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Best चित्रगुप्त Shayari, Status, Quotes, Stories

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BANDHETIYA OFFICIAL

#चित्रगुप्त नवीन संस्करण में। #boat #पौराणिककथा

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लगता है, चित्रगुप्त का कलियुगी संस्करण विमोचन में है,
एक हाथ करो,दूजे हाथ भरो,
... मैं 'नीतिक' बात नहीं करता।

©BANDHETIYA OFFICIAL #चित्रगुप्त नवीन संस्करण में।

#boat

Gautam_Anand

#चित्रगुप्त नमोस्तुते

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🕉
श्री श्री 108 गणेशाय नमो नमः
श्री श्री 108 चित्रगुप्ताय नमो नमः
श्री श्री 108 शिवाय नमो नमः
श्री श्री 108 रामाय नमो नमः
श्री श्री 108 दुर्गाय नमो नमः
श्री श्री 108 कृष्णाय नमो नमः
श्री श्री 108 माँ शारदे नमो नमः

नाम - गौतम आनंद
पिता - श्री कृष्ण मोहन प्रसाद सिन्हा
निर्मला भवन, शास्त्रीनगर, मुंगेर

आय व्यय सब समर्पित
तिथि शुक्लपक्ष द्वितीया - 09.11.2018 #चित्रगुप्त नमोस्तुते

Rakhee ki kalam se

#चित्रगुप्त जी को खत #खत nojoto #WorldPostOfficeDay Nitin Kumar kiran kee kalam se Danish Nawab Khan Prahlad kumar mau jha Dr.Rupak Rajput

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मैं खत लिखती चित्रगुप्त जी को
आदरणीय चित्रगुप्त जी
धरतीवासियों का सादर नमन🙏
आप तो स्वर्ग में हैं उम्मीद करते हैं राजी खुशी ही होंगे 
हम सब भी यहां स्वर्ग पाने की आस लगाए 
अपने अपने जीवन में व्यस्त हैं
ठीक ठाक हैं
आपसे एक अनुरोध है कि
आप जो हिसाब किताब कर्मों का लिखते हो
उसका update समय समय पर धरती वालों  को देते रहें ।
यहां
हर कोई मुगालतों में जी रहा है
 खुद के सही होने के
जो आप देने लगें मासिक या वार्षिक रिपोर्ट
तो शायद इंसान अपने कर्मों पर लगाम लगा सके
अपने नजरिए पर लगा गलतफहमियों का चश्मा उतार सके
आपके खत के इंतजार में.......

©Rakhee ki kalam se #चित्रगुप्त जी को खत
#खत 
#nojoto

#WorldPostOfficeDay  Nitin Kumar kiran kee kalam se Danish Nawab Khan Prahlad kumar mau jha  Dr.Rupak Rajput

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 1 - धर्मो धारयति प्रजाः आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
1 - धर्मो धारयति प्रजाः

आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है।

पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।

aarti nigam

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मेरी हर कलम कि लिखावट आपसे हे, मेरा जिवन व भाग्य आपसे है,
  हे चित्रगुप्त महाराज,
कायस्थ कि सान और ज्ञान आपसे है,
कायस्थो का नाम आप से है....
"जय श्री चित्रगुप्त महाराज"🙏

"आरती निगम" #NojotoQuote

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 16 – भाग्य-भोग 'भगवन! इस जीव का भाग्य-विधान?' कभी-कभी जीवों के कर्मसंस्कार ऐसे जटिल होते हैं कि उनके भाग्य का निर्णय करना चित्रगुप्त के लिये भी कठिन हो जाता है। अब यही एक जीव मर्त्यलोक से आया है। इतने उलझन भरे इसके कर्म है - नरक में, स्वर्ग में अथवा किसी योनि-विशेष में कहाँ इसे भेजा जाय, समझ में नहीं आता। देहत्याग के समय की इसकी अन्तिम वासना भी (जो कि आगामी प्रारब्ध की मूल निर्णायिका होती है) कोई सहायता नहीं देती। वह वासना भी केवल देह की स्

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
16 – भाग्य-भोग

'भगवन! इस जीव का भाग्य-विधान?' कभी-कभी जीवों के कर्मसंस्कार ऐसे जटिल होते हैं कि उनके भाग्य का निर्णय करना चित्रगुप्त के लिये भी कठिन हो जाता है। अब यही एक जीव मर्त्यलोक से आया है। इतने उलझन भरे इसके कर्म है - नरक में, स्वर्ग में अथवा किसी योनि-विशेष में कहाँ इसे भेजा जाय, समझ में नहीं आता। देहत्याग के समय की इसकी अन्तिम वासना भी (जो कि आगामी प्रारब्ध की मूल निर्णायिका होती है) कोई सहायता नहीं देती। वह वासना भी केवल देह की स्

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 5 – जीवन का चौराहा 'आप कुछ व्यस्त दीखते हैं!' देवर्षि ने चित्रगुप्त की ओर देखा। 'भगवन!' आतुरतापूर्वक अपनी लेखनी एवं अनन्त कर्मपत्र एक ओर रखकर उठे वे जीवों के कर्मों का विवरण

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
5 – जीवन का चौराहा

'आप कुछ व्यस्त दीखते हैं!' देवर्षि ने चित्रगुप्त की ओर देखा।

'भगवन!' आतुरतापूर्वक अपनी लेखनी एवं अनन्त कर्मपत्र एक ओर रखकर उठे वे जीवों के कर्मों का विवरण


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