'प्रताड़ित' करना व्यक्ति उसकी माँ की गोद में रहते हुए ही सीख लेता है। मुँह में पहले दाँत की फूटन के साथ ही वो निहत्था नहीं रहता,उसे उसका पहला हथियार मिल जाता है। जिसका पहला प्रहार वो माँ के स्तन के उस हिस्से पर अपने उस दाँत को गड़ा कर करता है,जहाँ से निकलती अमृत धारा से उसकी माँ उसके सम्पूर्ण जीवन को पोषित करती है। किसी के उसके प्रति किये गए 'उपकारों' को आसानी से भुला देना मनुष्य का सामान्य स्वभाव है और उन उपकारों के बदले में उसी उपकारक पर प्रहार करना उसका 'गुप्त' मूल स्वभाव। कुछ अनकही ब

read more
mute video

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 5 - भक्ति-मूल-विश्वास 'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है। 'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
5 - भक्ति-मूल-विश्वास

'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है।

'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन

Manjari Shukla

पुछल्लू और मटुरिया की होली मटुरिया चुहिया गुस्से से, अपने बिल के एक कोने से दूसरे कोने में पैर पटकते हुए घूम रही थी और बड़बड़ा रही थी-"मेरा तो काम करते - करते भुर्ता बना जा रहा हैI" पुछल्लू चूहा बेचारा दुम दबाए बैठा हुआ थाI मटुरिया अपनी महीन आवाज़ में फ़िर पिनपिनाई-"सुबह से तीन बार दाल बाटी गर्म कर चुकी हूँI चुपचाप खाते क्यों नहीं?" #Books

read more
 पुछल्लू और मटुरिया की होली

मटुरिया चुहिया गुस्से से, अपने बिल के एक कोने से दूसरे कोने में पैर पटकते हुए घूम रही थी और बड़बड़ा रही थी-"मेरा तो काम करते - करते भुर्ता बना जा रहा हैI"

पुछल्लू चूहा बेचारा दुम दबाए बैठा हुआ थाI

मटुरिया अपनी महीन आवाज़ में फ़िर पिनपिनाई-"सुबह से तीन बार दाल बाटी गर्म कर चुकी हूँI चुपचाप खाते क्यों नहीं?"


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile