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Swati Tyagi
प्रणाम दादा जी आपकी लाडली उम्मीद करती हूं आप जहां भी होगे भगवान के सानिध्य में ही होंगे। आज आपको इस दुनिया को अलविदा कहे 15 साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन आज भी आपकी बहुत याद आती है। आपको एक बात भी बताने थी जब भी मैं कहीं किसी बुजुर्ग को पगड़ी पहने देखती हूं ना, तो मुझे आपकी बहुत याद आती है और मन करता है कि उसे अपने साथ घर ही ले जाऊं और जैसे मैं आपका ख्याल रखती थी, वैसे ही उनका भी ख्याल रखूं और वो मुझे बहुत सारा आशीर्वाद दें। उनमे मुझे आप दिखते हैं बाबा। मुझे याद है एक भी फेरीवाला हमारी गली से बिना मूझे कुछ दिए नहीं जाता था। आप हमेशा मुझे अपने पास ही रखते थें। मेरे दूर जाने के ख्याल से ही आप रोने लगते थे और जब आप बीमार हो गए थे मां, मम्मी और बुआ तीनों मिलकर भी आपको बैठा नहीं पाती थी लेकिन मैं इतनी छोटी होने के बावजूद भी आप को अकेला ही बैठा देती थी। वो मेरा प्यार था बाबा आपके लिए और आज भी वो प्यार जिंदा हैं। आपके जैसे अब तक मुझे कोई नहीं मिला ना ही आपके जैसे मुझे कोई समझता हैं। काश आपके साथ थोड़ा ओर वक्त मिल पाता और मैं आपसे जिंदगी के खट्टे मीठे सबक सीख पाती मुझे आशीर्वाद दीजिएगा बाबा कि मैं जिंदगी की हर परीक्षा में सफल हो सकूं और आपके नाम और सम्मान की गरिमा को बढ़ाने में कामयाब रहूं। ©Swati Tyagi #बाबा #दादा #दादू #बाबाजी #दादाजी #grandfather #deargrandparents
TOLCNR_Keep_Smile
#DearZindagi #DearZindagi ना जाने कैसे - कैसे लोगों से मिलवाती हो, वो कभी परेशानी से उबार कर, तो कभी ठग कर चले जाते हैं। कहानी का शीर्षक - ठग्गु सन्त यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है, गोपनीयता बनाए रखने का बिल्कुल प्रयास नहीं किया गया है। कृपया अनुशीर्षक में पूरी कहानी पढ़े 🙏 #DearZindagi #story शीर्षक 👉 "ठग्गू संत" कमरू कमच्छर के आए हुए सन्त रूप में बाबाजी नोट- उस समय हमारी उम्र लगभग पन्द्रह वर्ष की थी। मैं आठवे क्लास रामगंज मिडिल स्कूल में पढ़ता था। पड़ोसी ग्राम के रामगंज रेलवे के पश्चिम स्टेशन के पास ही ग्राम के रामदेव यादव बाबा का कबीर आश्रम था हमारा उनसे बहुत प्रेम सत्संग रहता था।उनके पास हमेशा आया करते थे। एक दिन उस समय मै आश्रम पर गया और सन्त बाबा आये हुए थे, तो रामदेव बाबाजी ने मुझे बताया की ये सन्त कमरू कमच्छर से आए है। ये बहुत भूत, वर्तमान और भविष्य के जानकार हैं। तो मै भी उनके पास गया और अपने घर की समस्या बताई की बाबाजी हमारी माता जी कभी-कभी दौड़ा की बीमारी से बीमार हो जाती हैं, कुछ देर के बाद शान्ति मिलती है तो दिन भर उठना-बैठना कठिन रहता है, दूसरे दिन से आराम मिलता है। तो बाबाजी कहे - ये ग्रह की बीमारी है, इसको मै ठीक कर सकता हूँ तो