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poonam atrey
दर्द का बिछौना आज इन आँखों में नींद की कमी थी दिल मे दर्द था ,निगाहों में नमी थी, खाली था दामन ,बिखरे थे सब सितारे , छोड़ के चला वो जो साथ था हमारे ना चाँद ही चमका था,सूरज भी आज गुम था, सब स्वप्न टूट गए थे मन भी हुआ गुमसुम सा, जो खेलता था कल तक टूटा था वो खिलौना , दे गया वो हमको एक दर्द का बिछौना ।। ©poonam atrey #दर्दकाबिछौना भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Raj Guru Puja Udeshi Payal Das Bhavana kmishra Mahi Reema Mittal Urvashi Kapoor @gyanendra pandey "ARSH"ارشد Badal Singh Kalamgar Ambika Mallik Mili Saha सचिन सारस्वत Ranjit Kumar Anil Ray RUPENDRA SAHU "रूप" R K Mishra " सूर्य " Adarsh S Kumar Sunita Pathania Poonam Suyal SURAJ PAL SINGH Utkrisht Kalakaari Praveen Jain "पल्लव" Sita Prasad Balwinder Pal हिमांशु Kulshreshtha Sethi Ji Lalit Saxena Gulshan Kumar
Raj
रात के अंधेरे में कोई यूं ही नही तारे गिनता, कुछ तो तन्हाई खली होगी उसको भी, कहीं अपनों से चोट तो कहीं इश्क में दर्द, तन्हाई का आलम यूं ही इतना खफा होता है, कोई तो सीने में राज छिपा रखा होता है, जहां लोगों की भीड में सुकून नही मिलता वहां तन्हाई सुकून दे जाती है, ये दो पल का अकेलेपन का सुकून सौ पल की खुशीयां दे जाता है। ©Raj rajpoot #boat #तन्हाई #दर्दकोअपनालिया #दर्दबाँटलो #दर्द_और_खामोंशियाँ #दर्द_अनकहा #दर्दकाबिछौना #दर्दऔरदिल
Abhishek Trehan
दर्द का भी तुम देखो होता है हिसाब अपना कभी जीने के लिए है जरूरी कभी बीमार कर रहा है मिला तो हमें बहुत है गिनते हम कहाँ है पुराना जख़्म भर गया है नया इंतज़ार कर रहा है समझते हैं वो मजबूरी कुछ काम हैं जरूरी हल्की आग सुलग रही है धुआँ बेशुमार उठ रहा है... © abhishek trehan 🎀 Challenge-270 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 63 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Snigdharani Panda
होंठ पे मुस्कुराहट लेकर दर्द का बिछौना में सोये है हमें कांटे चुभते हुए भी दुनिया को फूल दिये है॥ 🎀 Challenge-270 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 63 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Anita Saini
कायर तो नहीं हो फिर, क्यूँ पड़ता है यूँ छुप छुप कर रोना ? स्त्री होना क्या अभिशाप है..? क्यूँ पड़ता है, दूसरों के मुताबिक़ होना..? संस्कारों से बँधी हो, जंज़ीरों से नहीं क्यूँ पड़ता है दूसरों की गलतियों का बोझ ढोना..? हे रमणी ! तू कमजोर नहीं, दिखा दो अब, छोड़ दो ख़ुद को आँसूओ से भिगोना। मुक्त करो ख़ुद की क़ैद से, छोड़ो दर्द पिरोना, ना रहेगा फिर ये दर्द का बिछौना। 🎀 Challenge-270 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 63 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Divyanshu Pathak
स्वर्णवर्णी तन की आभा मेरे मन को भागई। कर अंधेरा दूर वह तो पहली किरण सी आगई। इश्क़ में दो दिल जुड़े! फिर एक होकर रह गए! जब मिलन तय हो रहा उस वक़्त आँधी आगई। ग़म छुपा कर रो रही थी ज़िन्दगी उस दिन मेरी! उड़गए अरमान सारे हम देखते ही रहगए! एक चल पाई न दिल की आँख नम होती गई। 🎀 Challenge-270 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 63 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
DR. SANJU TRIPATHI
आसूं जो मेरे बहेंगे तेरे नाम के होंगें दर्द के बिछौने पर सोएंगे उफ़ न करेंगें। मोहब्बत हम दोनों को है एक दूजे से मगर प्यार में यूं दहेज की बलि न चढेंगें। जीवन में सपने तुम्हारे साथ के देखे थे मगर प्यार में कभी कोई सौदा न करेंगें। दहेज की दीवार गिरा के मेरे पास आओ तेरा इंतजार उम्र भर करेंगे। 🎀 Challenge-270 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 63 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Sangeeta Patidar
ऐ दर्द! तुझसे ज़्यादा तो यह उम्मीदें तोड़ती हैं अक़्सर, तेरे इस बिछाये बिछौने पर यादें सोया करती हैं अक़्सर। थक गई हूँ मैं दिल को समझा समझा कर, मानता नहीं, तेरे इस झूठे से याराने पर राहतें रूठा करती हैं अक़्सर। तू आख़िर बाज़ क्यों नहीं आता, इतना तोड़कर भी मुझे? तेरे इस ज़रा से सुकूँ पर साँसें सिसका करती हैं अक़्सर। 🎀 Challenge-270 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 63 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Shankki Sharma
दर्द क्या होता है तुझसे जुदा होने के बाद मालूम हुआ करिबियाँ क्या होती है तेरे दूर जाने के बाद मालूम हुआ हम तो यूँ ही गुज़ार रहे थे ज़िन्दगी तेरे मिलने से पहले ज़िन्दगी जी कैसे जाती है ये तुझसे मिलने के बाद मालूम हुआ तुझसे मिलने के बाद हम ख़ुशियों से मिले तुझसे मिलने के बाद हम नई ज़िन्दगी से मिले। 🎀 Challenge-270 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 63 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
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