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Anupama Jha
भीगे-भीगे मौसम में मन भी भीगा भीगा सा है बहुत कुछ दिल में अटका अटका सा है गुज़ारिश बादलों से जमकर बरसने की बहाना है कुछ गलतफहमियों को, जो खटका खटका सा है.... -©Anupama #खटका#अटका#बारिश#yqdidi
Maneesh Ji
Mr. MANEESH #चलों #राज़ #बता ही देता हूँ मैं मेरी #मुस्कान का मुझमें #दिल #अटका #पड़ा हैं #मेरी ही #जान का ..................................................................🥀 🥀 chalo raj bata hi deta hoo mai meri muskan ka mujhme dil atka pada hai meri hi jaan ka ...................................................................🥀 🥀
WORDS OF VIVEK KUMAR SHUKLA
शाम भी किस तरह रंग बदल गयी, वो आयी तो, मदहोश, नशीली, रंगीन हो गयी, और सुर्ख होंठों पर एक रवानी दे गयी। और गयी तो बेरंग ग़मगीन हो गयी, होंठों से मुस्कान छीनकर, आँखों में पानी दे गयी।। शाम भी किस तरह रंग बदल गयी..... ख्वाहिशों के जहां मे मंजर ऐसा था, पथरीली राहों पर भी कलियां बिछ गयी, जो नजरे कभी भटकी नहीं, उसे भी भटका गयी। और जाते-जाते भौरों के गुंजन भी ले गयी, सुकून मन का, चैन दिल का और आश नयन का ले गयी।। शाम भी किस तरह रंग बदल गयी...... पल में ही सूखे पते, टूटी डालियाँ सब हरे-हरे हो गये, निर्जन राह, और निर्वन फ़िजा को बहार दे गयी। और पल में ही निरस मन को दर्द रस से भर गयी, जो दिल कहीं अटका नहीं, उसे खुद पर अटका गयी, लबों से लफ्ज़, बातों से बात और जीवन से कहानी ले गयी।। शाम भी किस तरह रंग बदल गयी.... शाम भी किस तरह रंग बदल गयी, वो आयी तो, मदहोश, नशीली, रंगीन हो गयी, और सुर्ख होंठों पर एक रवानी दे गयी। और गयी तो बेरंग ग़मगीन हो गयी, होंठों से मुस्कान छीनकर, आँखों में पानी दे गयी।। शाम भी किस तरह रंग बदल गयी..... ©vivek_kumar_shukla
Tension ko do Pension
रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह , अटका कहीं जो आपका दिल भी मेरी तरह। रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह #रोया #आप #भी #अटका #आपका #दिल
hasmukh.namdev
रोज़ वो मिलने के सिलसिले बंधी है , यादों की गठरी में, यार अब तलक दिल अटका वो नरेंद्र चाय की टपरी में । इंतज़ार अपने चाय की , करते बड़े , बेसब्री में , यार अब तलक दिल अटका है , वो नरेंद्र चाय की टपरी में । समय वो शाम का , बड़ा याद आता है , वो चाय बहुत ग़ज़ब थी , अभी तक स्वाद आता है । सबसे अच्छी चाय की है वही जगह शिवपुर नगरी में, यार अब तलक दिल अटका है , वो नरेंद्र चाय की टपरी में । सब मिल कर ठहाके लगाते दिल पे बड़ा काबू था, वो नरेंद्र भैया के हाथों में बड़ा कमाल का जादू था । जमाबड़ा दोस्तो का रहता था पुनीत, शुभम की पान की गुमठी में, यार अब तलक दिल अटका है , वो नरेंद्र चाय की टपरी में । honey
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