मैने कहा - ठीक कर दीजिए। तो बाबा जी ने कहा - मैं आबादी में नहीं रहता, ग्राम से बाहर रहता हूँ। उनके आश्रम पर वो दो, तीन दिन रहे, उनका प्रचार बढ़ता गया। तो हमारे ग्राम के पंचम उपाध्याय मिले उन्होंने अपनी समस्या बताई तो पंचम ने कहा - बाबाजी हमारे पास ग्राम के बाहर पक्की बावली है, वहीं पर साधु सन्त के लिए रहने का आश्रम भी बनाया हूँ। वहीं पर चलो आपके लिए हर सुविधा कर दिया जाएगा। वहीं पर बाबाजी आए और उनका व्यवस्था किया गया। धीरे-धीरे ग्राम के अधिकांश लोग पहुँचने लगे और वो सबको ठगने लगे । एक दिन बाबाजी कहे आप लोगों का काम आधी रात के समय निर्वस्त्र होके जाप करना होगा , उसमें कुछ आप लोगों को सोना देना होगा तो जाप सिद्ध होगा, तो सब लोग जिसके पास जो सोने का गहना था दिया। मै भी सोने की कील एक आने भर की दी। तो बाबा जी मुझसे कहा कि आप अपनी घड़ी दे दीजिए ताकि देखकर रात को जाप करूंगा तो मुझको कुछ मन में शंका हुई, तो मैं कहा - आपको आठ- नौ बजे रात के समय घड़ी दे जाऊंगा, लेकिन मैं घड़ी देने उनके पास नहीं गया और सुबह होने पर देखा गया तो साधु का अता-पता न चला, सब लोगों को बड़ी पश्चाताप हुई। ♦♦♦ #tolcnrkeepsmile 😊
Majlas Khan
एक सच्ची मेरे बचपन की घटना , शायद पहले बी मन्नैं इसका जिकर करया था ... गाम कै लागदी कुटिया मैं एक बाबाजी थे अर उनका एक बेरा ना कित तै आया बचपन तै अनाथ मंदबुद्धि सा एक भक्त था ... उसका नाम बाबाजी बूशा बोल्या करदे ... बूशा तड़के चार बजे उठकै कुटिया की साफ सफाई करे करदा , अर बाबाजी साड्डे चार बजे उठ कै शंख फुक्या करदा ... फेर पूजा पाठ करदा ... गाम आल्यां का अलार्म बी था यो , गाम के भक्त भक्तनियां तड़के तड़क सत्संग सुणन खात्तर कुटिया मैं जाते , अर श्रद्धानुसार चढ़वा बी चढ़ाया करदे ... एक तड़के बाबाजी उठ्या ... नहा धोकै कुटिया मैं बड़या ... शंख गायब , चारों कान्नी टोह लिया कोनी पाया , बाबा का पारा हाई हो ग्या , बिजनस खतरे मैं देख कै ... रुक्का मारकै बोल्या " ओooo बूशे साले हरामी शंख कित है , जल्दी तै टोह कै दे नातै तेरे चूतड़़ां मैं तै कड्ढुंगा ... गाम का मलुका अम्ली औढ़िए कुटिया के बरांडे मैं पंखे तलै सोवै था , या सुणकै बोल्या :- बाबाजी काड्ढण की के लोड़ है औढ़िए फू़ंक दिया कर ... दबारा गुम होण की टैन्सन बी खत्म हो जागी ... 😎😎😎🤔 एक था बाबा
Shilpi
एक बार बाबाजी लोगों को शिक्षा दे रहे थे:- सांसारिक मनुष्य केवल उसी काम के पीछे भागता है, जिससे उसे पैसे मिले। क्या आप मुझे किसी ऐसे कार्य के बारे में बता सकते हैं जिससे धन दौलत मिले मत मिले, कोई लाभ हो या न हो परंतु मन को सुख मिले, शांति मिले, आनंद की प्राप्ति हो? तभी एक महिला भीड़ में से बाहर निकलकर जवाब देती है:- बाबाजी सेल्फी लेना....😜😜😜😂😂🤣
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